ईरान पर दोबारा बरसे इज़राइली बम: परमाणु ठिकानों को बनाया निशाना, जवाब में ईरान ने दागीं 100 मिसाइलें
इज़राइल और ईरान के बीच बढ़ते तनाव ने मध्य पूर्व को गंभीर संकट की ओर धकेल दिया है। इज़राइली हवाई हमलों और ईरानी मिसाइल हमलों ने हालात को और भड़का दिया है। इस संघर्ष ने परमाणु ठिकानों की सुरक्षा और क्षेत्रीय युद्ध की आशंका को और तेज कर दिया है।

International News: इज़राइली लड़ाकू विमानों ने शुक्रवार रात एक बार फिर ईरान के भीतर घुसकर कई अहम ठिकानों को निशाना बनाया। सूत्रों के मुताबिक, इस बार हमलों का फोकस ईरान की परमाणु गतिविधियों से जुड़े अति-संवेदनशील ठिकाने थे, जिनमें नतांज़ और फोर्डो प्रमुख रहे। ईरानी मीडिया ने इस पर चुप्पी साध रखी है, लेकिन सैटेलाइट तस्वीरों और चश्मदीदों के हवाले से विस्फोटों की पुष्टि हो चुकी है। माना जा रहा है कि ये हमला उस ड्रोन समर्थन का जवाब है जो हाल में ईरान ने हिज़्बुल्ला को दिया था।
इज़राइल के हवाई हमलों के कुछ ही घंटों बाद, ईरान ने करीब 100 सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइलें दागीं। ये हमले मुख्यतः इज़राइली वायु रक्षा प्रणाली और ऊर्जा केंद्रों को निशाना बनाकर किए गए। 'आयरन डोम' ने कई मिसाइलों को इंटरसेप्ट किया, लेकिन कुछ मिसाइलें दक्षिणी इज़राइल में गिरीं और व्यापक नुकसान हुआ। ईरान ने इसे "नियंत्रित जवाबी कार्रवाई" बताया और चेतावनी दी कि यदि हमले जारी रहे तो परिणाम भयावह होंगे।
दुनिया कर रही है अपील, लेकिन तनाव नहीं थमा
अमेरिका, फ्रांस और रूस जैसे वैश्विक शक्तियों ने दोनों देशों से संयम बरतने की अपील की है। हालांकि वॉशिंगटन ने इज़राइल के आत्मरक्षा के अधिकार को स्वीकार किया, लेकिन साथ ही परमाणु केंद्रों पर हमलों से बचने की सलाह दी। संयुक्त राष्ट्र ने चेतावनी दी है कि इस तरह के सैन्य अभियानों से परमाणु संयंत्रों को खतरा है, जिससे रेडिएशन फैलने और मानवीय त्रासदी की आशंका बढ़ सकती है।इस बीच यूरोपीय यूनियन भी मध्यस्थता के प्रयासों में जुट गया है। जर्मनी और ब्रिटेन ने भी अपने नागरिकों को ईरान और इज़राइल की यात्रा से बचने की चेतावनी जारी की है। अंतरराष्ट्रीय बाजारों में कच्चे तेल की कीमतें तेजी से बढ़ रही हैं, जो वैश्विक अर्थव्यवस्था पर अतिरिक्त दबाव डाल सकती हैं।
साइबर जंग और ड्रोन मिशन भी सक्रिय
हमलों के दौरान सिर्फ बम ही नहीं, बल्कि साइबर युद्ध भी शुरू हुआ। इज़राइली खुफिया सूत्रों के अनुसार, हवाई हमलों से ठीक पहले ईरान की वायु रक्षा प्रणाली और कंट्रोल सिस्टम को हैक किया गया। इसके साथ ही कई निगरानी ड्रोन भेजे गए ताकि वास्तविक समय में नुकसान का आकलन हो सके। सूत्रों का कहना है कि इन ड्रोन ने हमले के बाद ईरानी ठिकानों से जुड़े वीडियो और डाटा सीधे तेल अवीव में भेजा। ईरान ने इस तकनीकी हमले को 'विदेशी साइबर आक्रमण' करार दिया है। माना जा रहा है कि इस साइबर जंग में दोनों देशों के AI और स्पेस टेक्नोलॉजी एक्सपर्ट्स शामिल हैं।
मध्य पूर्व की नींद उड़ी, सहयोगी सतर्क
इस संघर्ष से पूरे क्षेत्र में हलचल मच गई है। इराक और सीरिया में सक्रिय ईरान समर्थित गुटों ने इज़राइल और अमेरिका को निशाना बनाने की धमकी दी है। इज़राइल ने भी अपने रिज़र्व सैनिकों को एक्टिवेट कर दिया है।
लेबनान की सीमा पर इज़राइली टैंक मूवमेंट देखी जा रही है और कई एयरबेस हाई अलर्ट पर हैं। मिस्र ने सीमा चौकियों पर सुरक्षा बढ़ा दी है ताकि शरणार्थियों की संभावित लहर को रोका जा सके। कुवैत और बहरीन ने भी अपने सैन्य सलाहकारों को युद्ध की संभावना को लेकर तैयार रहने का आदेश दिया है।
परमाणु खतरे की आहट
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह संघर्ष परमाणु ठिकानों के आसपास बढ़ता है तो स्थिति भयावह हो सकती है। एक छोटी सी चूक भी रेडियोएक्टिव प्रदूषण फैला सकती है। हालांकि इज़राइल ने अब तक हमले की आधिकारिक पुष्टि नहीं की है, लेकिन उसके रक्षा सूत्रों ने साफ कहा है कि वे "अस्तित्व के खतरे" को बर्दाश्त नहीं करेंगे IAEA की टीम ने अभी तक घटनास्थलों का दौरा नहीं किया है, जिससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेचैनी और बढ़ गई है। कई रक्षा विशेषज्ञों ने इसे '21वीं सदी का सबसे बड़ा परमाणु संकट' बताया है। इस सबके बीच आम जनता दहशत में है और ईरान के कई शहरों में बंकर बनाना शुरू हो गया है।