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चीनी ट्रेन ने विश्व रिकॉर्ड तोड़ा, सिर्फ दो सेकंड में हासिल की 700 किमी प्रति घंटे की रफ्तार

चीन ने National University of Defense Technology के वैज्ञानिकों के साथ दुनिया की सबसे तेज़ मैगलेव ट्रेन का परीक्षण किया, जिसने 2 सेकंड में 700 किमी/घंटा की रफ्तार पाई. यह उपलब्धि भविष्य की हाई-स्पीड यात्रा और हाइपरलूप जैसी तकनीकों को नई दिशा देती है.

Yaspal Singh
Edited By: Yaspal Singh

नई दिल्लीः चीन ने अत्याधुनिक परिवहन तकनीक के क्षेत्र में एक और बड़ी छलांग लगाते हुए दुनिया की सबसे तेज़ मैगलेव ट्रेन का सफल परीक्षण किया है. इस ट्रेन ने सिर्फ दो सेकंड के भीतर 700 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार हासिल कर ली. इतनी तेज़ गति कि आंख झपकते ही यह नज़र से ओझल हो जाती है. इस उपलब्धि ने न केवल रेलवे तकनीक की सीमाओं को तोड़ा है, बल्कि भविष्य की यात्राओं की कल्पना को भी एक नई दिशा दी है.

दो सेकंड में 700 की रफ्तार

इस ऐतिहासिक परीक्षण को चीन के National University of Defense Technology के वैज्ञानिकों ने अंजाम दिया. परीक्षण के दौरान लगभग एक टन वजन वाले मैगलेव वाहन को महज दो सेकंड में 700 किमी/घंटा की गति तक पहुंचाया गया. यह परीक्षण 400 मीटर लंबे विशेष मैगलेव ट्रैक पर किया गया, जहां इतनी तेज रफ्तार हासिल करने के बाद ट्रेन को सुरक्षित तरीके से रोक भी लिया गया.

विज्ञान कथा जैसा नजारा

परीक्षण के दौरान रिकॉर्ड किया गया वीडियो किसी साइंस फिक्शन फिल्म के दृश्य जैसा लगता है. चांदी जैसी चमक वाली ट्रेन बिजली की तरह ट्रैक पर दौड़ती दिखाई देती है. इसकी गति इतनी अधिक है कि नंगी आंखों से इसे साफ देख पाना लगभग असंभव हो जाता है. ट्रेन अपने पीछे बस एक धुंधली सी लकीर छोड़ती है, जो इसकी असाधारण रफ्तार का सबूत है.

कैसे काम करती है मैगलेव तकनीक?

मैगलेव ट्रेन पारंपरिक ट्रेनों की तरह पटरियों पर चलती नहीं, बल्कि सुपरकंडक्टिंग मैग्नेट की मदद से हवा में तैरती है. ये शक्तिशाली चुंबक ट्रेन को ट्रैक से ऊपर उठाकर बिना घर्षण के आगे बढ़ाते हैं. घर्षण न होने की वजह से गति कई गुना बढ़ जाती है और ऊर्जा की खपत भी कम होती है.

भविष्य की यात्राओं की झलक

इस गति पर मैगलेव ट्रेनें कुछ ही मिनटों में सैकड़ों किलोमीटर दूर बसे शहरों को जोड़ सकती हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि यह तकनीक हाइपरलूप जैसी भविष्य की परिवहन प्रणालियों की नींव रखती है, जहां वैक्यूम सील ट्यूबों में ट्रेनें बेहद तेज़ी से दौड़ेंगी.

South China Morning Post के अनुसार, यह प्रणाली अल्ट्रा-हाई-स्पीड इलेक्ट्रोमैग्नेटिक प्रोपल्शन, उन्नत सस्पेंशन गाइडेंस, हाई-पावर एनर्जी स्टोरेज और हाई-फील्ड सुपरकंडक्टिंग मैग्नेट जैसी कई जटिल तकनीकी चुनौतियों का समाधान करती है.

अंतरिक्ष और विमानन में भी उपयोग

मैगलेव ट्रेन में इस्तेमाल की गई इलेक्ट्रोमैग्नेटिक एक्सेलेरेशन तकनीक का इस्तेमाल भविष्य में अंतरिक्ष और विमानन क्षेत्र में भी किया जा सकता है. रॉकेट और विमान इस तकनीक से कम ईंधन में अधिक तेज़ और स्थिर उड़ान भर सकते हैं, जिससे लागत और पर्यावरणीय प्रभाव दोनों कम होंगे.

वैज्ञानिकों का क्या कहना है?

इस परियोजना से जुड़े ली जी का कहना है कि अल्ट्रा-हाई-स्पीड सुपरकंडक्टिंग मैगलेव सिस्टम की सफलता चीन में तेज रफ्तार परिवहन के अनुसंधान को नई गति देगी.

दस साल की मेहनत का नतीजा

इस ऐतिहासिक उपलब्धि के पीछे वैज्ञानिकों की लगभग दस साल की मेहनत है. इसी साल जनवरी में इसी ट्रैक पर हुए परीक्षण में ट्रेन ने 648 किमी/घंटा की रफ्तार हासिल की थी. कुछ महीनों के भीतर 700 किमी/घंटा का आंकड़ा छू लेना तकनीकी प्रगति की रफ्तार को दर्शाता है.

मैगलेव में चीन की पुरानी बढ़त

करीब तीन दशक पहले इसी विश्वविद्यालय ने चीन की पहली मानवयुक्त सिंगल-बोगी मैगलेव ट्रेन विकसित की थी. उस समय चीन इस तकनीक में महारत हासिल करने वाला दुनिया का तीसरा देश बना था. आज की यह उपलब्धि दिखाती है कि चीन न केवल उस बढ़त को बनाए हुए है, बल्कि लगातार नई ऊंचाइयों को भी छू रहा है.

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27 December 2025, 03:47 PM IST

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