इंडोनेशिया के बाद अब भारत की बारी: ट्रंप बोले, 'उसी तर्ज पर समझौता हो रहा है'
थिंक टैंक जीटीआरआई ने कहा है कि ट्रंप प्रशासन की वर्तमान नीति को ध्यान में रखते हुए, भारत को अमेरिका के साथ व्यापार समझौते की बातचीत में बहुत सतर्क रहना चाहिए. बिना सावधानी के भारत के आर्थिक हितों को नुकसान हो सकता है, इसलिए पारदर्शिता और सामंजस्य जरूरी है.

इस सप्ताह भारतीय वार्ताकार अमेरिका के साथ एक अंतरिम व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने के लिए गहन बातचीत में लगे हुए हैं. यह वार्ता ऐसे समय पर हो रही है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इंडोनेशिया के साथ हुए एक नए व्यापार समझौते की घोषणा की है और कहा है कि भारत के साथ भी इसी दिशा में काम हो रहा है.
ट्रंप ने इंडोनेशिया के साथ समझौते को "उल्लेखनीय सफलता" बताया, जिसके तहत इंडोनेशियाई उत्पादों पर अमेरिकी शुल्क को 32 प्रतिशत से घटाकर 19 प्रतिशत कर दिया गया. बदले में, अमेरिकी कंपनियों को इंडोनेशियाई बाजार में पूरी पहुँच देने का वादा किया गया है. ट्रंप ने यह भी कहा कि भारत के साथ भी ऐसी ही व्यवस्था पर बातचीत हो रही है, जिससे अमेरिका को भारतीय बाजार में प्रवेश मिलेगा.
भारत के लिए चेतावनी: सतर्क रहना ज़रूरी
थिंक टैंक GTRI (ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव) ने भारत को आगाह किया है कि ट्रंप की घोषणाएं अक्सर एकतरफा होती हैं और वास्तविक समझौते से पहले दबाव बनाने की रणनीति हो सकती हैं. वियतनाम के उदाहरण का हवाला देते हुए GTRI ने कहा कि ट्रंप की "बिना पुष्टि की गई घोषणाएं" वार्ताओं को जटिल बना सकती हैं.
संभावित असंतुलित सौदे की आशंका
GTRI ने यह भी कहा कि यदि भारत ट्रंप की तर्ज पर कोई असंतुलित समझौता करता है, जिसमें अमेरिका को पूर्ण शुल्क-मुक्त प्रवेश मिलता है जबकि भारत को सीमित फायदा होता है, तो यह भारत के लिए घातक हो सकता है. खासकर कृषि और डेयरी क्षेत्र, अमेरिकी उत्पादों के दबाव में आ सकते हैं.
संयुक्त बयान और पारदर्शिता की ज़रूरत
थिंक टैंक का सुझाव है कि भारत को किसी भी समझौते से पहले संयुक्त, लिखित बयान पर ज़ोर देना चाहिए. मौखिक या सोशल मीडिया पर दी गई घोषणाएं भविष्य में गलतफहमी और नुकसान का कारण बन सकती हैं.
कृषि वार्ता बनी बड़ी चुनौती
रिपोर्टों के अनुसार, कृषि क्षेत्र पर सहमति एक प्रमुख अड़चन बनी हुई है. भारत ने इस क्षेत्र में अपने रुख को स्पष्ट रखा है और इसे घरेलू हितों से जुड़ा बताया है. अमेरिका की तरफ से 1 अगस्त को "वार्ता में तेजी लाने की सीमा" बताया गया है, न कि कोई अंतिम तिथि.


