अमेरिका ने भारत से भेजे गए आम के 15 शिपमेंट लौटाए, करोड़ों का नुकसान
कांग्रेस ने राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष पर आरोप लगाया है कि वे सजा पाए विधायक कंवर लाल मीणा को अयोग्य घोषित नहीं कर रहे. कांग्रेस का कहना है कि अध्यक्ष बीजेपी के दबाव में हैं. पार्टी ने राज्यपाल से हस्तक्षेप की मांग की है और जल्द कार्रवाई नहीं होने पर आंदोलन की चेतावनी दी है.

हाल ही में अमेरिका के विभिन्न हवाई अड्डों—जैसे लॉस एंजेल्स, सैन फ्रांसिस्को और अटलांटा—पर भारत से भेजे गए आम के कम से कम 15 शिपमेंट को अमेरिकी कस्टम अधिकारियों ने रोक दिया. कारण बताया गया कि इन शिपमेंट के दस्तावेजों, विशेष रूप से PPQ203 फॉर्म, में गड़बड़ी पाई गई. इस वजह से अमेरिका ने शिपमेंट को अस्वीकार कर दिया. इससे भारतीय निर्यातकों को लगभग $500,000 (करीब 4.2 करोड़ रुपये) का भारी नुकसान हुआ है. यह मुद्दा अब भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों पर भी सवाल उठा रहा है.
PPQ203 एक जरूरी दस्तावेज़ है जो यह प्रमाणित करता है कि फल, खासकर आम, ने अमेरिका के नियमानुसार कीट नियंत्रण विकिरण उपचार (Irradiation Treatment) प्राप्त किया है. यह प्रक्रिया भारत में, खासकर नवी मुंबई की एक अधिकृत सुविधा में अमेरिकी USDA अधिकारियों की निगरानी में होती है. भारतीय निर्यातकों का कहना है कि उपचार की पूरी प्रक्रिया ठीक से की गई थी और बिना सही दस्तावेज़ के माल हवाई अड्डे पर भेजा ही नहीं जा सकता. इसके बावजूद अमेरिकी अधिकारियों ने दस्तावेजों में त्रुटियां बताकर शिपमेंट को रोक दिया और फलों को स्वीकार नहीं किया.
निर्यातकों के सामने दो मुश्किल विकल्प
अमेरिकी अधिकारियों ने निर्यातकों को दो विकल्प दिए: या तो आम को अमेरिका में ही नष्ट कर दिया जाए, या उसे भारत वापस भेजा जाए. लेकिन आम एक जल्दी खराब होने वाला फल है और उसे वापस भेजना महंगा और अव्यवहारिक होता है. इस कारण सभी निर्यातकों को मजबूरी में फल को वहीं नष्ट करना पड़ा. एक निर्यातक ने दुख जताते हुए कहा, “हमें उस गलती की सजा दी जा रही है जो हमने की ही नहीं.”
व्यापार समझौते पर पड़ेगा असर?
यह मामला ऐसे समय पर सामने आया है जब भारत और अमेरिका एक महत्वपूर्ण व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में हैं. भारत ने कपड़ा, चमड़ा, झींगा, रसायन और अंगूर जैसे उत्पादों पर टैरिफ में राहत की मांग की है, जबकि अमेरिका वाइन, इलेक्ट्रिक वाहनों, औद्योगिक और डेयरी उत्पादों पर रियायत चाहता है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यह भी दावा किया कि भारत ने टैरिफ-फ्री डील का प्रस्ताव दिया है, लेकिन भारतीय पक्ष का कहना है कि वे संतुलित और विन-विन समझौते की दिशा में काम कर रहे हैं.


