ईरान पर अमेरिका का अब तक का सबसे बड़ा हमला, GBU-57 बम का पहली बार इस्तेमाल
बी-2 स्टील्थ बॉम्बर्स ने ईरान के परमाणु ठिकानों पर GBU-57 बंकर-बस्टर बम गिराए, जो ज़मीन के अंदर तक घुसने में सक्षम हैं. हर B-2 विमान दो 30,000 पाउंड के MOP बम लेता है, जिन्हें फोर्डो जैसी गहराई में बनी किलेबंद सुविधाओं को नष्ट करने के लिए बनाया गया है.

ईरान और इजराइल के बीच जारी तनाव अब खुली जंग में तब्दील हो चुका है और इस बार मैदान में उतर चुका है अमेरिका. रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका ने ईरान के सबसे सुरक्षित परमाणु ठिकानों में से एक फोर्डो न्यूक्लियर फैसिलिटी पर छह GBU-57 मैसिव ऑर्डनेंस पेनेट्रेटर (MOP) बम गिराए हैं. ये हमला अमेरिका की ओर से अब तक की सबसे बड़ी और तकनीकी रूप से परिष्कृत सैन्य कार्रवाई मानी जा रही है.
अमेरिका ने इस ऑपरेशन में अपने अत्याधुनिक B-2 स्पिरिट स्टील्थ बॉम्बर्स का इस्तेमाल किया. प्रत्येक B-2 बॉम्बर दो GBU-57 बम ले जाने में सक्षम होता है. इन बमों को "बंकर बस्टर" कहा जाता है, क्योंकि ये 200 फीट गहराई तक जमीन में या 60 फीट मोटी प्रबलित कंक्रीट को भेदने की क्षमता रखते हैं. ये बम विशेष रूप से गहरे और किलेबंद ठिकानों जैसे फोर्डो को नष्ट करने के लिए डिजाइन किए गए हैं.
ट्रंप ने ट्रुथ सोशल पर दी जानकारी
इस ऑपरेशन की पुष्टि खुद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ट्रुथ सोशल पर पोस्ट के जरिए की. उन्होंने लिखा, "फोर्डो खत्म हुआ", और बताया कि सभी अमेरिकी विमान सुरक्षित अपने बेस पर लौट चुके हैं. ट्रंप ने इसे अमेरिका की सैन्य शक्ति का प्रतीक बताते हुए कहा, “अब शांति का समय है.”
नतांज़ और इस्फहान भी बने निशाना
फोर्डो के अलावा अमेरिका ने नतांज़ और इस्फहान में स्थित ईरान के अन्य परमाणु-संबंधी स्थलों को भी निशाना बनाया. रिपोर्ट्स के मुताबिक, अमेरिकी नौसेना की पनडुब्बियों से करीब 30 टॉमहॉक क्रूज़ मिसाइलें इन ठिकानों की ओर दागी गईं. ये दोनों साइट्स ईरान के यूरेनियम संवर्धन कार्यक्रम के अहम केंद्र माने जाते हैं.
फोर्डो: ईरान का परमाणु किला
फोर्डो की बात करें तो यह ईरान के क़ोम शहर के पास एक पहाड़ के अंदर स्थित है और इसे सालों से ईरान के परमाणु कार्यक्रम की रीढ़ माना जाता रहा है. यही वजह है कि अमेरिका ने इसे टारगेट करने के लिए बंकर-बस्टिंग हथियारों का इस्तेमाल किया.
भविष्य में बढ़ सकता है तनाव
यह ऑपरेशन सिर्फ एक सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि एक बड़े रणनीतिक संदेश के तौर पर देखा जा रहा है. अमेरिका ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को किसी भी कीमत पर रोकने का संकल्प दोहराया है. इस हमले के बाद ईरान की प्रतिक्रिया और अंतरराष्ट्रीय राजनीति में उसके असर को लेकर कई सवाल उठने लगे हैं.
जाहिर है, ये हमला ना सिर्फ ईरान के लिए चेतावनी है, बल्कि पूरी दुनिया के लिए भी एक संकेत है कि अगर परमाणु हथियारों की दिशा में कोई आगे बढ़ेगा, तो अमेरिका सैन्य कार्रवाई से पीछे नहीं हटेगा.