टूटा अमेरिकी राष्ट्रपति का सपना, मारिया कोरिना को मिला शांति का नोबेल... जानिए यह पुरस्कार पाने में कहां चूके डोनाल्ड ट्रंप ?
Nobel Peace Prize 2025 : साल 2025 के लिए नोबेल शांति पुरस्कार का ऐलान हो चुका है. इस साल यह पुरस्कार वेनेजुएला की मारिया कोरिना मचादो को दिया गया है. वहीं इस बात से अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप जो यह दावा करते आ रहे थे कि इस साल यह पुरस्कार उन्हें दिया जाए, उनका सपना अब टूट चुका है. इसी बीच आज हम यह जानेंगे की आखिल यह पुरस्कार ट्रंप को क्यों नहीं दिया गया. इसके पीछे क्या वजह है. आइए जानते है इस पूरी खबर को विस्तार से....

Nobel Peace Prize 2025 : साल 2025 के नोबेल शांति पुरस्कार का ऐलान कर दिया गया है. इस वर्ष का शांति पुरस्कार वेनेजुएला की मारिया कोरिना मचादो को दिया गया है. उनके इस सम्मान के साथ ही अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का नोबेल शांति पुरस्कार जीतने का सपना इस बार भी अधूरा रह गया. ट्रंप ने कई बार इस पुरस्कार के लिए दावेदारी जताई और युद्ध रोकने के अपने प्रयासों का दावा किया, लेकिन वे इस बार भी सफल नहीं हो सके.
ट्रंप को पुरस्कार न मिलने की वजहें
ट्रंप के मानकों को पूरा न कर पाना
विशेषज्ञ थिओ जेनौ के मुताबिक, ट्रंप के प्रयासों का स्थायी प्रभाव नहीं दिखा. लड़ाई रोकने और संघर्ष के जड़ों को खत्म करने में अंतर बहुत बड़ा होता है, और पिछले नोबेल शांति पुरस्कार विजेताओं ने हमेशा सहयोग और सुलह को बढ़ावा दिया है. ट्रंप के कार्यों को इन मानकों में फिट नहीं किया गया.
लगातार दावा करना भी भारी पड़ा
नोबेल शांति पुरस्कार कमेटी पर राजनीतिक दबाव को लेकर कोई असर नहीं पड़ने दिया जाता. पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट की निदेशक नीना ग्रेगर ने बताया कि ट्रंप की बार-बार की गई दावेदारी और बयानबाजी ने उनकी उम्मीदों को कमजोर किया. ट्रंप ने खुद को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए मजबूती से पेश किया और उनकी टीम, व्हाइट हाउस, और कुछ देशों ने भी उनके पक्ष में आवाज उठाई, लेकिन यह सब उनकी जीत के लिए पर्याप्त नहीं था.
ट्रंप के दावे और नोबेल कमेटी का नजरिया
डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया कि उन्होंने दुनिया भर में सात युद्ध रोकने में अहम भूमिका निभाई है, जो एक बड़ा उपलब्धि है. उन्होंने अमेरिका के पहले कार्यकाल से ही इस पुरस्कार के लिए प्रयास किए. हालांकि, नोबेल कमेटी ने इस बार इस बात को प्राथमिकता नहीं दी. ट्रंप के बहुपक्षीय संस्थानों के प्रति रवैये और जलवायु परिवर्तन के मुद्दों पर उनके रुख को भी उनके खिलाफ एक कारण माना गया.
मारिया कोरिना मचादो को नोबेल शांति पुरस्कार देकर कमेटी ने उन प्रयासों को सम्मानित किया जो स्थायी और व्यापक सामाजिक बदलाव लाने वाले हैं. वहीं, ट्रंप के कई दावों और कोशिशों के बावजूद, उनकी रणनीतियों और मानकों के अभाव में उन्हें यह सम्मान नहीं मिल सका. इस बार का नोबेल शांति पुरस्कार उस सोच और दृष्टिकोण को दर्शाता है जो लंबे समय तक शांति और भाईचारे को बनाए रखने में सक्षम हो.


