ईरानी राष्ट्रपति पर इजराइली हमला नाकाम, नसरल्लाह प्लान जैसे ऑपरेशन से बची जान
ईरान-इजराइल युद्ध के दौरान इजराइल ने राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियान की हत्या की साजिश रची थी, जो हसन नसरल्लाह की रणनीति जैसी थी. मिसाइलों से बिल्डिंग के प्रवेश-निकास को निशाना बनाया गया, लेकिन पेजेशकियान एक गुप्त आपातकालीन रास्ते से सुरक्षित बाहर निकलने में सफल रहे. उनकी किस्मत ने जान बचाई.

पिछले महीने इजराइल और ईरान के बीच हुए 12 दिनों के युद्ध से जुड़ी एक चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है. ईरानी राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियान ने खुद इस बात की पुष्टि की है कि युद्ध के दौरान इजराइल ने उन्हें जान से मारने की पूर्व नियोजित साजिश रची थी. इस हमले की रणनीति ठीक उसी ढांचे पर आधारित थी, जैसा 2023 में हिज़्बुल्लाह प्रमुख हसन नसरल्लाह को मारने के लिए अपनाया गया था. अब इसे 'नसरल्लाह प्लान' कहा जा रहा है.
27 सितंबर 2023 को लेबनान की राजधानी बेरूत में जब हसन नसरल्लाह एक गुप्त मीटिंग कर रहे थे, तब इजराइल ने उनकी बिल्डिंग के एंट्री और एग्जिट गेट को मिसाइलों से उड़ा दिया था. उसी रणनीति को 16 जून 2025 को तेहरान में दोहराने की कोशिश की गई.
‘नसरल्लाह प्लान’ की पुनरावृत्ति
उस दिन ईरानी राष्ट्रपति और सर्वोच्च सुरक्षा परिषद के सदस्य राजधानी तेहरान के एक अत्यंत सुरक्षित अंडरग्राउंड बंकर में बैठक कर रहे थे. इसी दौरान इजराइल डिफेंस फोर्स (IDF) ने उस सरकारी इमारत के प्रवेश और निकास द्वारों को छह मिसाइलों से निशाना बनाया. मकसद साफ था — सभी शीर्ष नेताओं को एक ही झटके में खत्म कर देना.
इमरजेंसी एग्जिट से बची राष्ट्रपति की जान
हमले के शुरू होते ही ईरानी सुरक्षा एजेंसियों ने तुरंत खतरे को भांप लिया और बंकर में मौजूद सभी लोगों को एक पुराने, गुप्त आपातकालीन रास्ते (Emergency Hatch) से बाहर निकाला गया. इस दौरान राष्ट्रपति पेजेशकियान के पैर में चोट आई, लेकिन उनकी जान बच गई. अगर यह आपातकालीन मार्ग न होता, तो उनका भी वही अंजाम होता जो नसरल्लाह का हुआ था. ईरानी एजेंसियों ने इस हमले और बचाव की कुछ फुटेज भी जारी की हैं, जिससे इजराइल की योजना की पुष्टि होती है.
अमेरिका का क्या था रोल?
पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक इंटरव्यू में दावा किया था कि उन्होंने इजराइल को ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला खामनेई की हत्या करने से रोका था. लेकिन राष्ट्रपति पेजेशकियान ने यह स्पष्ट किया कि इस हमले के पीछे पूरी तरह इजराइल का हाथ था, अमेरिका का नहीं.
फिर से जंग के आसार?
12 दिन की इस जंग में ईरान के 1060 से अधिक नागरिक मारे गए और 5650 घायल हुए. अब जब इस साजिश का खुलासा हुआ है, ईरानी जनता में भारी आक्रोश है. जानकार मानते हैं कि इससे ईरान-इजराइल के बीच तनाव और भी बढ़ सकता है और आने वाले समय में दोबारा युद्ध छिड़ने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता.


