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बंकर टूटा, सिस्टम हुआ अंधा, साइबर-साइलेंट युद्ध का आगाज़

  ईरान के फोर्दो न्यूक्लियर बंकर पर अमेरिका ने 37 घंटे तक बिना शोर किए ऐसा हमला किया कि दुनिया चौंक गई। रडार सोते रहे, सैटेलाइट अंधे रहे और बंकर बस्टर 200 फीट नीचे जाकर फट गया। यह सिर्फ हमला नहीं, तकनीक की ताकत थी।

Lalit Sharma
Edited By: Lalit Sharma

इंटरनेशन न्यूज. अमेरिका ने ईरान की सबसे सुरक्षित मानी जाने वाली फोर्दो न्यूक्लियर साइट पर वो कर दिखाया, जिसकी किसी ने कल्पना तक नहीं की थी। 37 घंटे तक B-2 स्टील्थ बमवर्षक आसमान में रहे, लेकिन ईरान के रडार सिस्टम को भनक तक नहीं लगी। 200 फीट नीचे तक घुसकर बंकर बस्टर बम ने उस जगह को निशाना बनाया, जिसे ईरान अजेय मानता था। इस हमले की सबसे खतरनाक बात ये थी कि यह पूरी तरह ‘साइलेंट’ था—ना कोई जवाबी कार्रवाई, ना कोई सिग्नल ब्लॉकिंग अलर्ट। अमेरिका ने हमले से पहले ईरान के रडार, सैटेलाइट और एयर डिफेंस नेटवर्क को पूरी तरह ब्लाइंड कर दिया। ईरान की साइबर इंटेलिजेंस भी इस ऑपरेशन के आगे बेबस नज़र आई। यह सिर्फ एक निशाना नहीं था, बल्कि मिडल ईस्ट की डिफेंस साइकोलॉजी को हिला देने वाली कार्रवाई थी।

ईरान पर हमला नहीं, पूरे मिडल ईस्ट को भेजा गया संदेश

ईरान की फोर्दो न्यूक्लियर साइट पर बंकर बस्टर बम गिराना सिर्फ एक देश को निशाना बनाना नहीं था, यह एक रणनीतिक संदेश था जो पूरे मिडल ईस्ट को सुनाई दिया। अमेरिका के B-2 स्टील्थ बमवर्षक ने जिस तरह बिना किसी रडार अलर्ट के 37 घंटे की उड़ान भरी, उसने इस पूरे क्षेत्र की रक्षा रणनीति पर सवाल खड़े कर दिए हैं। ये हमला बताता है कि अब सीमाएं या पहाड़ सुरक्षा की गारंटी नहीं हैं। अब जिन खतरों की तैयारी हो रही थी, वे जमीन पर नहीं, डेटा और साइबर नेटवर्क में छिपे बैठे हैं। और ये बात न सिर्फ ईरान, बल्कि उसके पड़ोसी देशों के लिए भी खतरे की घंटी है।

2. जब साइलेंस बन गई स्ट्रैटेजी

फोर्दो मिशन की सबसे बड़ी ताकत उसकी खामोशी थी। न मिसाइल की आवाज़, न किसी एयर डिफेंस का जवाब। अमेरिकी साइबर यूनिट्स ने हमले से पहले ही ईरान की वायु सुरक्षा प्रणाली को अंधा कर दिया था। संचार सैटेलाइट्स को ब्लाइंड कर दिया गया, और बमवर्षकों की लोकेशन रडार से पूरी तरह छिपी रही। इस तरह का ‘साइलेंट स्ट्राइक’ अब एक नया युद्ध नियम बन गया है, जिससे साफ हो गया कि आने वाला युद्ध शोर नहीं करेगा — वह आंखों से ओझल और तकनीक से तेज़ होगा।

3. गल्फ देशों की आंखें खुलीं: अब किसे भरोसा करें?

सऊदी अरब, यूएई, क़तर जैसे देश जो खुद को आधुनिक डिफेंस टेक्नोलॉजी से लैस मानते हैं, इस हमले के बाद अपनी सुरक्षा पर दोबारा सोचने को मजबूर हो गए हैं। फोर्दो जैसा हाई-सिक्योरिटी ज़ोन भी अगर निशाना बन सकता है, तो कोई भी सैन्य बेस सुरक्षित नहीं कहा जा सकता। ये बात अब साफ हो गई है कि साइबर इंटेलिजेंस की विफलता किसी भी आधुनिक डिफेंस सिस्टम को बेकार बना सकती है। अमेरिका ने ये जताया कि उसकी पहुंच सिर्फ फिजिकल नहीं, डिजिटल सिस्टम में भी सबसे तेज है।

4. सैटेलाइट, रडार और डाटा अब नई जंग के हथियार

इस हमले ने यह भी साबित कर दिया कि आने वाली लड़ाइयों में बंदूक और टैंक नहीं, सैटेलाइट और सर्विलांस असली हथियार होंगे। अमेरिका ने रडार को धोखा देकर, ईरान के डिफेंस कम्युनिकेशन को ब्लैकआउट कर जो किया, वह एक वॉर गेंम प्लानिंग का मास्टर क्लास था। मिडल ईस्ट के देशों के लिए अब सबसे बड़ी चुनौती अपने साइबर डिफेंस को मज़बूत करना बन गई है। अब उन्हें सिर्फ दुश्मन की फौज से नहीं, उसके कोड और कमांड से भी लड़ना होगा।

5. अब दुश्मन की पहचान मुश्किल होगी

इस घटना ने एक और बात साफ कर दी — दुश्मन अब बूट पहनकर नहीं आता, वो कोड में छिपा होता है। मिडल ईस्ट की सेनाओं को अब एक अदृश्य दुश्मन के खिलाफ तैयार रहना होगा, जो न दिखता है, न बोलता है, लेकिन हमला सबसे पहले वही करता है। अमेरिका ने यह दिखा दिया कि उसकी रणनीति अब सिर्फ सैन्य ताकत तक सीमित नहीं, वह मनोवैज्ञानिक और टेक्नोलॉजिकल वॉरफ़ेयर का भी मास्टर है।

6. मिडल ईस्ट की सुरक्षा सोच अब बदलनी होगी

फोर्दो ऑपरेशन ने मिडल ईस्ट को चेताया है कि पुरानी सोच और परंपरागत सुरक्षा उपाय अब नाकाफी हैं। इस पूरे इलाके को अब अपनी डिफेंस साइकोलॉजी को अपग्रेड करना होगा। अमेरिका ने यह नहीं कहा कि वह दुश्मन है, लेकिन यह साफ कर दिया कि वह सबसे पहले और सबसे दूर तक सोच सकता है। अब मिडल ईस्ट को भी रक्षा नहीं, ‘स्मार्ट डिफेंस’ की ओर बढ़ना होगा — वरना अगला झटका कहीं और, और ज्यादा गहरा होगा।

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23 June 2025, 02:00 PM IST

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