ISRO और JAXA के साथ मिलकर लॉन्च करेंगे Chandrayaan-5, पीएम मोदी ने टोक्यो में की घोषणा
भारत-जापान ने LUPEX चंद्र मिशन के लिए ISRO-JAXA सहयोग की घोषणा की, जो चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर जल की खोज करेगा. यह साझेदारी अंतरिक्ष, तकनीक, निवेश, AI, सेमीकंडक्टर और रणनीतिक क्षेत्रों में व्यापक सहयोग को दर्शाती है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने टोक्यो में जापानी प्रधानमंत्री शिगेरू इशिबा के साथ वार्ता के बाद चंद्रयान‑5 मिशन (LUPEX) में इसरो और जाक्सा के बीच सहयोग की घोषणा की. मोदी ने इस साझेदारी का स्वागत करते हुए कहा कि यह मिशन मानवता की प्रगति का प्रतीक बनेगा और एक नई दिशा दिखाएगा.
मिशन के लक्ष्य
LUPEX मिशन चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के स्थायी छाया वाले क्षेत्रों (PSR) पर शोध करेगा, जहां पानी की संभावना है. इसरो लैंडर विकसित करेगा और जाक्सा द्वारा विकसित रोवर को जापानी H3-24 रॉकेट से लॉन्च किया जाएगा. मिशन को वित्तीय मंजूरी 10 मार्च 2025 को मिली थी और मई में तीसरी तकनीकी इंटरफेस बैठक (TIM‑3) में दोनों एजेंसियों ने मिशन की नींव रखी.
उच्च तकनीक
प्रधानमंत्री मोदी ने इस सहयोग को सिर्फ अंतरिक्ष तक सीमित नहीं बताया, बल्कि इसे उद्योग, स्टार्टअप और अनुसंधान के बीच नवाचार के इकोसिस्टम के रूप में देखा. उन्होंने कहा कि यह साझेदारी प्रयोगशालाओं से लेकर लॉन्चपैड और रिसर्च से लेकर वास्तविक दुनिया में अनुप्रयोग तक विस्तार करेगी.
निवेश, आर्थिक और रणनीतिक भागीदारी
मोदी और इशिबा ने अगले दस वर्षों का एक रोडमैप साझा किया, जिसमें 10 ट्रिलियन येन ($68 बिलियन) के निवेश का लक्ष्य रखा गया है. यह निवेश लंबी अवधि के लिए आर्थिक सुरक्षा, नवाचार, पर्यावरण, प्रौद्योगिकी और लोगों के बीच आदान-प्रदान को बढ़ावा देगा.
मोदी और इशिबा ने यह साझा किया कि मजबूत लोकतंत्र वैश्विक शांति व सुरक्षा की नींव हैं. उन्होंने आर्थिक और सुरक्षा सहयोग को भी बल दिया, विशेषकर सेमीकंडक्टर, डिजिटल साझेदारी 2.0 और एआई में संयुक्त पहल के जरिए.
व्यापक साझेदारी
मोदी ने भारत और जापान के सहयोग को एक विशेष रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी बताया. यह सहयोग न केवल चंद्रयान‑5 तक सीमित है, बल्कि उच्च-प्रौद्योगिकी क्षेत्रों जैसे सेमीकंडक्टर, डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर, एआई और दुर्लभ पृथ्वी खनिजों तक विस्तारित होगा.
तकनीकी क्रांति
मोदी ने कहा कि जापानी तकनीक और भारतीय प्रतिभा का संयोजन इस सदी में टेक क्रांति लाने की क्षमता रखता है. उन्होंने मेक इन इंडिया, मेक फॉर द वर्ल्ड की अवधारणा को दोहराया और डिजिटल साझेदारी एवं एआई सहयोग को आगे बढ़ाने पर जोर दिया.


