चीन को G20 मीटिंग में तांग अड़ाना पड़ा भारी

हमारे भारत में एक कहावत कही जाती है की अगर खुद का घर कांच का हो तो दूसरों के घर पर पत्थर नहीं फेंकते, जी हाँ ये कहावत हम आपको इसलिए बता रहे की क्यू की जम्मू-कश्मीर में जी-20 टूरिज्म वर्किंग ग्रुप की मीटिंग थी

Saurabh Dwivedi
Saurabh Dwivedi

हमारे भारत में एक कहावत कही जाती है की अगर खुद का घर कांच का हो तो दूसरों के घर पर पत्थर नहीं फेंकते, जी हाँ ये कहावत हम आपको इसलिए बता रहे की क्यू की जम्मू-कश्मीर में जी-20 टूरिज्म वर्किंग ग्रुप की मीटिंग थी और ऐसे में चीन अपनी तांग अड़ाने की कोशिश किया , और विरोध भी किया।।। लेकिन वो भूल गया की ये भारत जितना जिससे लेता है , उसका दो गुना उसको वापस करता है , ठीक यही चीन के साथ भी हुआ है , पीएम मोदी ने भारत की ओर से चीन को उसके विरोध पर कड़ा जवाब दिया गया है.... उन्होंने क्या कहा है वो हम आपको आगे बताएंगे।

दरअसल जी-20 पर उठे सवाले के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तायबान और साउथ चाइना- सी विवाद का जिक्र कर ड्रैगन की बोलती बंद करने का काम किया है.आपको बता दे की 12  दिन पहले अचानक ही साउथ चाइना- सी में चाइनीस वॉरशिप्स की एक्टिविटी बढ़ गई थी. चीन के बड़े-बड़े जहाज और एयरक्राफ्ट वहां  जमा होने लगे. सवाल उठने लगे कि क्या चीन ब्राउंड्री विवाद को लेकर दूसरे देशों के खिलाफ एग्रेसिव एक्शन लेने वाला है लेकिन जब इसकी जांच की गई तो पता चला कि वो साउथ चीन में हो रही पहली इंडियन नेवल एक्सरसाइज के बारे में पता लगा रहा था.

एक्सरसाइज को लेकर जासूसी करने के लिए चीन ने अपनी वॉरशिप को एक्टिव किया था. इन सबके बीच हिरोशिमा में पीएम मोदी ने मीडिया को एक इंटरव्यू दिया. इसमें मोदी से साउथ चाइना सी और ईस्ट चाइना सी में हो रही चीनी सेना के विस्तार और ताइवान की स्थिति पर भारत का रुख जानने के लिए सवाल किए गए थे. मोदी ने कहा था कि भारत अपनी संप्रभुता और अखंडता की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है. उन्होंने आगे कहा कि इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए बांग्लादेश के साथ रिश्तों को सुधारा है. असल में मोदी का ये बयान ऐसे समय पर आया है जब चीन ने कश्मीर में होने वाली जी-20 बैठक को लेकर अपनी टांग अड़ाने की कोशिश की है. ... 

चीन ने क्या कहा है वो भी हम आपको बता देते है - चीन ने कहा है कि वो जम्मू-कश्मीर में होने वाली G-20 टूरिज्म वर्किंग ग्रुप की बैठक में शामिल नहीं होगा. ये जानकारी चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने दी है. वांग वेनबिन ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि चीन ‘विवादित क्षेत्र’ पर होने वाली बैठकों में शामिल नहीं होगा.आपको बता दे की ऐसे बयानों पर पहले ही भारतीय विदेश मंत्रालय कि ओर से कहा गया था कि भारत अपने किसी भी क्षेत्र में बैठक करने के लिए पूरी तरह से स्वतंत्र है.... तो है है चीन को भारत की ओर से करारा जवाब आपकी इसपर जो भी राय हो आप हमें कमेंट बॉक्स में बता सकते है।

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