मोसाद, CIA, रॉ से भी ताकतवर! चीन ने बनाया दुनिया का सबसे बड़ा जासूसी नेटवर्क, कौन है निशाने पर?
चीन की मिनिस्ट्री ऑफ स्टेट सिक्योरिटी (MSS) अब दुनिया की सबसे बड़ी और सक्रिय खुफिया एजेंसी बन चुकी है, जो ना केवल खुफिया जानकारी जुटाती है, बल्कि वैश्विक स्तर पर चीन के राजनीतिक और सुरक्षा एजेंडों को भी प्रभावी तरीके से लागू करती है.

चीन की मुख्य जासूसी एजेंसी, मिनिस्ट्री ऑफ स्टेट सिक्योरिटी (MSS), अब दुनिया की सबसे बड़ी और सबसे सक्रिय खुफिया एजेंसी बन चुकी है. ये खुलासा प्रसिद्ध प्रोग्राम 60 मिनट के एंकर ने 18 मई 2025 को किया. सीबीएस टेलीविजन नेटवर्क पर प्रसारित होने वाले इस प्रोग्राम ने चीन की वैश्विक जासूसी महत्वकांक्षा की एक स्पष्ट तस्वीर प्रस्तुत की है. रिपोर्ट में बताया गया है कि कैसे चीनी कम्युनिस्ट पार्टी अपनी सीमाओं से परे विदेशों में घटित घटनाओं की निगरानी और उन्हें प्रभावित करने के लिए एक गुप्त एजेंट नेटवर्क चला रही है. इसके अलावा, ये एजेंसी अमेरिका में रहने वाले चीनी असंतुष्टों की निगरानी और उनका डर फैलाने में भी सक्रिय है.
रिपोर्ट के मुताबिक, MSS ने पारंपरिक खुफिया जानकारी जुटाने से काफी आगे बढ़कर अपने एजेंटों की टीम में पश्चिमी देशों में शिक्षाविदों, व्यवसायियों और स्थानीय सरकारों में भी अपने लोग शामिल किए हैं. ये बदलाव चीन के महाशक्ति के रूप में उभरने के साथ हुआ है, जिसके बाद इसके जासूसी तंत्र ने भी अपनी कार्यशैली को व्यापक रूप से बदल दिया है. अब ये एजेंसी केवल देशों के रहस्यों को लक्षित नहीं करती, बल्कि वो अपना एजेंडा सेट करती है, नई टेक्नोलॉजी चुराती है और आवश्यकता पड़ने पर विदेशों में आलोचकों को चुप कराने के लिए भी सक्रिय होती है.
चीनी खुफिया एजेंसी का मुख्य लक्ष्य
पूर्व अमेरिकी राजनयिक जिम लुईस ने सीबीएस न्यूज से बात करते हुए बताया कि चीनी खुफिया एजेंसी का सबसे बड़ा टारगेट विदेशी सरकारें नहीं, बल्कि चीन के अपने नागरिक हैं जो विदेशों में रहते हैं. इनमें वे लोग शामिल हैं जो चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के प्रति वफादार नहीं हैं. ऐसे लोग चीन सरकार के लिए एक बड़ा खतरा माने जाते हैं. लुईस ने कहा कि विदेशों में चीनी नागरिक राष्ट्रपति शी जिनपिंग के शासन के लिए एक विशिष्ट संवेदनशील चुनौती प्रस्तुत करते हैं.
उन्होंने आगे कहा कि वे किसी शत्रुतापूर्ण विदेशी शक्ति के एजेंट हो सकते हैं या वे ऐसी सच्चाई को उजागर कर सकते हैं, जिसे शी जिनपिंग नहीं चाहते कि दुनिया जाने. एमएसएस के लिए, वे प्रत्यक्ष खतरा नहीं हो सकते, लेकिन वे एक जोखिम हैं जिन्हें प्रबंधित किया जाना चाहिए.
चीन की खुफिया एजेंसी का विस्तार
विशेषज्ञों का मानना है कि चीन की खुफिया एजेंसी ना केवल बड़ी है, बल्कि ये हर जगह मौजूद है. 1983 में स्थापित मिनिस्ट्री ऑफ स्टेट सिक्योरिटी (MSS) चीनी सरकार की सबसे अपारदर्शी शाखाओं में से एक मानी जाती है. इस एजेंसी का काम पारंपरिक रूप से गोपनीयता में लिपटा रहता था और ये आमतौर पर सार्वजनिक चर्चा से दूर रहती थी. हालांकि, शी जिनपिंग के कार्यकाल में इसकी वैश्विक मौजूदगी की कई घटनाएं सामने आई हैं. 2022 में चेन यिक्सिन के कमान संभालने के बाद से, MSS और भी ज्यादा साहसी और ज्यादा दिखाई देने वाला बन गया है.
अब ये एजेंसी अपने प्रचार वीडियो और डिजिटल अभियानों का इस्तेमाल करके अपनी शक्ति का प्रदर्शन करती है. इसके अलावा, इसका कार्यक्षेत्र भी काफी विस्तृत हो चुका है, जो केवल खुफिया जानकारी जुटाने तक सीमित नहीं है, बल्कि ये अपने राजनीतिक उद्देश्य और आंतरिक नियंत्रण के लिए भी काम करता है.
MSS के कार्यक्षेत्र और इसकी शक्तियां
चीनी खुफिया एजेंसी मिनिस्ट्री ऑफ स्टेट सिक्योरिटी (MSS) काउंटर इंटेलिजेंस, राजनीतिक सुरक्षा, घरेलू निगरानी और विदेशी खुफिया जानकारी जुटाने- पारंपरिक मानव खुफिया और साइबर दोनों, जैसे कार्यों में माहिर है. ये एजेंसी अपने पश्चिमी समकक्षों जैसे अमेरिकी CIA और ब्रिटिश MI6 के विपरीत, चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के राजनीतिक मिशन, आंतरिक नियंत्रण और शासन संरक्षण के साथ गहरे तरीके से जुड़ी हुई है.
जिम लुईस ने कहा कि MSS कुछ हद तक CIA के बराबर है, लेकिन इसके पास बहुत ज्यादा शक्तियां हैं. एक अनुमान के अनुसार, MSS में करीब 600,000 कर्मचारी हो सकते हैं, जो इसकी विशालता और कार्यक्षमता को दर्शाता है.


