भारत की ‘चिकन नेक’ पर चीन की नजरें, सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट मोड में
बांग्लादेश की अंतरिम यूनुस सरकार ने चीन के लिए रणनीतिक रूप से अहम लालमोनिरहाट क्षेत्र में एयरबेस निर्माण की अनुमति दी है. यह इलाका भारत के सिलीगुड़ी कॉरिडोर के बेहद करीब है, जिससे भारत की सुरक्षा चिंताएं बढ़ गई हैं. चीन की बढ़ती मौजूदगी पर भारतीय एजेंसियां सतर्क हैं.

भारत के लिए चिंता का विषय बन चुका बांग्लादेश का लालमोनिरहाट हवाई अड्डा, जो भारत के सिलीगुड़ी कॉरिडोर (Chicken's Neck) से महज 120 किलोमीटर दूर स्थित है, अब चीन की सैन्य उपस्थिति का केंद्र बनने की संभावना से जुड़ा हुआ है. यह द्वितीय विश्व युद्ध के समय का एक पुराना हवाई अड्डा है, जिसे बांग्लादेश सरकार ने पुनर्निर्माण के लिए चीन से मदद मांगी है. हाल ही में चीनी प्रतिनिधिमंडल ने इस स्थल का निरीक्षण किया, जिससे भारत की सुरक्षा एजेंसियों की चिंता बढ़ गई है.
सिलीगुड़ी कॉरिडोर भारत के पूर्वोत्तर राज्यों को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ने वाला एक संकीर्ण गलियारा है. यदि लालमोनिरहाट में चीन की सैन्य उपस्थिति स्थापित होती है, तो यह भारत के लिए एक गंभीर सुरक्षा चुनौती उत्पन्न कर सकता है. विशेषज्ञों के अनुसार, यह चीन की 'स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स' रणनीति का हिस्सा हो सकता है, जिसके तहत वह हिंद महासागर क्षेत्र में अपने प्रभाव का विस्तार कर रहा है. इससे भारत की पूर्वी सीमाओं पर दबाव बढ़ सकता है.
बांग्लादेश की बदलती विदेश नीति
मोहम्मद यूनुस की सरकार के तहत बांग्लादेश ने चीन और पाकिस्तान के साथ अपने रक्षा संबंधों को मजबूत किया है. हाल ही में बांग्लादेशी पायलटों को पाकिस्तान भेजकर JF-17 लड़ाकू विमानों की ट्रेनिंग दी गई है, जो चीन और पाकिस्तान द्वारा संयुक्त रूप से विकसित किए गए हैं. इसके अलावा, चीन ने बांग्लादेश को उपग्रह, मिसाइल प्रणाली और अन्य रक्षा उपकरणों की आपूर्ति की है, जिससे भारत की चिंताएँ बढ़ गई हैं.
भारत की प्रतिक्रिया
भारत ने इस विकास पर गंभीर ध्यान दिया है और अपनी सुरक्षा रणनीतियों को पुनः मूल्यांकन किया है. विशेषज्ञों का मानना है कि भारत को अपनी सैन्य तैयारियों को मजबूत करना चाहिए और बांग्लादेश के साथ कूटनीतिक संवाद को बढ़ाना चाहिए, ताकि इस स्थिति का शांतिपूर्ण समाधान निकाला जा सके. लालमोनिरहाट हवाई अड्डे के पुनर्निर्माण और चीन की संभावित सैन्य उपस्थिति से जुड़ी गतिविधियाँ भारत के लिए एक महत्वपूर्ण सुरक्षा चुनौती प्रस्तुत करती हैं. इससे निपटने के लिए भारत को अपनी रक्षा नीति और कूटनीतिक प्रयासों को सुदृढ़ करना होगा.


