आंख में धूल झौंककर ईरान पहुंचा चाइनीज कार्गो प्लेन! भारी मात्रा में हथियार सप्लाई करने की अटकलें
चीनी मालवाहक विमान ने ईरान में रहस्यमय तरीके से लैंडिंग की, जबकि ईरान का हवाई क्षेत्र इजरायल संघर्ष के कारण बंद है. विमान ने ट्रांसपोंडर बंद कर गुप्त सैन्य सामग्री पहुंचाई. चीन ने इजरायली हमलों की निंदा की और नागरिकों के लिए निकासी सलाह दी. ईरान ने परमाणु संधि छोड़ने की धमकी दी, जबकि चीन-ईरान रणनीतिक साझेदारी मजबूत हो रही है.

हाल ही में एक चीनी मालवाहक विमान ईरान में रहस्यमय परिस्थितियों में उतरा है. यह घटना इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इस समय ईरान का हवाई क्षेत्र इजरायल के साथ बढ़ते तनाव के कारण आधिकारिक तौर पर बंद है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस विमान ने ईरानी हवाई क्षेत्र में प्रवेश करने से पहले अपने ट्रांसपोंडर बंद कर दिए, जिससे वह रडार और वाणिज्यिक ट्रैकिंग सिस्टम के लिए अदृश्य हो गया. यह गुप्त कदम क्षेत्र में सैन्य आपूर्ति पहुंचाने के एक गुप्त मिशन की ओर संकेत करता है.
सैन्य सामग्री पहुंचाने का शक
रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि इस विमान में सैन्य उपकरण या प्रतिबंधित सामान था, जो ईरान की रक्षा क्षमताओं को मजबूत करने के उद्देश्य से भेजा गया था. खास बात यह है कि विमान की लैंडिंग के दौरान पूरी गोपनीयता बरती गई, जैसे ट्रांसपोंडर का बंद होना और तेहरान में बिना घोषणा के पहुंचना. यह दर्शाता है कि दोनों देशों के बीच इस ऑपरेशन के लिए उच्च स्तरीय समन्वय हुआ है.
चीन की निंदा
इस घटना की पृष्ठभूमि में चीन ने हाल ही में इजरायल के ऑपरेशन ‘राइजिंग लॉयन’ की कड़ी आलोचना की है. यह ऑपरेशन ईरान के कई सैन्य ठिकानों पर हमलों की एक श्रृंखला है. चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने इन हमलों पर “गहरी चिंता” जताई और ईरानी संप्रभुता के उल्लंघन को लेकर बीजिंग के विरोध को स्पष्ट किया. उन्होंने कहा कि चीन इस ऑपरेशन के गंभीर नतीजों से बेहद चिंतित है.
चीनी नागरिकों के लिए निकासी सलाह
तेल अवीव में चीन के दूतावास ने अपने नागरिकों के लिए निकासी सलाह जारी की है. दूतावास ने सुरक्षा की बिगड़ती स्थिति और इजरायल के हवाई क्षेत्र के बंद होने का हवाला देते हुए, जॉर्डन के भूमि मार्गों से तुरंत प्रस्थान करने को कहा. साथ ही “नागरिक हताहतों में वृद्धि” और “बिगड़ते सुरक्षा हालात” की चेतावनी भी दी गई है.
ईरान की परमाणु चेतावनी
वहीं, ईरान ने इजरायली हमलों के जवाब में परमाणु अप्रसार संधि (NPT) छोड़ने की धमकी दी है. यह बड़ा कूटनीतिक झटका होगा, क्योंकि यह दशकों से चली आ रही परमाणु कूटनीति को खत्म कर सकता है. तेहरान सरकार के एक प्रवक्ता ने कहा है कि वे “सभी विकल्पों पर विचार कर रहे हैं,” जो उनकी हताशा और रणनीतिक ताकत बढ़ाने की मंशा को दर्शाता है.
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— Inconvenient Truths by Jennifer Zeng (@jenniferzeng97) June 17, 2025
Two giant cargo planes flying from China to Iran turned off their tracking signals before entering Iranian airspace.
Reports suggest they may be carrying military supplies.
Also, watch my show from last year. This is not the first time that the CCP has… https://t.co/cRH5GRgEq3
चीन और ईरान के गहरे रणनीतिक संबंध
इस पूरे घटनाक्रम से चीन और ईरान के बीच बढ़ते हुए रणनीतिक संबंधों का पता चलता है. 2021 में दोनों देशों ने 25 साल के सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर किए, जो ऊर्जा, बुनियादी ढांचे और सैन्य तकनीक पर आधारित है. चीन ईरान का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है और वहां के तेल का लगभग 90 प्रतिशत हिस्सा चीन को निर्यात होता है. यह व्यापार अक्सर अमेरिकी प्रतिबंधों को दरकिनार करने के अप्रत्यक्ष रास्तों से होता है.
❤️🇨🇳🇮🇷 BREAKING: Another CHINESE CARGO PLANE is en route to IRAN. pic.twitter.com/xj0A1GpfbQ
— Jackson Hinkle 🇺🇸 (@jacksonhinklle) June 16, 2025
हथियारों की सप्लाई
हालांकि 2005 के बाद चीन से ईरान को आधिकारिक हथियारों की बिक्री में कमी आई है, लेकिन बीजिंग अभी भी मिसाइल घटकों, ड्रोन तकनीक और तकनीकी मदद ईरान को मुहैया कराता है. साथ ही चीन और रूस के संयुक्त नौसैनिक अभ्यास यह संकेत देते हैं कि दोनों देश पश्चिमी प्रभुत्व को चुनौती देने वाली बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था बनाने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं.


