क्या यूरोप ने लिखी रूस पर हमले का स्क्रिप्ट? जेलेंस्की ने कैसे किया ‘ऑपरेशन पर्ल हार्बर’?
यूक्रेन ने रूस के चार एयरबेस और एक नौसैनिक अड्डे पर बड़ा हमला कर 40 बमवर्षक नष्ट किए. यह तीन साल में रूस को सबसे बड़ा झटका है. क्रेमलिन में आपात बैठकें जारी हैं. रूसी एयर डिफेंस की नाकामी और नाटो की भूमिका पर सवाल उठने लगे हैं.

यूक्रेन और रूस के बीच जारी जंग अब एक खतरनाक मोड़ पर पहुंच गई है. तीन साल की लड़ाई में पहली बार यूक्रेन ने रूसी सरजमीं पर इतना बड़ा हमला किया है कि क्रेमलिन में हड़कंप मच गया है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, यूक्रेन ने रूस के चार एयरबेस और एक नेवल बेस को एकसाथ निशाना बनाकर वहां खड़े करीब 40 बॉम्बर्स और एयरक्राफ्ट को तबाह कर दिया है. इसे ‘ऑपरेशन पर्ल हार्बर’ का नाम दिया गया है, जिसने रूसी फौज को गहरा जख्म दे दिया है.
चार एयरबेस और एक नेवल बेस पर हमला
यूक्रेन ने दावा किया है कि उसने रूस के बेलाया, इवानोवो, ओलिनिया और दागिलेवो एयरबेस को टारगेट किया. यहां रूस के TU-95, TU-22 जैसे परमाणु क्षमता वाले बॉम्बर्स खड़े थे. इसके अलावा A-50 जैसे हाईटेक सर्वेलेंस एयरक्राफ्ट भी तबाह हुए हैं. हमले का सबसे चौंकाने वाला पहलू ये था कि रूस की एडवांस्ड एयर डिफेंस प्रणाली पूरी तरह फेल हो गई और यूक्रेन के ड्रोन सिस्टम ने हैंगर के अंदर तक पहुंचकर धमाके किए.
सेवरोमोरस्क नेवल बेस भी ध्वस्त
यूक्रेन ने सेवरोमोरस्क नेवल बेस पर भी हमला किया, जहां रूस की परमाणु पनडुब्बियां और युद्धपोत तैनात थे. आशंका जताई जा रही है कि इन पर भी भारी नुकसान पहुंचा है. इस हमले के बाद पूरे रूस में एयर अलर्ट घोषित कर दिया गया और रूसी एयरफोर्स ने अपने बाकी बचे बॉम्बर्स और फाइटर जेट्स को छिपाना शुरू कर दिया.
नाटो की भूमिका पर सवाल
यूक्रेन का यह हमला इतना सुनियोजित और सटीक था कि इसे अकेले अंजाम देना मुश्किल माना जा रहा है. रिपोर्ट्स में दावा है कि नाटो ने सैटेलाइट इंटेलिजेंस और हैकिंग के ज़रिए यूक्रेन को मदद दी. यहां तक कि रूसी एयर डिफेंस को हैक करके उसे निष्क्रिय कर दिया गया, जिससे यूक्रेन को बेधड़क हमला करने का मौका मिला.
क्रेमलिन में पुतिन की इमरजेंसी मीटिंग
हमले के बाद राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने रूसी सिक्योरिटी काउंसिल की इमरजेंसी मीटिंग बुलाई. माना जा रहा है कि अब पुतिन केवल यूक्रेन ही नहीं बल्कि यूरोप के कुछ देशों पर भी जवाबी हमला कर सकते हैं. युद्ध अब एक नए चरण में प्रवेश कर चुका है, और इसका असर न सिर्फ रूस-यूक्रेन बल्कि पूरी दुनिया पर पड़ सकता है.


