अपने ही घर में फुस्स हुआ ट्रंप का टैरिफ शो...सीनेट ने फैसले के खिलाफ जताया विरोध, चार रिपब्लिकन्स का भी मिला साथ
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीति को लेकर उनकी ही पार्टी में असंतोष बढ़ा है. सीनेट में 51-47 मतों से विरोधी प्रस्ताव पारित हुआ, जिसमें चार रिपब्लिकन सीनेटर भी शामिल थे. ट्रंप ने टैरिफ को शांति का हथियार बताया, पर विशेषज्ञों ने उनके दावों पर संदेह जताया.

नई दिल्लीः अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीति अब उनकी ही पार्टी के भीतर असंतोष का कारण बन गई है. अमेरिकी सीनेट में ट्रंप प्रशासन के शुल्क (टैरिफ) फैसलों के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया गया, जिसमें रिपब्लिकन पार्टी के चार सीनेटरों ने भी विपक्ष का साथ दिया. यह तीसरी बार है जब ट्रंप की व्यापार नीति के खिलाफ मतदान हुआ है, जो इस बात का संकेत है कि पार्टी के भीतर भी उनके फैसलों को लेकर मतभेद बढ़ रहे हैं.
सीनेट में पारित हुआ प्रस्ताव
रिपोर्टों के अनुसार, यह प्रस्ताव 51-47 मतों से पारित हुआ. इस मतदान में रिपब्लिकन पार्टी की ओर से अलास्का की लीसा मुर्कोस्की, मैन की सुजैन कॉलिन्स और केंटकी के रैंड पॉल व मिच मैकॉनल ने प्रस्ताव का समर्थन किया. हालांकि विश्लेषकों का मानना है कि इस प्रस्ताव का ट्रंप की टैरिफ नीति पर तत्काल कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, क्योंकि इसे प्रतिनिधि सभा (हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स) से भी मंजूरी मिलना आवश्यक है. फिलहाल, रिपब्लिकन नेतृत्व ने यह संकेत दिया है कि वे इस प्रस्ताव को हाउस में आगे नहीं बढ़ाएंगे.
ट्रंप की टैरिफ डिप्लोमेसी पर सवाल
डोनाल्ड ट्रंप हाल के दिनों में कई अंतरराष्ट्रीय विवादों को लेकर अपने शुल्क नीति को शांति का हथियार बता रहे हैं. उन्होंने दावा किया है कि उनकी टैरिफ नीति ने भारत और पाकिस्तान जैसे देशों को युद्ध से पीछे हटने पर मजबूर कर दिया. ट्रंप ने 20 अक्टूबर को एक बयान में कहा था कि भारत और पाकिस्तान के बीच गोलीबारी में सात विमान मार गिराए गए थे, और उन्होंने दोनों देशों पर भारी टैरिफ लगाने की धमकी दी थी, जिससे उन्हें युद्ध रोकना पड़ा.
ट्रंप ने अपने बयान में कहा कि मैंने भारत और पाकिस्तान से कहा कि अगर उन्होंने युद्ध जारी रखा तो हम 200 प्रतिशत शुल्क लगाएंगे. इससे उनके लिए व्यापार असंभव हो जाएगा. इस चेतावनी ने दोनों देशों को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया.
विशेषज्ञों ने जताई शंका
हालांकि, अंतरराष्ट्रीय विश्लेषक और अमेरिकी मीडिया ट्रंप के इस दावे को लेकर संदेह जता रहे हैं. उनका कहना है कि भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव में कमी का कारण राजनयिक वार्ता और अंतरराष्ट्रीय दबाव था, न कि अमेरिकी टैरिफ की धमकी. कई विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप का यह बयान घरेलू राजनीति को प्रभावित करने और अपनी सख्त नेता की छवि को मजबूत करने की कोशिश है.
पार्टी के भीतर बढ़ती बेचैनी
रिपब्लिकन पार्टी के भीतर टैरिफ नीति को लेकर मतभेद नया नहीं है. कई सीनेटरों का मानना है कि ट्रंप की संरक्षणवादी (protectionist) नीति अमेरिकी उद्योग और उपभोक्ताओं पर बोझ डाल रही है. रैंड पॉल जैसे नेता पहले भी कह चुके हैं कि टैरिफ के कारण अमेरिकी अर्थव्यवस्था में मुद्रास्फीति और निर्यात संकट बढ़ सकता है.
इसके बावजूद, ट्रंप प्रशासन अपनी नीति पर अडिग दिखाई देता है. व्हाइट हाउस ने इस वोट को ‘राजनीतिक प्रतीकात्मकता’ करार देते हुए कहा कि राष्ट्रपति अपने अमेरिकी हितों की रक्षा के लिए किसी भी तरह का आर्थिक दबाव बनाने से पीछे नहीं हटेंगे.


