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ईरान में आर्थिक संकट गहराया, रियाल रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंचा, बड़े विरोध प्रदर्शन, केंद्रीय बैंक प्रमुख का इस्तीफा

ईरान में आर्थिक हालात को लेकर जनता का गुस्सा एक बार फिर सड़कों पर फूट पड़ा है. अमेरिकी डॉलर के मुकाबले ईरानी मुद्रा रियाल के अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंचने के बाद देशभर में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं. 

Yogita Pandey
Edited By: Yogita Pandey

नई दिल्ली: ईरान की चरमराती अर्थयवस्था को देख लोग सड़को पर उतर आए. हालत इतने बिगड़ गए कि ईरान के केंद्रीय बैंक प्रमुख मोहम्मद रजा फरज़िन को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा. अमेरिकी डॉलर के मुकाबले ईरान की मुद्रा रियाल अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया जिसके बाद पुरे देश में विरोद प्रदर्शन शुरू हो गए. 

बढ़ती महंगाई और गिरती क्रयशक्ति ने आम लोगों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं, जिसका सीधा असर राजधानी तेहरान समेत कई बड़े शहरों में देखने को मिला.बीते तीन वर्षों में यह सबसे बड़े विरोध प्रदर्शनों में से एक माना जा रहा है, जिसने सरकार की आर्थिक नीतियों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं.

तेहरान समेत कई शहरों में भड़का आक्रोश

सरकारी टेलीविजन के मुताबिक, केंद्रीय बैंक प्रमुख के इस्तीफे के समय प्रदर्शनकारी तेहरान के कई इलाकों और अन्य प्रमुख शहरों में सड़कों पर उतर आए थे. समाचार एजेंसी एसोसिएटेड प्रेस के अनुसार, व्यापारियों और दुकानदारों ने तेहरान के सादी स्ट्रीट और राजधानी के मुख्य ग्रैंड बाज़ार के पास स्थित शुश इलाके में रैलियां निकालीं.

ग्रैंड बाज़ार को ईरान में राजनीतिक बदलाव का अहम प्रतीक माना जाता है, क्योंकि 1979 की इस्लामी क्रांति में यहां के व्यापारियों की बड़ी भूमिका रही थी.

अन्य शहरों तक फैला विरोध

आईआरएनए समाचार एजेंसी ने भी विरोध प्रदर्शनों की पुष्टि की है. प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, इस्फ़हान, शिराज और मशहद जैसे शहरों में भी इसी तरह की रैलियां देखने को मिलीं. वहीं, तेहरान के कुछ इलाकों में पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले दागे.

2022 के बाद सबसे बड़ा आंदोलन

सोमवार को हुआ यह प्रदर्शन 2022 के बाद सबसे बड़ा माना जा रहा है. उस समय 22 वर्षीय महसा जिना अमिनी की पुलिस हिरासत में मौत के बाद देशभर में लंबे समय तक विरोध प्रदर्शन चले थे. अमिनी को हिजाब नियमों के कथित उल्लंघन के आरोप में नैतिकता पुलिस ने हिरासत में लिया था, जिसके बाद हालात बेकाबू हो गए थे.

व्यापारियों ने बंद की दुकानें

प्रत्यक्षदर्शियों ने एसोसिएटेड प्रेस को बताया कि कई व्यापारियों ने विरोध स्वरूप अपनी दुकानें बंद कर दीं और दूसरों से भी ऐसा करने की अपील की. अर्धसरकारी समाचार एजेंसी आईएलएनए के अनुसार, कुछ दुकानें खुली रहीं, लेकिन बाजारों में कारोबार बेहद सुस्त रहा. इससे एक दिन पहले विरोध प्रदर्शन तेहरान के केंद्र में स्थित दो मोबाइल बाजारों तक सीमित थे, जहां सरकार विरोधी नारे लगाए गए थे.

रियाल की ऐतिहासिक गिरावट

इस अशांति की जड़ ईरानी मुद्रा रियाल की भारी गिरावट है. रविवार को रियाल 1.42 मिलियन प्रति डॉलर के रिकॉर्ड निचले स्तर तक पहुंच गया था. हालांकि सोमवार को इसमें मामूली सुधार हुआ और यह लगभग 1.38 मिलियन प्रति डॉलर पर आ गया.
जब मोहम्मद रजा फरज़िन ने 2022 में केंद्रीय बैंक प्रमुख का पद संभाला था, उस समय रियाल की कीमत करीब 4,30,000 प्रति डॉलर थी.

महंगाई ने तोड़ी आम लोगों की कमर

तेजी से गिरती मुद्रा के चलते महंगाई का दबाव लगातार बढ़ता जा रहा है. भोजन और रोजमर्रा की जरूरतों की कीमतें आसमान छू रही हैं, जिससे परिवारों का बजट बुरी तरह प्रभावित हुआ है.

ईरान के सरकारी सांख्यिकी केंद्र के अनुसार, दिसंबर में महंगाई दर 42.2 प्रतिशत रही, जो पिछले साल और नवंबर दोनों से ज्यादा है. खाद्य पदार्थों की कीमतों में सालाना आधार पर 72 प्रतिशत, जबकि स्वास्थ्य और चिकित्सा से जुड़ी वस्तुओं में 50 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है. कई आलोचक इन आंकड़ों को अति मुद्रास्फीति की ओर इशारा मान रहे हैं.

प्रतिबंधों से जुड़ी हैं आर्थिक मुश्किलें

ईरान की आर्थिक समस्याएं अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों से गहराई से जुड़ी हुई हैं. 2015 के परमाणु समझौते के दौरान, जब ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर सीमाएं लगाने के बदले प्रतिबंधों में ढील दी गई थी, तब रियाल की कीमत डॉलर के मुकाबले करीब 32,000 थी.

हालांकि 2018 में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा अमेरिका को समझौते से बाहर निकालने के बाद यह व्यवस्था टूट गई और ईरान पर आर्थिक दबाव दोबारा बढ़ गया.

युद्ध और नए प्रतिबंधों से बढ़ी अनिश्चितता

जून में ईरान और इज़राइल के बीच हुए 12 दिवसीय युद्ध के बाद अनिश्चितता और गहरा गई है. एक बड़े क्षेत्रीय संघर्ष की आशंका, जिसमें अमेरिका के शामिल होने की संभावना भी जताई जा रही है, ने बाजारों पर अतिरिक्त दबाव डाल दिया है.

सितंबर में संयुक्त राष्ट्र ने तथाकथित स्नैपबैक तंत्र के तहत ईरान पर परमाणु संबंधी प्रतिबंध फिर से लागू कर दिए. इसके तहत विदेशों में ईरान की संपत्तियां फ्रीज़ कर दी गईं, हथियारों के लेन-देन पर रोक लगी और बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम से जुड़े दंड लगाए गए.

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