कौन थे जियाउर रहमान? जिनकी राष्ट्रपति रहते सेना के बागियों ने कर दी थी गोलीबारी में हत्या
बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री और बीएनपी की चेयरपर्सन बेगम खालिदा जिया अब हमारे बीच नहीं रहीं. 80 वर्ष की उम्र में उन्होंने ढाका के एवरकेयर अस्पताल में लंबी बीमारी के बाद सुबह करीब 6 बजे आखिरी सांस ली. उनकी पार्टी बीएनपी ने सोशल मीडिया पर इसकी आधिकारिक पुष्टि की है.

नई दिल्ली: बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री और बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) की अध्यक्ष खालिदा जिया का निधन हो गया है. 80 वर्ष की उम्र में उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कहा. उनके निधन की पुष्टि स्वयं बीएनपी की ओर से की गई है. बताया गया कि खालिदा जिया लंबे समय से गंभीर बीमारियों से जूझ रही थीं और उनका इलाज चल रहा था.
खालिदा जिया का नाम बांग्लादेश की राजनीति में एक मजबूत और प्रभावशाली नेता के रूप में लिया जाता रहा है. हालांकि उनका राजनीतिक सफर अचानक नहीं शुरू हुआ था. राजनीति में उनका प्रवेश एक दर्दनाक घटना के बाद हुआ, जब उनके पति और तत्कालीन राष्ट्रपति जियाउर रहमान की हत्या कर दी गई थी. इसी घटना ने खालिदा जिया को राजनीति की राह पर आगे बढ़ने के लिए मजबूर किया.
कौन थे जियाउर रहमान?
जियाउर रहमान बांग्लादेश के एक प्रमुख सैन्य अधिकारी थे, जो बाद में देश के बड़े राजनीतिक नेता के रूप में उभरे. उन्होंने पाकिस्तान से आजादी की लड़ाई में अहम भूमिका निभाई थी और सेना में सर्वोच्च पदों तक पहुंचे. 25 अगस्त 1975 को जियाउर रहमान को बांग्लादेश का सेना प्रमुख नियुक्त किया गया. देश में उन्हें ‘जिया’ के नाम से भी जाना जाता था.
राष्ट्रपति बनने तक का सफर
राष्ट्रपति अबू सदात मोहम्मद सईम के इस्तीफे के बाद वर्ष 1977 में जियाउर रहमान को बांग्लादेश का राष्ट्रपति बनाया गया. इसके बाद उन्होंने 1978 में बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) की स्थापना की. उनकी पार्टी ने 1979 में हुए आम चुनावों में शानदार जीत दर्ज की. इसी जीत के साथ जियाउर रहमान बांग्लादेश के पहले निर्वाचित राष्ट्रपति बने.
राष्ट्रपति की हत्या से हिल गया देश
जियाउर रहमान की हत्या की साजिश काफी समय से रची जा रही थी. आखिरकार 29 मई 1981 को चटगांव में इस साजिश को अंजाम दिया गया. बांग्लादेश के खुफिया विभाग की ओर से चेतावनी मिलने के बावजूद जियाउर रहमान चटगांव पहुंचे थे. वहीं सेना के कुछ अधिकारियों ने मिलकर उनकी हत्या कर दी. इस साजिश में लेफ्टिनेंट कर्नल मोतीउर रहमान की भूमिका अहम बताई जाती है.
राजनीति में खालिदा जिया का प्रवेश
पति की हत्या के बाद खालिदा जिया ने राजनीति में कदम रखा और धीरे-धीरे बीएनपी की कमान संभाली. उन्होंने बांग्लादेश की राजनीति में एक मजबूत विपक्षी नेता के रूप में अपनी पहचान बनाई और देश की प्रधानमंत्री भी बनीं. उनके निधन के साथ ही बांग्लादेश की राजनीति के एक अहम अध्याय का अंत हो गया है.


