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साल की आखिरी पौष पुत्रदा एकादशी पर 3 दुर्लभ शुभ योग, 30 या 31 दिसंबर कब रखें व्रत, जानें सही तिथि और पारण समय

पौष मास की पुत्रदा एकादशी इस बार 30 दिसंबर की सुबह 7:50 बजे से शुरू होकर यह पवित्र एकादशी 31 दिसंबर की सुबह 5 बजे तक चलेगी. यानी व्रत रखने की दो तारीखें हैं.

Goldi Rai
Edited By: Goldi Rai

नई दिल्ली: भगवान श्रीहरि विष्णु की कृपा पाने के लिए एकादशी का व्रत अत्यंत पुण्यदायी माना जाता है. सभी एकादशियों में पौष पुत्रदा एकादशी का विशेष महत्व बताया गया है. यह व्रत न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि शारीरिक, मानसिक और आर्थिक रूप से भी लाभकारी माना जाता है. खासतौर पर संतान सुख की कामना और संतान से जुड़ी समस्याओं के समाधान के लिए यह व्रत रखा जाता है.

इस वर्ष पौष मास की पुत्रदा एकादशी का व्रत साल के अंतिम दिन, यानी 31 दिसंबर 2025 को रखा जाएगा. इस एकादशी की खास बात यह है कि इस दिन तीन अत्यंत शुभ योगों का दुर्लभ संयोग बन रहा है, जिससे व्रत और पूजा का महत्व और भी बढ़ जाता है.

कब है पौष पुत्रदा एकादशी?

पौष पुत्रदा एकादशी की तिथि 30 दिसंबर की सुबह 7 बजकर 50 मिनट से प्रारंभ होकर 31 दिसंबर की सुबह 5 बजे तक रहेगी. तिथि के अनुसार, कुछ श्रद्धालु 30 दिसंबर को व्रत रखेंगे, जबकि कुछ लोग 31 दिसंबर को एकादशी का व्रत करेंगे.

जो भक्त 30 दिसंबर को व्रत रखेंगे, वे 31 दिसंबर की सुबह पारण करेंगे, वहीं 31 दिसंबर को व्रत रखने वाले श्रद्धालु 1 जनवरी 2026 की सुबह पारण करेंगे.

त्रिपुष्कर योग का दुर्लभ संयोग

पौष पुत्रदा एकादशी के दिन त्रिपुष्कर योग का विशेष संयोग बन रहा है. ज्योतिष शास्त्र में इस योग को अत्यंत शुभ और फलदायी माना गया है. 31 दिसंबर को यह योग सुबह 5 बजे से लेकर 7 बजकर 14 मिनट तक रहेगा. करीब 2 घंटे 14 मिनट तक रहने वाले इस योग में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने से विशेष लाभ प्राप्त होने की मान्यता है.

सर्वार्थ सिद्धि योग भी देगा शुभ फल

साल 2025 की अंतिम एकादशी पर सर्वार्थ सिद्धि योग का भी निर्माण हो रहा है. यह शुभ योग 31 दिसंबर को सुबह 3 बजकर 58 मिनट से लेकर सुबह 7 बजकर 14 मिनट तक रहेगा. इस दौरान श्रीहरि भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करने से धन-समृद्धि और सुख-वैभव की प्राप्ति हो सकती है.

रवि योग में दान-स्नान का महत्व

द्रिक पंचांग के अनुसार, 31 दिसंबर को पौष पुत्रदा एकादशी के अवसर पर रवि योग भी रहेगा. यह योग सुबह 5 बजकर 47 मिनट से लेकर सुबह 9 बजकर 28 मिनट तक प्रभावी रहेगा. इस शुभ समय में दान और स्नान का विशेष महत्व बताया गया है, जिससे पुण्य फल में वृद्धि होती है.

Disclaimer: ये धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है, JBT इसकी पुष्टि नहीं करता.

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