युद्ध को सुलझाने और शांति स्थापित करने में एक्सपर्ट...PAK-अफगान तनाव के बीच ट्रंप ने मध्यस्थता का दिया प्रस्ताव
Trump Peace Deals : अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच सीमा संघर्ष में मध्यस्थता की पेशकश की है. ट्रंप ने खुद को युद्ध सुलझाने का विशेषज्ञ बताया और कहा कि यह उनका 8वां संघर्ष होगा जिसे वह खत्म करेंगे. हाल ही में दोनों देशों की सेनाओं के बीच भारी झड़पें हुई थीं. ट्रंप ने पहले भी भारत-पाक संघर्ष में मध्यस्थता का दावा किया था, जिसे भारत ने खारिज किया.

Trump Peace Deals : अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर खुद को वैश्विक संकटों के समाधानकर्ता के रूप में प्रस्तुत करते हुए पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच बढ़ते सीमा विवाद को सुलझाने की पेशकश की है. हालिया घटनाओं के मद्देनज़र ट्रंप ने कहा कि वह इन दोनों देशों के बीच मध्यस्थता कर शांति स्थापित करना चाहते हैं. ट्रंप ने खुद को "युद्धों को सुलझाने वाला विशेषज्ञ" बताया और कहा कि यह उनके लिए गर्व की बात होगी अगर वे इस संघर्ष को समाप्त कर पाएं.
सीमा पर हालात तनावपूर्ण, दोनों पक्षों को नुकसान
मैं शांति स्थापित करने में विशेषज्ञ हूं... ट्रंप का दावा
ट्रंप ने इस संघर्ष पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, "यह मेरा 8वां युद्ध होगा जिसे मैं सुलझाने जा रहा हूं." उन्होंने गाजा संघर्ष और भारत-पाकिस्तान के बीच के तनाव सहित कई अंतरराष्ट्रीय मुद्दों को शांतिपूर्वक निपटाने का दावा किया. ट्रंप ने कहा कि उन्होंने व्यापारिक दबाव, टैरिफ की धमकी और कूटनीतिक रणनीति से कई युद्धों को रोका है. उनके अनुसार, शांति स्थापित करना उनके लिए केवल एक राजनीतिक कार्य नहीं बल्कि “सम्मान” की बात है.
पहले भी कर चुके भारत-PAK मध्यस्थता का दावा
डोनाल्ड ट्रंप इससे पहले भी भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता की पेशकश कर चुके हैं, खासकर कश्मीर मुद्दे को लेकर. हालांकि भारत ने हर बार उनके इस दावे को सिरे से खारिज कर दिया. भारत का यह स्पष्ट रुख रहा है कि कश्मीर एक द्विपक्षीय मुद्दा है और इसमें किसी तीसरे पक्ष की भूमिका नहीं हो सकती. इसके बावजूद ट्रंप बार-बार अंतरराष्ट्रीय मंचों पर खुद को एक "शांति निर्माता" के रूप में प्रस्तुत करते रहे हैं.
ट्रंप की वैश्विक राजनीति में सक्रियता का संकेत
इस बयान के माध्यम से ट्रंप ने यह साफ कर दिया है कि वह अब भी अंतरराष्ट्रीय राजनीति में प्रभावी भूमिका निभाने के इच्छुक हैं. भले ही वह अब अमेरिकी राष्ट्रपति नहीं हैं, लेकिन विश्व राजनीति के बड़े मसलों पर टिप्पणी और मध्यस्थता की इच्छा जताकर वह यह दर्शाते हैं कि उनकी वैश्विक छवि अब भी बनी हुई है. विशेष रूप से ऐसे समय में जब अमेरिका की विदेशी नीति को लेकर दुनिया भर में सवाल उठते हैं, ट्रंप अपनी सक्रिय भूमिका से फिर सुर्खियों में हैं.
क्या मध्यस्थता की यह पेशकश स्वीकार होगी?
हालांकि ट्रंप की यह पेशकश कितनी व्यावहारिक है और इसे पाकिस्तान या अफगानिस्तान कितनी गंभीरता से लेंगे, यह अभी स्पष्ट नहीं है. दोनों देशों के बीच हालिया तनाव काफी गहरा है और तालिबान की सत्ता में वापसी के बाद से अफगानिस्तान की विदेश नीति में काफी बदलाव आए हैं. ऐसे में ट्रंप की मध्यस्थता को स्वीकार करना या न करना, दोनों देशों की आंतरिक राजनीति और अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर निर्भर करेगा.


