न अमेरिका न रूस, इस देश ने बनाया दुनिया का पहला फाइटर जेट और बदल दी आसमान की जंग!
आज अमेरिका, रूस और चीन जैसे देश एडवांस्ड लड़ाकू विमान बना रहे हैं, लेकिन दुनिया का सबसे पहला फाइटर जेट न उन्होंने बनाया, न खरीदा। आइए जानते हैं वो कौन सा देश था जिसने यह इतिहास रचा।

International News: जिन देशों को हम आज लड़ाकू विमानों की दुनिया का बादशाह मानते हैं, उस दौर में वो शुरुआत भी नहीं कर पाए थे। अमेरिका और रूस जब हवाई ताकत का सपना देख ही रहे थे, तब जर्मनी ने इतिहास रच दिया था। उसने ऐसा फाइटर जेट बनाया जो आने वाले सौ साल की तकनीक को जन्म दे गया।
मेसर्सचिमिट Me 262 नाम के इस विमान ने युद्ध की परिभाषा ही पलट दी। इसकी रफ्तार इसकी आग, और इसकी ऊंचाई ने आसमान का खेल ही बदल दिया। यह न सिर्फ पहला जेट था, बल्कि पहली चेतावनी थी कि युद्ध अब ज़मीन पर नहीं, हवा में भी लड़ा जाएगा। जर्मनी की इस चाल ने दुनिया की सैन्य सोच को हमेशा के लिए बदल डाला।
जर्मनी ने सबसे पहले बनाया
दुनिया का पहला फाइटर जेट जर्मनी ने बनाया था। इसका नाम था मेसर्सचमिट Me 262। यह लड़ाकू विमान 1944 में वर्ल्ड वॉर 2 में पहली बार इस्तेमाल हुआ था। यह पिस्टन इंजन नहीं, जेट इंजन से चलता था। इससे हवा में रफ्तार और ताकत का नया युग शुरू हुआ।
वॉर में मचा दी थी तबाही
Me 262 ने अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देशों की नींद उड़ा दी थी। उनके फाइटर प्लेन इसकी बराबरी नहीं कर पाते थे। यह दुश्मन के प्लेन से टकराता, गोली बरसाता और पल में हवा हो जाता। इसकी तेज रफ्तार ने जंग का तरीका ही बदल दिया।
शुरुआत में कई दिक्कतें आईं
शुरुआत में इस प्लेन में कई खराबियां थीं। लेकिन जर्मनी के इंजीनियरों ने दिन-रात मेहनत की। उसे बेहतर किया। थोड़ी देर जरूर हुई, लेकिन जब यह बना, तो पूरी दुनिया दंग रह गई। इसने भविष्य के फाइटर जेट की नींव रख दी।
खतरनाक हथियारों से लैस था
Me 262 में चार भारी 30 एमएम गन लगी थीं। इसके साथ यह 24 रॉकेट भी ले जा सकता था। दुश्मन के बमवर्षक प्लेन को गिराने के लिए यह काफी था। इसकी फायर पावर से सामने वाले को बचना बहुत मुश्किल था।
रफ्तार में सबको पछाड़ा
इस जेट की स्पीड 870 किलोमीटर प्रति घंटा थी। उस समय के मुकाबले यह बहुत तेज था। अमेरिका का मशहूर P-51 मस्टैंग भी इससे धीमा था। इसकी ऊंचाई तक उड़ने की क्षमता और तेजी से ऊपर जाने की ताकत बेहतरीन थी।
दुश्मन से पहले करता वार
जर्मन पायलट इसे लेकर आसमान में गश्त लगाते थे। जैसे ही दुश्मन का प्लेन दिखता, तुरंत हमला करते और बच निकलते। इसका जवाब देना अमेरिका और ब्रिटेन के पायलटों के लिए आसान नहीं था। इसकी रफ्तार और ताकत से वे घबरा जाते थे।
आज के जेट की नींव रखी
आज जो सुपरसोनिक, रडार-फ्रेंडली और स्मार्ट फाइटर जेट हैं, उनकी शुरुआत इसी Me 262 से मानी जाती है। यह एक ऐसी खोज थी जिसने फाइटर टेक्नोलॉजी को पूरी तरह बदल डाला। जर्मनी ने दिखा दिया था कि हवा में जीत सिर्फ ताकत से नहीं, तकनीक से भी मिलती है।


