पति का सपना पूरा किया, अब खुद चमकी... कौन है दुनियां की पहली महिला सुशी क्वीन चिजुको जिन्हें मिला मिशेलिन स्टार?
पति के जाने के बाद जब जिंदगी थम सी गई थी, तब जापान की चिजुको किमुरा ने अपने टूटे हुए सपने को फिर से जोड़ा और दुनिया की पहली महिला सुशी शेफ बनकर मिशेलिन स्टार जीत लिया. लेकिन इस जीत के पीछे सिर्फ मेहनत नहीं, एक गहरी कहानी छुपी है… जानिए कैसे एक पत्नी ने अपने पति का सपना पूरा कर दिखाया.

From Grief to Glory: जापान की 54 वर्षीय शेफ चिजुको किमुरा ने हाल ही में इतिहास रचा है. वह दुनिया की पहली महिला सुशी शेफ बन गई हैं, जिन्हें मिशेलिन स्टार मिला है. मिशेलिन स्टार खाना पकाने की दुनिया का सबसे बड़ा सम्मान है और किमुरा ने इसे हासिल करके न केवल अपने कौशल को साबित किया बल्कि अपने दिवंगत पति शुनेई किमुरा के सपने को भी साकार किया.
शुनेई किमुरा, जो पेरिस में स्थित अपने 'सुशी शुनेई' रेस्टोरेंट के लिए तीन साल पहले मिशेलिन स्टार जीते थे, अब हमारे बीच नहीं हैं. उनका निधन 2022 में कैंसर के कारण हुआ था लेकिन उनकी सफलता को चिजुको ने आगे बढ़ाया.
पति की प्रेरणा से शुरू हुआ सुशी शेफ का सफर
चिजुको किमुरा ने कभी भी शेफ बनने का लक्ष्य नहीं रखा था. वह पहले एक टूर गाइड के रूप में काम करती थीं, लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण उनकी नौकरी चली गई. तब उनके पति ने पेरिस में रेस्टोरेंट खोलने का निर्णय लिया. चिजुको ने अपने पति से ही मछली काटने, चावल पकाने और रेस्टोरेंट चलाने की कला सीखी. धीरे-धीरे, जब उनके पति की बीमारी बढ़ी, तो चिजुको ने उनके रेस्टोरेंट की पूरी जिम्मेदारी संभाली और उन्हें हर कदम पर मदद दी.
शादी के बाद किमुरा ने संभाली रेस्टोरेंट की बागडोर
अपने पति के निधन के बाद, किमुरा ने उनके रेस्टोरेंट की बागडोर पूरी जिम्मेदारी से संभाली. उन्होंने टीम को मजबूत करने के लिए मास्टर सुशी शेफ ताकेशी मौरूका को अपने साथ जोड़ा. किमुरा ने एक मजबूत टीम बनाई और लगातार मेहनत और समर्पण से अपना रेस्टोरेंट और व्यापार बढ़ाया. उनके इस कार्य को सराहा गया और उन्होंने महज पांच साल में मिशेलिन स्टार हासिल किया, जो कि किसी भी मास्टर सुशी शेफ के लिए एक बड़ी उपलब्धि मानी जाती है.
महज पांच साल में मिली बड़ी सफलता
आमतौर पर, मास्टर सुशी शेफ बनने के लिए 10 साल की अप्रेंटिसशिप की आवश्यकता होती है, लेकिन किमुरा ने सिर्फ पांच साल में यह मुकाम हासिल किया. यह न केवल उनकी मेहनत का परिणाम था, बल्कि यह भी साबित करता है कि अगर किसी में संकल्प और मेहनत हो, तो वह कम समय में भी बड़ी सफलता प्राप्त कर सकता है.
किमुरा की जीत, उनके पति की याद में
चिजुको किमुरा ने मिशेलिन स्टार अपने दिवंगत पति की याद में जीता. उन्होंने खुद कहा, “मैंने ये स्टार अपने पति की वजह से जीता है. अगर शुनेई को कभी स्टार नहीं मिलता, तो मुझे खुद स्टार पाने की इतनी इच्छा नहीं होती.” किमुरा का यह मिशेलिन स्टार न केवल उनके कौशल का प्रमाण है बल्कि यह उनके दिवंगत पति के सपने को पूरा करने का भी प्रतीक है.
महिला शक्ति का प्रतीक
किमुरा की यह यात्रा महिलाओं के लिए एक प्रेरणा है. उन्होंने यह साबित किया है कि किसी भी मुश्किल स्थिति से बाहर निकलकर, मेहनत और समर्पण से हर सपने को पूरा किया जा सकता है. किमुरा की सफलता यह सिखाती है कि जीवन में जब तक हम खुद पर विश्वास करते हैं, तब तक कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं होता.


