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कभी था गुलाम, आज है दुनिया का सबसे बड़ा हथियार कारोबारी... जानिए अमेरिका के ‘वर्ल्ड वेपन किंग’ बनने की कहानी

अमेरिका, जो आज दुनिया की सबसे बड़ी महाशक्ति और हथियार निर्यातक देश है, कभी ब्रिटेन का उपनिवेश था और गुलामी की जंजीरों में जकड़ा हुआ था. 4 जुलाई 1776 को अमेरिका को स्वतंत्रता मिली, लेकिन यह आज़ादी सिर्फ एक तारीख नहीं, बल्कि एक लंबा संघर्ष और बलिदान था.

Deeksha Parmar
Edited By: Deeksha Parmar

आज अमेरिका को वैश्विक शक्ति और सबसे बड़ा हथियार निर्यातक देश माना जाता है. इसके बनाए हथियार दुनिया के सैकड़ों देश इस्तेमाल करते हैं, जिनमें से कई एक-दूसरे के दुश्मन भी हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि कभी अमेरिका खुद गुलामी की जंजीरों में जकड़ा हुआ था? भारत की तरह अमेरिका भी एक समय पर ब्रिटिश साम्राज्य का उपनिवेश था और आजादी की लड़ाई लड़नी पड़ी थी.

अमेरिका को 4 जुलाई 1776 को आजादी मिली थी, लेकिन इस आज़ादी की कहानी महज़ एक तारीख नहीं, बल्कि एक बड़े संघर्ष और त्याग की मिसाल है. आज यह देश सिर्फ तकनीकी, शिक्षा या सैन्य ताकत के लिए नहीं, बल्कि अपने हथियार व्यापार के लिए भी पूरी दुनिया में सबसे ऊपर है.

कैसे बना अमेरिका किसी और का गुलाम?

1492 में जब क्रिस्टोफर कोलंबस भारत की खोज में समुद्री रास्ते से निकला, तो वह गलती से अमेरिका पहुंच गया. उसने यूरोप लौटकर इस नए इलाके की जानकारी दी, जिसके बाद ब्रिटिश लोग भारी संख्या में अमेरिका पहुंचे और वहां बसना शुरू कर दिया. धीरे-धीरे ब्रिटेन ने अमेरिका पर अपना शिकंजा कस लिया और स्थानीय आबादी को अपने अधीन कर लिया. उन्होंने यहां के लोगों पर वैसा ही अत्याचार शुरू कर दिया जैसा भारत में किया गया था.

ऐसे मिली अमेरिका को आज़ादी

अमेरिका की आज़ादी की नींव 2 जुलाई 1776 को रखी गई थी, जब अमेरिकी उपनिवेशों ने गुप्त मतदान के जरिए ब्रिटेन से अलग होने का निर्णय लिया. इसके दो दिन बाद, यानी 4 जुलाई को अमेरिकी स्वतंत्रता की आधिकारिक घोषणा कर दी गई. इस लड़ाई में थॉमस जेफरसन और बेंजामिन फ्रैंकलिन जैसे नेताओं ने अहम भूमिका निभाई. वहीं, जॉर्ज वाशिंगटन इस स्वतंत्रता संग्राम के सैन्य नायक बने. हजारों अमेरिकियों ने इस आजादी के संघर्ष में अपनी जान गंवाई थी.

कैसे बना अमेरिका 'हथियारों का सौदागर'?

आज अमेरिका केवल एक महाशक्ति नहीं, बल्कि 'वर्ल्ड वेपन किंग' बन चुका है. स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका दुनिया का सबसे बड़ा हथियार निर्यातक है. अमेरिका दुनियाभर में लगभग 40% हथियार निर्यात करता है. रिपोर्ट के मुताबिक 2024 में अमेरिका ने करीब 27.57 लाख करोड़ रुपये के हथियारों के रक्षा सौदे किए.

इसमें से 17.37 लाख करोड़ रुपये के हथियारों की बिक्री की गई और अमेरिका ने औसतन रोजाना 7553 करोड़ रुपये का लाभ सिर्फ हथियारों की बिक्री से कमाया. दिलचस्प बात यह है कि अमेरिका कई बार एक ही युद्ध में दोनों पक्षों को हथियार बेचता है और फिर शांति की अपील भी करता है. अमेरिका की इकोनॉमी का बड़ा हिस्सा रक्षा उद्योग और हथियारों के व्यापार से चलता है.

कौन हैं अन्य बड़े हथियार निर्यातक?

जहां अमेरिका हथियार निर्यात में 40% हिस्सेदारी के साथ पहले स्थान पर है, वहीं रूस 16% और फ्रांस 11% हिस्सेदारी के साथ दूसरे और तीसरे नंबर पर आते हैं. अमेरिका की हथियार कंपनियां आधुनिक तकनीक, ड्रोन, मिसाइल सिस्टम, और फाइटर जेट से लेकर साइबर डिफेंस तक में दुनिया को हथियार सप्लाई करती हैं.

शांति की बातें, हथियारों की बरसात

दुनिया के कई संघर्षों में अमेरिका ने अपनी यह रणनीति अपनाई है – एक ओर शांति की बात करता है, दूसरी ओर दोनों पक्षों को हथियार बेचता है. यही वजह है कि आज भी अमेरिका को लेकर अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कई बार आलोचना होती है, लेकिन यह उसके हथियार कारोबार को रोक नहीं पाई है.

दुनिया का सबसे ताकतवर देश 

गुलामी से आजादी और फिर दुनिया का सबसे ताकतवर देश बनने की कहानी में अमेरिका ने कई मोड़ देखे. आज वह जिस मुकाम पर है, वहां तक पहुंचने के लिए उसने न सिर्फ राजनीतिक और आर्थिक शक्ति को बढ़ाया, बल्कि अपने हथियार उद्योग को भी एक संगठित और सशक्त बिजनेस मॉडल में बदला. यही वजह है कि अमेरिका अब सिर्फ एक देश नहीं, बल्कि एक वैश्विक ताकत है – दोस्त और दुश्मन दोनों के लिए.

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11 May 2025, 04:05 PM IST

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