राष्ट्रपति से चाय, फिर रातों-रात सत्ता पर कब्जा...क्या जनरल मुनीर भी दोहराएंगे अयूब खान का इतिहास?
पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर को फील्ड मार्शल की उपाधि दी गई है, जो देश के इतिहास में अब तक सिर्फ दूसरी बार हुआ है. इससे पहले फील्ड मार्शल का दर्जा जनरल अयूब खान को मिला था, जिन्होंने 1958 में सैन्य तख्तापलट कर सत्ता अपने हाथ में ले ली थी और खुद को राष्ट्रपति घोषित कर दिया था. इस बीच सवला उठ रहा है कि क्या आसिम मुनीर भी इतिहास दोहराएंगे? क्या वो भी तख्तापलट कर सत्ता पर काबिज होंगे?

पाकिस्तान की सेना के मौजूदा प्रमुख जनरल आसिम मुनीर को सरकार ने फील्ड मार्शल की उपाधि से नवाजा है. यह पद देश के इतिहास में अब तक केवल दो बार ही दिया गया है. जनरल मुनीर की यह पदोन्नति उस वक्त हुई है जब भारत-पाक सीमा पर पहलगाम आतंकी हमले के बाद दोनों देशों के बीच तनाव चरम पर है. इस हमले में 26 लोगों की जान गई थी.
हालांकि, जनरल मुनीर की यह नियुक्ति सरकार द्वारा स्वीकृत की गई है, लेकिन इससे पाकिस्तान के पहले फील्ड मार्शल और तानाशाह मोहम्मद अयूब खान की यादें फिर से ताज़ा हो गई हैं. अयूब खान ने खुद को सत्ता में बैठा कर यह पद हासिल किया था, जबकि जनरल मुनीर को यह सम्मान संवैधानिक प्रक्रिया के तहत मिला है.
पहला फील्ड मार्शल जिसने खुद को बनाया राष्ट्रपति
साल 1958 में पाकिस्तान राजनीतिक संकट और अराजकता से जूझ रहा था. सरकारें बार-बार बदल रही थीं, भ्रष्टाचार चरम पर था और जनता में गुस्सा बढ़ता जा रहा था. ऐसे में राष्ट्रपति इस्कंदर मिर्ज़ा ने हालात को काबू में लाने के लिए 7 अक्टूबर 1958 को देश में मार्शल लॉ लागू कर दिया और सेना प्रमुख जनरल अयूब खान को चीफ मार्शल लॉ एडमिनिस्ट्रेटर नियुक्त किया.
राष्ट्रपति से चाय, फिर रातों-रात सत्ता पर कब्जा
27 अक्टूबर 1958 की शाम इस्कंदर मिर्जा और अयूब खान एक साथ मीडिया के सामने चाय पीते और हंसी-मज़ाक करते दिखे. मिर्ज़ा ने अयूब से मज़ाक में कहा, “आपको एक्टिंग भी सीखनी होगी.” लेकिन उन्हें क्या पता था कि अयूब खान असली भूमिका निभाने के लिए पूरी तरह तैयार थे.
मात्र ढाई घंटे बाद ही आधी रात को तीन जनरल इस्कंदर मिर्जा के पास पहुँचे और उन्हें अयूब खान का आदेश सुनाया—या तो इस्तीफा दो या जबरन हटाए जाओ. कोई विकल्प न देख मिर्ज़ा ने इस्तीफा दे दिया और अयूब खान पाकिस्तान के राष्ट्रपति बन गए. यह देश का पहला सैन्य तख्तापलट था.
खुद को दे डाला फील्ड मार्शल का दर्जा
1959 में अयूब खान ने खुद को फील्ड मार्शल घोषित कर दिया. यह उपाधि आम तौर पर युद्ध में बड़ी जीत या लंबी सेवा के लिए दी जाती है, लेकिन अयूब ने इसे सत्ता के बल पर हासिल किया. उस वक्त उनके बनाए गए 'रबड़ स्टांप' राजनीतिक सिस्टम में किसी ने भी इसका विरोध नहीं किया.
11 साल तक रहा सैन्य शासन
अयूब खान ने पाकिस्तान में 11 साल तक लोहे की मुट्ठी से राज किया. उन्होंने अमेरिका और चीन के साथ संबंध मज़बूत किए, आर्थिक सुधार लागू किए, बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स शुरू किए और भारत के साथ सिंधु जल समझौता भी किया. हालांकि 1965 की जंग के बाद उनकी लोकप्रियता गिरने लगी.
विरोध बढ़ा, पूर्वी पाकिस्तान में उबाल
1969 में अयूब खान के खिलाफ जनता का गुस्सा और खासतौर पर पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) में बढ़ते प्रदर्शन के बीच उन्होंने इस्तीफा दे दिया और सत्ता जनरल याह्या खान को सौंप दी. इसके साथ ही उनका राजनीतिक सफर खत्म हो गया.


