बांग्लादेश में हिंदू व्यापारी की बेरहमी से हत्या, हमलावरों ने शव पर किया डांस
गुरुवार को वायरल हुए इस घटना के वीडियो में लाल चंद सोहाग को कंक्रीट के टुकड़ों से पीट-पीटकर मार डाला गया और फिर उसकी मौत होने के बाद हमलावर उसके शरीर पर नाचते नजर आया.

Mob lynching in Bangladesh: बांग्लादेश की राजधानी ढाका में एक कबाड़ व्यापारी की पीट-पीटकर हत्या ने पूरे देश में गुस्से की लहर पैदा कर दी है. इस क्रूर घटना के बाद सैकड़ों छात्र सड़कों पर उतर आए और सरकार पर भीड़ हिंसा को रोकने में विफल रहने का आरोप लगाया. यह घटना पुराने ढाका के मिटफोर्ड अस्पताल के सामने हुई, जहां जबरन वसूली करने वालों ने सोहाग को बेरहमी से मार डाला. वायरल हुए एक वीडियो में हमलावरों को सोहाग के शव पर नाचते देखा गया. पुलिस ने तुरंत कार्रवाई कर पांच लोगों को गिरफ्तार कर लिया. जिनमें से दो के पास अवैध हथियार बरामद हुए हैं. सरकार के गृह मामलों के सलाहकार, सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल जहांगीर आलम चौधरी ने कहा, यह घटना एक सभ्य देश के लिए बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है.
छात्रों में गुस्सा और सड़कों पर प्रदर्शन
घटना के विरोध में ढाका विश्वविद्यालय, जगन्नाथ विश्वविद्यालय, बीआरएसी विश्वविद्यालय, एनएसयू, ईस्ट वेस्ट विश्वविद्यालय और ईडन कॉलेज के छात्रों ने रैलियां निकालीं. प्रदर्शनकारियों ने नारे लगाए, "तुम जानवरों को लोगों को मारने का अधिकार किसने दिया? छात्रों ने सरकार की निष्क्रियता पर सवाल उठाए और कड़ी कार्रवाई की मांग की.
हत्या का मामला दर्ज
लाल चंद सोहाग की बहन मंजुआरा बेगम (42) ने कोतवाली पुलिस स्टेशन में हत्या का मामला दर्ज कराया. इस मामले में 19 नामजद और 15-20 अज्ञात लोगों को आरोपी बनाया गया है. स्थानीय मीडिया के अनुसार, इस हत्या में बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी के युवा के कार्यकर्ताओं का हाथ बताया जा रहा है. बीएनपी ने चार आरोपियों को तुरंत पार्टी से बाहर कर दिया.
बांग्लादेश में बढ़ती भीड़ हिंसा और हमले
बांग्लादेश में अगस्त 2024 के बाद से भीड़ हिंसा की घटनाओं में काफी तेजी आई है, जब शेख हसीना की अवामी लीग सरकार को स्टूडेंट्स अगेंस्ट डिस्क्रिमिनेशन के हिंसक आंदोलन ने सत्ता से बेदखल कर दिया था. इस महीने की शुरुआत में कुमिला के मुरादनगर में एक महिला और उसके दो बच्चों की नशीली दवाओं के कारोबार के आरोप में पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी.
बांग्लादेश हिंदू बौद्ध ईसाई एकता परिषद ने बताया कि 4 अगस्त, 2024 से 330 दिनों में अल्पसंख्यक समुदायों पर 2,442 सांप्रदायिक हिंसा की घटनाएं हुईं. इनमें हत्याएं, सामूहिक बलात्कार, पूजा स्थलों पर हमले, और अल्पसंख्यकों के घरों व व्यवसायों पर हुए.
संगठनों की चिंता
मानवाधिकार संगठन ऐन ओ सलीश केंद्र ने जून में 444 भीड़ हिंसा की घटनाएं दर्ज कीं, जिनमें 179 लोगों की मौत हुई. कार्यकर्ता नूर खान लिटन ने कहा, इतने भयावह घटनाओं के बावजूद, हम सरकार की ओर से कोई ऐसी कार्रवाई नहीं देख रहे हैं, जिससे कोई कड़ा संदेश जा सके. निगरानी संस्था शुशाशोनर जोनो नागोरिक ने भी कहा कि भीड़ हिंसा अब नियंत्रण से बाहर हो रही है.


