अलास्का में पुतिन से मुलाकात के बाद बदला ट्रंप का रुख... युद्धविराम से शांति समझौते तक की पूरी टाइमलाइन
अलास्का में व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस-यूक्रेन युद्ध पर अपना रुख बदलते हुए कहा कि अब केवल युद्धविराम नहीं, बल्कि शांति समझौता ही समाधान है.

Trump Putin Meeting: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, अब तक रूस-यूक्रेन युद्ध में सीजफायर (युद्धविराम) की वकालत कर रहे थे. लेकिन अलास्का में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात के कुछ घंटों बाद ही उन्होंने अपना रुख पूरी तरह बदल लिया है. ट्रंप ने कहा कि अब महज युद्धविराम नहीं, बल्कि 'शांति समझौता' (Peace Deal) ही इस संघर्ष को खत्म करने का वास्तविक समाधान है.
ट्रंप ने अपने दूसरे कार्यकाल की शुरुआत में उम्मीद जताई थी कि पुतिन के साथ उनके व्यक्तिगत संबंध इस लंबे समय से चल रहे युद्ध को हल करने में मददगार साबित होंगे. लेकिन पिछले कुछ महीनों में रिश्तों में तनाव देखने को मिला. कभी ट्रंप ने पुतिन को चेतावनी दी, तो कभी रूस पर 100% टैरिफ लगाने की धमकी भी दी. इसके बावजूद अलास्का में हुई बैठक किसी ठोस समझौते के बिना खत्म हो गई.
कैसे बदलता गया ट्रंप का नजरिया?
ट्रंप ने शुरू में रूस पर आर्थिक दबाव डालते हुए शांति समझौते की दिशा में कदम बढ़ाए. मई में उन्होंने रूस और यूक्रेन के बीच 30 दिनों के लिए बिना शर्त सीजफायर की अपील की थी. इसके साथ ही, चेतावनी दी थी कि ऐसा ना करने पर अमेरिका और उसके सहयोगी और सख्त प्रतिबंध लगाएंगे. यूक्रेन ने इस प्रस्ताव पर सकारात्मक संकेत दिए, लेकिन रूस केवल तीन दिन का युद्धविराम देने को तैयार हुआ. जून में नाटो सम्मेलन के दौरान ट्रंप ने पुतिन की आलोचना करते हुए कहा था कि उनका युद्ध रोकने से इनकार 'गलत सोच' है.
जुलाई में ट्रंप और पुतिन के बीच हुई फोन कॉल एक घंटे चली, जबकि पहले की बातचीत लंबी होती थी. ट्रंप ने बाद में स्वीकार किया कि पुतिन अक्सर बातचीत में कुछ कहते हैं और फिर अलग कदम उठाते हैं. उन्होंने अपनी पत्नी मेलानिया को बताते हुए कहा था- मैं घर गया और अपनी पत्नी से कहा कि मैंने आज व्लादिमीर पुतिन से बात की. हमारी बातचीत बहुत अच्छी रही. उन्होंने कहा- अरे, सच में? एक और शहर पर हमला हुआ है.
रूस पर सख्ती, भारत को भी निशाना
बीते महीने ट्रंप ने पुतिन को 50 दिन का अल्टीमेटम देते हुए चेतावनी दी थी कि अगर शांति समझौता नहीं हुआ तो रूस के ऊर्जा क्षेत्र और उसके ग्राहकों पर सख्त प्रतिबंध लगाए जाएंगे. उन्होंने भारतीय निर्यात पर 50% टैरिफ लगाने की भी धमकी दी थी, क्योंकि भारत रूस से तेल खरीदने वाला बड़ा देश है. 13 अगस्त को वॉशिंगटन के केनेडी सेंटर में ट्रंप ने कहा था कि रूस अगर युद्ध खत्म नहीं करता तो उसे गंभीर परिणाम भुगतने होंगे.
अलास्का शिखर वार्ता और बदला हुआ रुख
अलास्का में तीन घंटे चली बैठक के बाद दोनों नेताओं ने प्रेस को संबोधित किया. ट्रंप ने कहा कि बातचीत 'प्रोडक्टिव' रही, लेकिन कोई ठोस समझौता नहीं हुआ. इसके बाद उन्होंने ऐलान किया कि अब आगे की वार्ता सीधे शांति समझौते की ओर बढ़ेगी, ना कि केवल युद्धविराम तक सीमित रहेगी. एक इंटरव्यू में ट्रंप ने दावा किया कि उन्होंने और पुतिन ने 'यूक्रेन के लिए भूमि हस्तांतरण और सुरक्षा गारंटी' पर चर्चा की और 'काफी हद तक सहमति' भी बनाई गई. हालांकि, उन्होंने साफ किया- 'यूक्रेन को इसके लिए सहमत होना होगा. शायद वे 'ना' कहेंगे.
यूरोप और यूक्रेन की प्रतिक्रिया
अलास्का शिखर सम्मेलन से पहले फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने कहा था कि ट्रंप स्पष्ट रूप से सीजफायर पर जोर दे रहे हैं और उन्होंने ये भी साफ किया था कि यूक्रेन की क्षेत्रीय सीमाओं पर बातचीत का अधिकार केवल राष्ट्रपति जेलेंस्की को है. जेलेंस्की अगले हफ्ते अमेरिका की यात्रा पर आ रहे हैं और ट्रंप ने उनसे व अन्य यूरोपीय नेताओं से इस बैठक के बाद कई बार बातचीत भी की है.


