36 घंटे में बदल गई तस्वीर... ट्रंप ने किस तरह ईरान समेत पूरी दुनिया को दिया चकमा, वाइट हाउस में भी नहीं थी खबर
डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान पर हमले के लिए दो हफ्ते का इंतजार करने की बात कहकर कूटनीतिक वार्ता के संकेत दिए, लेकिन 36 घंटे बाद अमेरिका ने अचानक ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमला किया.

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में ईरान के खिलाफ जारी इजरायल के युद्ध में शामिल होने पर दो हफ्ते के अंदर फैसला लेने की बात कही थी. इस ऐलान के 36 घंटे बाद ही अमेरिका ने ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमला बोल दिया, जिसमें नतांज, फोर्दो और इस्फहान जैसे ठिकानों को निशाना बनाया गया. सैटेलाइट तस्वीरों के अनुसार, फोर्दो स्थित परमाणु ठिकाना पूरी तरह से नष्ट हो गया, जो जमीन के नीचे स्थित है और जहां हमला करना मुश्किल माना जाता था.
ये घटनाक्रम उस वक्त सामने आया, जब ट्रंप ने एक ओर कूटनीतिक वार्ता के संकेत दिए थे. उनका बयान पहले तो सबको आश्चर्यचकित करने वाला था, लेकिन कुछ ही समय बाद ये स्पष्ट हुआ कि अमेरिका की सैन्य रणनीति पहले से तैयार थी और ये हमला अचानक से किया गया. इस रिपोर्ट में हम विस्तार से जानते हैं कि डोनाल्ड ट्रंप ने कैसे ईरान पर हमला किया और उनके इस फैसले के पीछे की रणनीति क्या थी.
ट्रंप का दो हफ्ते का इंतजार
वाशिंगटन पोस्ट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, डोनाल्ड ट्रंप ने दुनिया के कई देशों, खासकर ईरान, रूस और चीन को चकमा देने के लिए दो हफ्ते का समय लेने की बात की थी. हालांकि, इस समय के दौरान अमेरिका में हमले की योजना पहले से तैयार हो चुकी थी. वाइट हाउस में कुछ ही अधिकारियों को इस अभियान के बारे में जानकारी थी. हमला करने में 18 घंटे का समय लगा, जो ये बताता है कि हमले की योजना पहले से थी, भले ही ट्रंप ने दो हफ्ते के इंतजार का ऐलान किया हो.
हमले के बाद की स्थिति
ट्रंप के ऐलान के बाद 36 घंटे के अंदर, अमेरिका ने सात बी-2 बॉम्बर्स के जरिए ईरान पर हमला किया. वाइट हाउस में इस अभियान की जानकारी कुछ ही लोगों को थी. एयर फोर्स के जनरल डैन कायने ने कहा कि ईरान पर हमले की जानकारी वॉशिंगटन में बहुत कम लोगों को थी. इस हमले के बारे में अधिकांश लोगों को तब तक कोई जानकारी नहीं थी जब तक कार्रवाई नहीं हो गई.
ट्रंप का कूटनीतिक चक्रव्यूह
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि डोनाल्ड ट्रंप का दो हफ्ते का बयान ईरान को चकमा देने के लिए था, ताकि वो अलर्ट ना हो जाए. ट्रंप के इस बयान का असल उद्देश्य ईरान को बेखबर रखना था. अधिकारी के मुताबिक, ट्रंप एक हफ्ते से वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों से पूछ रहे थे कि कैसे बिना सैनिक उतारे ईरान पर सर्जिकल स्ट्राइक की जा सकती है. उनका सवाल था कि क्या ऐसी कोई रणनीति है, जिससे अमेरिका युद्ध में सीधे शामिल हुए बिना ईरान पर हमला किया जा सके.
जब ट्रंप लगातार कूटनीतिक समाधान की बात कर रहे थे, तो उनके असल इरादे कुछ और ही थे. एक ओर जहां वो ईरान को अल्टिमेटम दे रहे थे, वहीं दूसरी ओर कूटनीतिक वार्ता की वकालत भी कर रहे थे. इस दोहरे रवैये का मुख्य उद्देश्य यह था कि वह अपनी योजना के बारे में किसी को भी सूचित ना करें. जैसे ही हमला हुआ, अमेरिका ने इसकी जानकारी दुनिया को दी, जबकि पहले तक इसकी कोई जानकारी नहीं थी.


