ट्रंप का बड़ा आरोप: चीन ने अमेरिकी किसानों से सोयाबीन खरीदना जानबूझकर बंद किया
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन पर गंभीर आरोप लगाए कि वह जानबूझकर अमेरिकी किसानों से सोयाबीन खरीदना बंद कर चुका है और यह आर्थिक दुश्मनी है.

International News: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मंगलवार को चीन के खिलाफ कड़ा बयान दिया. उन्होंने कहा कि चीन ने अमेरिकी सोयाबीन किसानों से जानबूझकर खरीदारी बंद कर दी है. ट्रंप ने इसे साफ तौर पर आर्थिक दुश्मनी बताया. उन्होंने चेतावनी दी कि अगर ऐसा चलता रहा तो चीन के साथ व्यापारिक रिश्ते खत्म कर दिए जाएंगे. ट्रंप ने कहा कि अमेरिका अपने लिए खाद्य तेल खुद बना सकता है. उन्होंने सोशल मीडिया पर यह संदेश देकर किसानों को भरोसा दिलाने की कोशिश की.
सोयाबीन किसान संकट में
अमेरिका में इस समय सोयाबीन की नई फसल कट रही है. लेकिन चीन ने अब तक एक भी खरीदारी नहीं की है. इसका असर यह हुआ कि बाजार में कीमतें गिर गईं. किसान अपनी उपज भंडारण करने पर मजबूर हो गए हैं. ट्रंप ने इसे किसानों पर सीधा वार बताया है.
पहले बड़ा खरीदार था चीन
कभी चीन अमेरिकी सोयाबीन का सबसे बड़ा ग्राहक था. लेकिन अब उसने रुख बदल लिया है. चीन ने दक्षिण अमेरिका से खरीद शुरू कर दी है. सिर्फ सितंबर में ही अर्जेंटीना से 20 लाख टन सोयाबीन खरीदा गया. यह ट्रंप प्रशासन के टैरिफ के जवाब में बड़ा कदम माना जा रहा है.
किसानों की हालत बिगड़ी
अमेरिका दुनिया के कुल 61% सोयाबीन का निर्यात करता है. पिछले साल चीन ने 1.05 लाख करोड़ रुपये के सोयाबीन खरीदे थे. लेकिन इस बार आयात रोक देने से अमेरिकी किसानों को झटका लगा है. मिडवेस्ट के किसान स्टोरेज पर पैसा खर्च कर रहे हैं. उनकी कमाई लगातार घट रही है.
टैरिफ से और बढ़ी मुसीबत
ट्रंप सरकार ने चीन पर टैरिफ लगाए हैं. इसका असर यह हुआ कि उर्वरक और कृषि उपकरण महंगे हो गए हैं. किसानों का खर्च बढ़ गया है. मुनाफा घट रहा है और ऊपर से चीन ने खरीद बंद कर दी. इसने किसानों को गहरे संकट में डाल दिया है.
पुरानी चाल दोहराई चीन ने
चीन पहले भी ऐसी रणनीति अपनाता रहा है. उसने दुर्लभ खनिजों का निर्यात रोककर अमेरिका पर दबाव बनाया था. अब सोयाबीन को हथियार बनाया जा रहा है. भले ही यह कोई खास खनिज नहीं, लेकिन चीन के लिए जरूरी है. इसलिए उसने इसे ट्रंप पर दबाव बनाने का जरिया बना लिया.
क्या विवाद बढ़ेगा आगे?
यह मामला केवल सोयाबीन तक सीमित नहीं है. यह अमेरिका और चीन के बीच बड़े व्यापारिक युद्ध का हिस्सा है. चीन ने ट्रंप को साफ संदेश दे दिया है कि वह आसानी से झुकने वाला नहीं है. अब ट्रंप को तय करना है कि वह चीन से रिश्ते तोड़ेंगे या फिर बातचीत का रास्ता चुनेंगे. आने वाले दिनों में इसका असर पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था पर पड़ सकता है.


