पाकिस्तान को लोन देने के बाद सख्त हुआ IMF! बेलआउट की अगली किस्त के लिए लगाई 11 नई शर्तें
IMF ने पाकिस्तान के बेलआउट पैकेज के लिए 11 नई सख्त शर्तें लागू की हैं, जिससे कुल शर्तों की संख्या 50 हो गई है. भारत से बढ़ते तनाव को IMF ने आर्थिक अस्थिरता के लिए गंभीर जोखिम बताया है.

पाकिस्तान की डगमगाती अर्थव्यवस्था को सहारा देने वाले अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने एक बार फिर सख्त रुख अपनाते हुए बेलआउट पैकेज की अगली किस्त के लिए 11 नई शर्तें थोप दी हैं. इन शर्तों में ना सिर्फ संघीय बजट को संसद से पास कराना शामिल है, बल्कि बिजली बिल पर डेब्ट सर्विसिंग सरचार्ज बढ़ाना और तीन साल से पुरानी सेकेंड हैंड गाड़ियों के आयात पर लगी रोक हटाना भी शामिल है.
सिर्फ इतना ही नहीं, IMF ने भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनावों को भी चेतावनी के तौर पर चिन्हित किया है. शनिवार को जारी स्टाफ लेवल रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि अगर भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बरकरार रहा या और बढ़ा, तो ये पाकिस्तान के वित्तीय संतुलन, बाह्य स्थिरता और सुधार लक्ष्यों को गंभीर खतरे में डाल सकता है.
अब 50 हुई बेलआउट शर्तों की संख्या
पाकिस्तान के अखबार द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, हालिया 11 नई शर्तों को मिलाकर IMF बेलआउट प्रोग्राम में कुल शर्तों की संख्या 50 हो गई है. IMF ने साफ कर दिया है कि वित्त वर्ष 2026 का बजट, IMF स्टाफ से हुए समझौते के अनुरूप, जून 2025 के अंत तक संसद से पारित करवाना होगा. ये बजट कुल 17.6 ट्रिलियन रुपये का प्रस्तावित है, जिसमें 1.07 ट्रिलियन रुपये विकास कार्यों के लिए निर्धारित किए गए हैं.
भारत से बढ़ते तनाव को IMF ने बताया आर्थिक जोखिम
IMF रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत और पाकिस्तान के बीच हाल के दो हफ्तों में तनाव तेजी से बढ़ा है. अगर ये हालात लंबे समय तक बने रहते हैं या और गंभीर होते हैं, तो इससे पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति पर व्यापक असर पड़ सकता है. हालांकि, फिलहाल बाजार की प्रतिक्रिया सीमित रही है, शेयर बाजार में स्थिरता बनी हुई है और बॉन्ड स्प्रेड में केवल मामूली बढ़ोतरी हुई है.
रक्षा बजट में भारी इजाफा
IMF की रिपोर्ट में पाकिस्तान के रक्षा बजट में हुई बढ़ोतरी पर भी ध्यान दिया गया है. आगामी वित्त वर्ष के लिए पाकिस्तान ने अपना रक्षा बजट 2.414 ट्रिलियन रुपये तय किया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 252 अरब रुपये यानी 12% ज्यादा है. इस वृद्धि को IMF आर्थिक स्थिरता के लिए एक और चुनौती मान रहा है.
प्रांतों पर भी लागू होंगी कर सुधार की शर्तें
नई शर्तें सिर्फ संघीय स्तर तक सीमित नहीं हैं. अब सभी 4 प्रांतों को कृषि आय पर नया कर कानून लागू करना होगा. इसमें टैक्स रिटर्न प्रोसेसिंग सिस्टम, टैक्सपेयर्स की पहचान, रजिस्ट्रेशन, जनसंपर्क अभियान और अनुपालन बढ़ाने की रणनीतियां शामिल होंगी. इसकी समय सीमा जून 2025 तय की गई है. इसके साथ ही, पाकिस्तान सरकार को IMF के गवर्नेंस डायग्नोस्टिक असेसमेंट के आधार पर एक गवर्नेंस एक्शन प्लान भी प्रकाशित करना होगा, जिससे प्रमुख प्रशासनिक कमजोरियों की पहचान और समाधान किया जा सके.
ऊर्जा और व्यापार क्षेत्र में भी शर्तें लागू
ऊर्जा क्षेत्र में IMF ने 4 नई शर्तें जोड़ी हैं. इनमें एक जुलाई से सालाना बिजली टैरिफ रीबेसिंग नोटिफिकेशन जारी करना अनिवार्य किया गया है, जिससे बिजली की लागत की वसूली सुनिश्चित हो सके. वहीं वित्तीय क्षेत्र में पाकिस्तान को 2027 के बाद के लिए एक दीर्घकालिक रणनीति तैयार करनी होगी, जिसमें संस्थागत और नियामकीय ढांचे की रूपरेखा तय हो.
पुरानी गाड़ियों के आयात पर से हटेगी रोक
IMF ने पाकिस्तान से मांग की है कि वो जुलाई के अंत तक संसद में एक कानून लाकर 5 साल तक पुरानी सेकेंड हैंड गाड़ियों के आयात की अनुमति दे. फिलहाल पाकिस्तान में सिर्फ 3 साल पुरानी गाड़ियों के आयात की अनुमति है. ये कदम व्यापार उदारीकरण की दिशा में अहम माना जा रहा है. IMF ने पाकिस्तान सरकार से ये भी कहा है कि वह विशेष टेक्नोलॉजी जोन और अन्य औद्योगिक क्षेत्रों को मिलने वाली सभी कर रियायतों को 2035 तक पूरी तरह खत्म करने की योजना बनाए. ये योजना इस साल के अंत तक पेश करनी होगी.


