UK की सख्त नीति से हड़कंप! ब्रिटिश नौकरियों से भारतीयों को OUT?
ब्रिटेन की नई लेबर सरकार ने आव्रजन नीति कड़ी की है, जिससे स्थानीयों को नौकरी में प्राथमिकता मिलेगी। इसका सीधा असर भारतीय पेशेवरों और वीज़ा चाहने वालों पर पड़ सकता है।

इंटरनेशनल न्यूज. नवनिर्वाचित लेबर सरकार ने ब्रिटेन की आव्रजन नीति में सख्त बदलावों की घोषणा की है, जिनका मकसद विदेशी कामगारों पर निर्भरता घटाना और स्थानीय नागरिकों को रोज़गार में प्राथमिकता देना है। प्रधानमंत्री कीर स्टारमर के नेतृत्व में बनाई गई इस नई नीति के तहत कई वीज़ा श्रेणियों को सीमित किया जाएगा और काम के लिए ब्रिटेन आने वालों के लिए पात्रता मानदंड सख्त किए जाएंगे। गृह सचिव यवेट कूपर ने संसद में इन सुधारों का खाका पेश किया। उन्होंने कहा, “हमारा लक्ष्य नियंत्रण बहाल करना है।
सरकार की नीतियों ने प्रवासन को अनियंत्रित कर दिया था। अब समय है कि ब्रिटिश नागरिकों को रोज़गार में पहला हक मिले।” गृह सचिव ने ब्रिटिश संसद के हाउस ऑफ कॉमन्स में आव्रजन पर एक प्रमुख नीति दस्तावेज़ (policy document) रखा, जिसमें निम्नलिखित चार बड़े सुधारों का उल्लेख है:
आव्रजन प्रणाली के पांच बड़े बदलाव
यूके सरकार ने अपनी नई आव्रजन नीति के तहत पांच अहम सुधारों का खाका पेश किया है। सबसे पहले, कुशल श्रमिक वीज़ा सूची (Skilled Occupation List) से कई नौकरियों को हटाया जाएगा, जिससे इन भूमिकाओं के लिए अब विदेशी श्रमिक आवेदन नहीं कर सकेंगे। इसके अलावा, स्वास्थ्य और देखभाल कार्यकर्ताओं के लिए वीज़ा मार्ग को सीमित किया जाएगा—हालांकि इसे "स्थायी रूप से बंद" करने की पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन सरकार इस रास्ते को कमजोर करने के पक्ष में है। कम-कुशल नौकरियों के लिए भी अब वीज़ा पाना आसान नहीं होगा,
क्योंकि पात्रता मानदंड और अधिक सख्त बनाए जा रहे हैं। सरकार ने प्रवासन सलाहकार समिति को यह निर्देश दिया है कि वह विदेशी श्रमिकों के लिए न्यूनतम वेतन, भत्तों और कार्य भूमिका की परिभाषाओं की दोबारा समीक्षा करे। इसके अतिरिक्त, वीज़ा आवेदकों के लिए अंग्रेजी भाषा की अनिवार्यता भी बढ़ा दी जाएगी, जिससे केवल उच्च भाषा दक्षता वाले उम्मीदवार ही योग्य माने जाएंगे।
भारतीय पेशेवरों के लिए बढ़ेंगी मुश्किलें
हर साल हज़ारों भारतीय पेशेवर—विशेषकर आईटी, स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा क्षेत्र से—ब्रिटेन वर्क वीज़ा लेकर जाते हैं। लेकिन यूके सरकार के नए प्रस्तावों के चलते अब उनके लिए यह रास्ता पहले जैसा सहज नहीं रहेगा। अगर कई पेशेवर भूमिकाएं वीज़ा पात्रता सूची से हटा दी जाती हैं, तो भारतीयों के लिए इन क्षेत्रों में अवसर सीमित हो सकते हैं। खासकर हेल्थ सेक्टर, जहां बड़ी संख्या में भारतीय कार्यरत हैं, वहां नियुक्तियों पर रोक लगाई जा सकती है। इसके अलावा, अंग्रेज़ी भाषा की कठिन शर्तें और बढ़ी हुई वेतन आवश्यकताएं भी भारतीय आवेदकों के लिए नई चुनौतियां पैदा करेंगी।
नए मानकों की समयसीमा
अधिकांश बदलाव 22 जुलाई 2025 से प्रभाव में आ सकते हैं, जबकि कुछ अतिरिक्त सिफारिशें वर्ष के अंत तक लागू की जा सकती हैं। यूके में प्रवास की योजना बना रहे भारतीय युवाओं और पेशेवरों को अब अपनी रणनीति दोबारा तय करनी पड़ सकती है। शिक्षा और काम के लिए ब्रिटेन जाने की उम्मीदें इन नीतियों के चलते धीमी हो सकती हैं। अब यह देखना अहम होगा कि भारत सरकार और प्रवासी संगठनों की इस पर क्या प्रतिक्रिया होती है।


