पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर संकट: IMF से मिले लोन पर भारत की नजर
पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति वर्तमान में अत्यधिक तनावपूर्ण है और भारत ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. पहलगाम हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कई कड़े कदम उठाए हैं. इन कदमों में सिंधु जल संधि का निलंबन, दोनों देशों के हवाई क्षेत्र का बंद करना और पाकिस्तान को अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से मिले लोन की समीक्षा करने की मांग शामिल है.

22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव और बढ़ गया है. इस हमले में 26 लोग मारे गए थे, जिनमें अधिकांश भारतीय पर्यटक थे. भारत ने इस हमले के लिए पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूहों को जिम्मेदार ठहराया है, जबकि पाकिस्तान ने किसी भी भूमिका से इनकार किया है और निष्पक्ष जांच की मांग की है.
भारत के कड़े कदम
भारत ने इस हमले के बाद पाकिस्तान के खिलाफ कई कड़े कदम उठाए हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आतंकवादियों को कड़ा संदेश देते हुए कहा कि हम किसी को नहीं छोड़ेंगे. भारत ने सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया है. पाकिस्तान के साथ वीजा सेवाएं बंद कर दी हैं और दोनों देशों के हवाई क्षेत्र एक-दूसरे के लिए बंद कर दिए हैं. इसके अलावा, भारत ने अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से पाकिस्तान को दिए गए लोन की समीक्षा करने की मांग की है. भारत का कहना है कि पाकिस्तान इन लोन का उपयोग आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए कर सकता है, इसलिए इनकी निगरानी की जानी चाहिए.
पाकिस्तान ने इन आरोपों का खंडन किया है और कहा है कि IMF लोन का उपयोग विकास कार्यों के लिए किया जा रहा है. पाकिस्तान ने यह भी कहा है कि IMF के साथ उसकी बातचीत सकारात्मक रही है और वह आर्थिक स्थिरता की दिशा में काम कर रहा है.
ग्रे लिस्ट
इस बीच, भारत ने पाकिस्तान को फिर से वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (FATF) की ग्रे लिस्ट में डालने की भी मांग की है. भारत का कहना है कि पाकिस्तान आतंकवाद के वित्तपोषण को रोकने में विफल रहा है. इसलिए उसे ग्रे लिस्ट में डाला जाना चाहिए. यदि पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में डाला जाता है, तो उसे अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सहायता प्राप्त करने में कठिनाई हो सकती है, जो उसकी अर्थव्यवस्था के लिए नुकसानदेह हो सकता है.
भारत और पाकिस्तान के बीच यह तनावपूर्ण स्थिति दोनों देशों के लिए गंभीर परिणाम ला सकती है. विशेषज्ञों का कहना है कि यदि दोनों देशों के बीच सैन्य संघर्ष होता है तो यह क्षेत्रीय और वैश्विक स्थिरता के लिए खतरे की घंटी हो सकती है. इसलिए, अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को इस स्थिति को शांत करने के लिए सक्रिय कदम उठाने चाहिए.


