क्या इस्राइल-ईरान युद्ध में कूदेगा पाकिस्तान? जानें क्यों जनरल रेजाई का बयान बना विवाद
मध्य-पूर्व में चल रहे ईरान-इस्राइल तनाव के बीच अब एक नया मोड़ आ गया है. ईरानी रिवोल्यूशनरी गार्ड्स के वरिष्ठ कमांडर जनरल मोहसिन रेजाई ने दावा किया है कि अगर इस्राइल ने ईरान पर परमाणु हमला किया, तो पाकिस्तान भी इस्राइल पर न्यूक्लियर स्ट्राइक करेगा. इस बयान से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हलचल मच गई है.

ईरान-इस्राइल के बीच बढ़ते तनाव के बीच ईरान की ओर से एक चौंकाने वाला दावा सामने आया है. ईरानी रिवोल्यूशनरी गार्ड्स के वरिष्ठ कमांडर जनरल मोहसिन रेजाई ने कहा है कि यदि इस्राइल ईरान पर परमाणु हमला करता है, तो पाकिस्तान भी इस्राइल पर परमाणु हमला करेगा. हालांकि, पाकिस्तान ने इस दावे को सिरे से खारिज कर दिया है और साफ किया है कि उसका परमाणु कार्यक्रम किसी तीसरे देश के टकराव से नहीं जुड़ा है.
ईरान और इस्राइल के बीच बीते तीन दिनों से मिसाइल हमलों और तीखी बयानबाजी के चलते हालात बेहद तनावपूर्ण हैं. ऐसे में ईरान के इस दावे से पश्चिम एशिया में हालात और बिगड़ सकते हैं, हालांकि पाकिस्तान ने इसे गैर-ज़रूरी बयान बताया है.
ईरानी कमांडर का दावा
ईरान की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के सदस्य और आईआरजीसी के वरिष्ठ कमांडर जनरल मोहसिन रेजाई ने ईरानी सरकारी टीवी पर एक साक्षात्कार के दौरान यह बड़ा दावा किया. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने हमें बताया है कि यदि इस्राइल ईरान पर परमाणु बम का इस्तेमाल करता है, तो पाकिस्तान भी इस्राइल पर परमाणु हमला करेगा. यह बयान ऐसे समय में आया है जब इस्राइल और ईरान एक-दूसरे के खिलाफ सीधे मिसाइल हमले कर रहे हैं और परमाणु हमले की आशंका लगातार गहराती जा रही है.
पाकिस्तान का खंडन
पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने ईरानी कमांडर के इस बयान को निराधार बताते हुए सख्त खंडन किया है. उन्होंने साफ किया कि इस्लामाबाद ने ऐसी कोई परमाणु प्रतिक्रिया की प्रतिबद्धता नहीं दी है. हमारा परमाणु कार्यक्रम किसी तीसरे देश के संघर्ष से जुड़ा नहीं है.आसिफ ने कहा कि पाकिस्तान, ईरान के प्रति राजनीतिक समर्थन जरूर जताता है, लेकिन किसी प्रकार की सैन्य या परमाणु साझेदारी का हिस्सा नहीं है.
पाकिस्तान का राजनीतिक समर्थन
हालांकि पाकिस्तान ने ईरान के साथ किसी सैन्य संधि से इनकार किया है, लेकिन उसने इस्राइली हमलों की निंदा करते हुए ईरान के लिए ‘बिना शर्त’ समर्थन जताया है. इस्लामाबाद ने इस्राइल की कार्रवाई को “इस्लामिक देशों पर हमला” करार देते हुए मुस्लिम एकता की अपील की है.
14 जून को नेशनल असेंबली में ख्वाजा आसिफ ने कहा कि इस्राइल ने ईरान, यमन और फिलिस्तीन को निशाना बनाया है. अगर मुस्लिम देश अब भी एक नहीं हुए, तो सभी का वही हाल होगा. उन्होंने उन मुस्लिम देशों से भी अपील की जो इस्राइल से राजनयिक संबंध बनाए हुए हैं कि वे तुरंत यह संबंध तोड़ें. साथ ही, OIC (इस्लामिक सहयोग संगठन) से आपात बैठक बुलाने की भी मांग की.
ईरान और इस्राइल की परमाणु स्थिति क्या है?
इस्राइल अपने परमाणु कार्यक्रम को लेकर ‘रणनीतिक अस्पष्टता’ की नीति अपनाए हुए है. हालांकि, माना जाता है कि इस्राइल के पास परमाणु हथियार हैं और वह क्षेत्रीय सैन्य बढ़त बनाए रखने की रणनीति पर काम करता है. दूसरी ओर, ईरान का कहना है कि उसका परमाणु कार्यक्रम पूरी तरह से नागरिक उद्देश्यों के लिए है. जैसे ऊर्जा उत्पादन और चिकित्सा अनुसंधान. वह NPT (परमाणु अप्रसार संधि) का हस्ताक्षरकर्ता है और परमाणु हथियारों के निर्माण का विरोध करता रहा है.
लेकिन पश्चिमी देश और IAEA (अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी) ईरान के यूरेनियम संवर्धन, मिसाइल कार्यक्रम और पारदर्शिता की कमी को लेकर लगातार सवाल उठाते रहे हैं. इससे यह संदेह गहराता जा रहा है कि ईरान का कार्यक्रम सैन्य मकसद से भी जुड़ा हो सकता है.


