ईरान-इजरायल टकराव से बढ़ा खतरा, पाक जनरल ने ट्रंप से जताई बलूच आतंकवाद की आशंका
पाकिस्तान आधारित ईरानी जिहादी संगठन जैश अल-अदल (JaA), जिसमें बलूच और सुन्नी अल्पसंख्यक शामिल हैं उन्होंने इजरायल-ईरान संघर्ष को अपने लिए एक महत्वपूर्ण मौका करार दिया है.

ईरान और इजरायल के बीच बढ़ते तनाव को लेकर पाकिस्तान ने अपनी गंभीर चिंता व्यक्त की है. इस्लामाबाद को आशंका है कि ईरान में उत्पन्न हो रही अस्थिरता का फायदा उठाकर पाक-ईरान सीमा पर सक्रिय आतंकवादी संगठन दोबारा सिर उठा सकते हैं. लगभग 900 किलोमीटर लंबी इस सीमा पर पहले से ही कई अलगाववादी और उग्रवादी गुट सक्रिय हैं, जो दोनों देशों की सुरक्षा के लिए चुनौती बने हुए हैं.
असीम मुनीर ने ट्रंप से की मुलाकात
पाकिस्तानी सेना प्रमुख फील्ड मार्शल असीम मुनीर ने हाल ही में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात के दौरान इस विषय को उठाया. उन्होंने कहा कि इजरायल और ईरान के बीच चल रहे संघर्ष की आड़ में पाक-ईरान सीमा पर सक्रिय चरमपंथी और अलगाववादी ताकतें अपनी गतिविधियां बढ़ा सकती हैं. ट्रंप ने इस पर तंज कसते हुए कहा कि पाकिस्तान शायद ही कभी किसी चीज से संतुष्ट होता है.
इस बीच, पाकिस्तान से संचालित ईरानी सुन्नी चरमपंथी संगठन जैश अल-अदल ने इस युद्ध को एक “सुनहरा अवसर” करार दिया है. संगठन ने 13 जून को एक बयान जारी कर ईरान के बलूच और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों से विद्रोह में शामिल होने की अपील की. इससे पाकिस्तान की चिंताएं और गहरी हो गई हैं.
पाकिस्तान को हो रहा खतरा महसूस
पाकिस्तान को अपने देश के भीतर सक्रिय बलूच उग्रवादियों से भी खतरा महसूस हो रहा है, जो ईरान में भी नेटवर्क बना चुके हैं. पाकिस्तानी विश्लेषक सिंबल खान का मानना है कि यदि हालात और बिगड़े, तो ये समूह “ग्रेटर बलूचिस्तान” आंदोलन का रूप ले सकते हैं. वहीं, पूर्व राजदूत मलीहा लोधी ने आगाह किया कि अनियंत्रित सीमावर्ती क्षेत्र आतंकी संगठनों के लिए उपजाऊ ज़मीन बन सकते हैं.
पाक विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता शफकत अली खान ने कहा कि ईरान की स्थिति पाकिस्तान के लिए बेहद संवेदनशील है और यह पूरे क्षेत्र की स्थिरता को खतरे में डाल सकती है. पाकिस्तान ने इजरायल की सैन्य कार्रवाई को अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन बताया है.


