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तेहरान की सड़कों पर खून, लैब में मौत—इजरायली मिसाइल ने मार गिराया ईरान का 'न्यूक्लियर दिमाग'!

तेहरान के गिशा इलाके में हुए जोरदार धमाके ने एक बार फिर ईरान-इजरायल के बीच परमाणु तनाव को चरम पर पहुंचा दिया है। इस हमले में एक प्रमुख परमाणु वैज्ञानिक की मौत हुई है, जिससे ईरान में रोष और ग़ुस्सा है। ईरानी विदेश मंत्रालय ने साफ कर दिया है कि जब तक हमले रुकते नहीं, कोई बातचीत नहीं होगी।

Lalit Sharma
Edited By: Lalit Sharma

इंटरनेशनल न्यूज. तेहरान के गिशा इलाके में आज सुबह जबरदस्त विस्फोट हुआ, जिसमें एक नामी इरानी न्यूक्लियर वैज्ञानिक की जान चली गई। यह धमाका इतना तीव्र था कि आसपास के भवनों को भारी क्षति पहुंची और स्थानीय लोगों में भारी डर छा गया। इज़राइली मीडिया चैनल Kan News ने दावा किया है कि इस हमले के पीछे इज़राइली रक्षा बल (IDF) का हाथ है। हालांकि, अभी तक इज़राइल की तरफ से कोई आधिकारिक पुष्टि या खंडन नहीं आया है।

ईरान-मीडिया का पलटवार और लड़ाई की घोषणा

घटना के तुरंत बाद ईरानी विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने कहा कि जब तक इज़राइल के हमले जारी हैं, तब तक किसी भी देश के साथ बातचीत करना संभव नहीं। वे यह भी जोड़ते हैं कि यह हमला कूटनीति को खत्म नहीं कर सकता लेकिन वातावरण इतना जहरीला हो चुका है कि किसी भी बात-चीत की गुंजाइश नहीं बची। ईरानी मीडिया ने इसे एक रणनीतिक हत्या करार देते हुए कहा कि यह ईरान को उकसाने और उसकी परमाणु नीति को पटरी से उतारने की साजिश है। सरकारी चैनलों पर लगातार इस बात को दोहराया जा रहा है कि यह हमला सिर्फ एक वैज्ञानिक पर नहीं, बल्कि राष्ट्रीय संप्रभुता पर था। तेहरान विश्वविद्यालय के छात्रों ने भी इस घटना के विरोध में एक मौन मार्च का आयोजन किया।

बड़ी वैश्विक रणनीति पर गहराता असर

विशेषज्ञों का कहना है कि इस हमले ने ईरान-इज़राइल तथा अमेरिका के बीच परमाणु तनाव को और तेज़ कर दिया है। अमेरिका लगातार इस मामले पर मध्यस्थता की कोशिश करता रहा है, लेकिन अब हालात ऐसे हो गए हैं कि बातचीत का कोई दरवाजा बंद होता दिखाई दे रहा है। ब्रसेल्स से लेकर वाशिंगटन तक, सभी प्रमुख कूटनीतिक गलियारों में इस हमले की गूंज सुनाई दी। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की ओर से अभी कोई औपचारिक बयान नहीं आया, लेकिन बैकडोर डिप्लोमेसी तेज़ हो चुकी है। इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी एजेंसी (IAEA) ने भी चिंता जताते हुए स्थिति पर निगरानी शुरू कर दी है।

सैन्य समाधान बनाम कूटनीतिक राह

जहाँ अमेरिका और पश्चिमी देश हमेशा इस विवाद का राजनीतिक रास्ता ढूंढ रहे थे, वहीं इज़राइल का यह कदम उन्हें सैन्य विकल्प की ओर धकेल सकता है। इसके प्रभाव से ईरानी प्रतिक्रिया, प्रतिशोध और अंतरराष्ट्रीय दबाव की श्रृंखला और तेज़ हो सकती है। यूरोपीय यूनियन के कुछ देशों ने साफ कहा है कि फिलहाल उन्हें युद्ध नहीं, समाधान चाहिए।
लेकिन हालात ऐसे हैं कि सैन्य विकल्प खुद-ब-खुद आगे आ रहा है क्योंकि हर वार्ता कोशिश विफल हो रही है। रूस और चीन भी इस परिस्थिति को एक नए शक्ति संतुलन के रूप में देख रहे हैं।

क्या नई जंग की ओर बढ़ेंगे दोनों देश?

घटना के बाद, यह सवाल पैदा होता है कि क्या यह हमला नए सैन्य संघर्ष की शुरुआत है? यदि इज़राइल इस तरह के हमले दोहराता रहा और ईरान भी फिर से जवाब देता रहा, तो मध्य-पूर्व में एक और घातक चरण शुरू हो सकता है। अमेरिका के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि हम इस संघर्ष से दूर रहना चाहते हैं, लेकिन हालात हमें घसीट सकते हैं। ईरानी रिवोल्यूशनरी गार्ड पहले ही हाई अलर्ट पर हैं और कुछ सीमावर्ती क्षेत्रों में सैनिकों की तैनाती बढ़ा दी गई है। इजरायल की संसद में भी इस पर बहस छिड़ गई है कि क्या ऐसे हमले स्थायी समाधान की ओर ले जा सकते हैं या और अस्थिरता फैलाएंगे।

अनपेक्षित प्रभाव और भविष्य के परिदृश्य

अग्रिम आलोचकों को लगता है कि इस एक्सपोज़िशन का अंजाम सिर्फ सैन्य नहीं, बल्कि कूटनीति, व्यापार और वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति में भी देखने को मिलेगा। इस घटना ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय की सामूहिक चिंता को बढ़ाया है, क्योंकि विश्व तबाही को रोकने के लिए फिलहाल बौद्धिक मार्ग तलाश रहा है। मध्य-पूर्व से गुजरने वाली तेल आपूर्ति लाइनों पर पहले ही दबाव है, और ऐसे हमलों से अनिश्चितता और बढ़ जाएगी। ग्लोबल स्टॉक मार्केट पर भी इस घटना का असर दिखना शुरू हो गया है, खासकर रक्षा कंपनियों के शेयरों में उछाल आया है। अमेरिकी सीनेट की एक रिपोर्ट के अनुसार, अगर तनाव बढ़ता रहा तो ईरान अगले छह महीनों में परमाणु हथियार हासिल कर सकता है।

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20 June 2025, 06:55 PM IST

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