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2026 का भय कविताओं से नहीं, युद्ध महंगाई और नेतृत्व की चुप्पी से हो रहा है पैदा

2026 की उम्मीदों के बीच नॉस्त्रेदमस की 500 साल पुरानी भविष्यवाणियाँ फिर चर्चा में हैं, लेकिन यह भविष्य नहीं, वर्तमान की मानसिक असुरक्षा का आईना दिखाती हैं।

Lalit Sharma
Edited By: Lalit Sharma

पिछले पचास दशकों से नॉस्त्रेदमस की भविष्यवाणियां बार-बार सुर्खियों में आती हैं, खासकर तब जब दुनिया अस्थिर होती है। 2025 के आख़िर में भी जैसे ही 2026 का वक्त पास आया है, युद्ध, महंगाई और बदलती दुनिया को देखकर लोग इन कविताओं की तरफ़ फिर से ध्यान दे रहे हैं। सोशल मीडिया पर लोग इन्हें पढ़ते हैं, शेयर करते हैं और डर या उम्मीद दोनों के बीच फँस जाते हैं।

समस्या भविष्य की नहीं, वर्तमान की है

असल में नॉस्त्रेदमस की भविष्यवाणियां किसी स्पष्ट भविष्य की तस्वीर नहीं देतीं। उनके क़दीम क़वित्रों को लोग आज की समस्याओं से जोड़कर पढ़ते हैं। यूक्रेन-रूस युद्ध, महंगाई, रोज़मर्रा की चीज़ों की बढ़ती कीमतें और रोज़गार के संकट को देखकर लोग भविष्य में भी ख़राब समय की उम्मीद करने लगे हैं। इसका मतलब यह नहीं कि कविताएँ सच होंगी, बल्कि यह दर्शाता है कि हम खुद वर्तमान से डर रहे हैं।

तीसरे विश्व युद्ध की चर्चा फिर चली

कुछ व्याख्याकारों ने इन भविष्यवाणियों को 2026 के मध्य में तीसरे विश्व युद्ध की चेतावनी से भी जोड़ा है। वे कहते हैं कि धर्म और राष्ट्रवाद के नाम पर हिंसा फैल सकती है। बड़े पैमाने पर विनाश और मानव हानि की बातें हो रही हैं। लेकिन यह सोचना कि एक 500 साल पुरानी कविता वास्तविक घटनाओं का पूर्वाभास है, तर्क से ज़्यादा डर की प्रतिक्रिया है।

महान समुद्री घटनाओं का डर

नॉस्त्रेदमस के समर्थकों का मानना है कि 2026 में कोई बड़ी समुद्री घटना भी हो सकती है, जैसे किसी बड़े जहाज़ का डूबना या समुद्री तनाव, जिससे देशों के बीच टकराव बढ़े। इन व्याख्याओं को व्यापक हवा तब मिलती है जब किसी देश में आर्थिक कठिनाइयाँ और पर्यावरणीय चिंताएं लोगों को असुरक्षित महसूस कराती हैं।

AI और तकनीक का बढ़ता प्रभाव

कुछ भविष्यवाणियों को आज के AI और तकनीक से भी जोड़ा जा रहा है। कहा जा रहा है कि 2026 में AI केवल सलाह देने वाला नहीं रहेगा, बल्कि निर्णय लेने वाली शक्ति बन सकता है। सरकारें और सिस्टम AI के नियंत्रण में होने की बातें भय पैदा कर रही हैं। लेकिन यह भी वही बात है: जब लोग नियंत्रण खोने का डर महसूस करते हैं, तो वे भविष्य में भी उसी भय को ढूँढते हैं।

आर्थिक अस्थिरता और नेतृत्व की चिंता

नॉस्त्रेदमस की कविताओं को लेकर यह भी कहा जाता है कि अमेरिका और यूके जैसे बड़े देशों को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ सकता है। महंगाई और बेरोज़गारी बढ़ सकती है, जिससे समाज में अशांति फैल सकती है। लोग इसे उन भविष्यवाणियों के साथ जोड़कर पढ़ते हैं क्योंकि वर्तमान में आर्थिक अनिश्चितता ज़्यादा है।

भविष्य नहीं, यह वर्तमान की बेचैनी है

असल में नॉस्त्रेदमस की भविष्यवाणियाँ डर का कारण नहीं हैं, बल्कि यह दर्शाती हैं कि जब दुनिया बदलती है, तो लोग अपने डर और असुरक्षा को भविष्य की कहानियों में ढूँढते हैं। 2026 को लेकर चर्चा यह बताती है कि अनिश्चितता और भरोसे की कमी आज हमारी सोच को आकार दे रही है। न यह भविष्य है, न कोई निश्चित सच, बल्कि यह मानसिक असुरक्षा का आईना है जो आज के समय को दिखाता है।

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27 December 2025, 03:49 PM IST

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