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अब बजट भी IMF बनाएगा! पाकिस्तान की आर्थिक संप्रभुता पर संकट; 50 शर्तें लागू

आर्थिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान को IMF से एक अरब डॉलर की राहत तो मिली, लेकिन सख्त शर्तों के साथ उसकी आर्थिक संप्रभुता और सीमित हो गई है. 2 जून को पेश होने वाला बजट भी IMF की मंजूरी और निर्देशों पर ही आधारित होगा.

आर्थिक तंगी से जूझ रहे पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से लंबी मशक्कत के बाद एक अरब डॉलर की अगली किस्त मिलने का रास्ता साफ हो गया है. लेकिन ये राहत भी भारी शर्तों की चादर में लिपटी हुई है. दशकों से पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था वर्ल्ड बैंक, IMF और चीन जैसे देशों से मिले कर्ज पर टिकी है, जिसकी कीमत अब उसकी संप्रभुता को चुकानी पड़ रही है.

पाकिस्तान 2 जून को नया बजट पेश करने की तैयारी में है, लेकिन वो भी सीधे तौर पर IMF की स्वीकृति पर निर्भर है. IMF की टीम इस्लामाबाद पहुंच चुकी है और अब बजट के मसौदे से पहले पाकिस्तान के वित्त मंत्रालय को IMF के साथ विस्तृत विचार-विमर्श करना होगा.

बजट से पहले IMF की मंजूरी अनिवार्य

पाकिस्तान का नया बजट पेश होने से पहले ही IMF ने स्पष्ट कर दिया है कि वो इसकी रूपरेखा को अंतिम रूप देने में प्रत्यक्ष भूमिका निभाएगा. सूत्रों के अनुसार, बजट का हर अहम पक्ष, चाहे वो विकास खर्च हो, कर्ज भुगतान हो या सुधार योजनाएं- सब कुछ IMF की सहमति के बाद ही तय होगा. IMF पहले भी पाकिस्तान के बजट निर्माण में अहम भूमिका निभाता रहा है, लेकिन इस बार हालात और भी गंभीर हैं. IMF का कहना है कि बजट ऐसा होना चाहिए जिससे आर्थिक स्थिरता कायम रहे और वित्तीय जोखिमों के खिलाफ एक मजबूत बफर तैयार हो.

IMF ने थोप दीं 50 से ज्यादा शर्तें

IMF की ओर से पाकिस्तान पर अब तक कुल 50 शर्तें लागू की जा चुकी हैं. नई किस्त जारी करने से पहले 11 और कड़ी शर्तें जोड़ी गई हैं, जिनमें बजट के आकार और खर्च की सीमा भी शामिल है. IMF के निर्देशानुसार:-

  • पाकिस्तान का कुल बजट होगा 17.6 ट्रिलियन पाकिस्तानी रुपये

  • विकास खर्च के लिए निर्धारित राशि मात्र 1.07 ट्रिलियन रुपये

  • टैक्स ढांचे को मजबूत करने और कृषि आय पर टैक्स लगाने का सुझाव

  • गवर्नेंस एक्शन प्लान सार्वजनिक करना अनिवार्य

  • बिजली दरों में रियायत सीमित रखने का आदेश

जनता पर बढ़ेगा बोझ, सरकार की भूमिका सीमित

इन शर्तों के चलते पाकिस्तान सरकार की अपनी वित्तीय नीति तय करने की स्वतंत्रता लगभग खत्म हो चुकी है. IMF की निगरानी में तैयार हो रहा बजट ना केवल सामाजिक कल्याण योजनाओं को सीमित करेगा, बल्कि आम जनता पर टैक्स और कीमतों के रूप में अतिरिक्त बोझ भी डालेगा. बजट से पहले ही ये तय हो चुका है कि कृषि आय जैसी संवेदनशील श्रेणियों को भी टैक्स के दायरे में लाया जाएगा. वहीं, बिजली पर मिलने वाली सब्सिडी को भी नियंत्रित कर दिया गया है.

बीते सालों में पाकिस्तान ने IMF, चीन और सऊदी अरब जैसे देशों से वित्तीय सहायता तो ली है, लेकिन बदले में अपनी नीति निर्धारण की स्वतंत्रता लगभग गंवा दी है. यहां तक कि अब वो अपने देश का वार्षिक बजट भी खुद से तय करने की स्थिति में नहीं है.

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20 May 2025, 01:44 PM IST

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