पाक-आफगान शांति वार्ता पर आया संकट, तालिबान का असंवेदनशील रुख बनी समस्या का कारण
इस्तांबुल में शनिवार को हुई दूसरी दौर की वार्ता, दोहा में 16 अक्टूबर के युद्धविराम के बाद पहली बातचीत के एक सप्ताह बाद हुई. यह युद्धविराम 2021 में तालिबान के सत्ता में आने के बाद दोनों पक्षों के बीच सबसे घातक झड़पों को समाप्त करने वाला था.

नई दिल्ली: पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच शांति वार्ताओं में एक नया गतिरोध सामने आया है, जब पाकिस्तान ने तालिबान पर अविचारपूर्ण और असंबद्ध रुख अपनाने का आरोप लगाया. यह आरोप विशेष रूप से आतंकवाद-रोधी सहयोग सहित अहम सुरक्षा मुद्दों पर उठाए गए हैं. मीडिया के अनुसार, शांति वार्ता का दूसरा दौर इस्तांबुल में शनिवार को हुआ, जो कि दोहा में हुई पहली वार्ता के एक सप्ताह बाद आयोजित किया गया था. ये वार्ताएं 16 अक्टूबर को हुए संघर्षविराम के बाद शुरू हुईं, जिसने 2021 में तालिबान के अफगानिस्तान पर नियंत्रण के बाद से दोनों पक्षों के बीच सबसे घातक झड़पों को समाप्त किया.
खबरों के अनुसार, पाकिस्तान ने तालिबान के सामने स्पष्ट प्रमाण-आधारित और समाधान केंद्रित कर मांगें रखी थीं, जो सीमा पार आतंकवाद को रोकने से संबंधित थीं. हालांकि रिपोर्ट में कहा गया कि तालिबान के अकड़ और अविचारपूर्ण तर्कों ने उनकी सहयोग करने की इच्छाशक्ति पर गंभीर संदेह उत्पन्न किया है. जिसका मकसद इस्तांबुल में हुई वार्ता का मुख्य उद्देश्य सीमा पार उग्रवादी गतिविधियों को रोकने के लिए संयुक्त निगरानी और निगरानी तंत्र की स्थापना करना और व्यापार बाधाओं को कम करना भी इस एजेंडे में था.
तालिबान का सहयोग न करने का रुख
रिपोर्ट के अनुसार तालिबान ने पाकिस्तान की चिंताओं को गंभीरता से न लेने और क्षेत्रीय वास्तविकताओं को पहचानने से इंकार कर दिया. तुर्की, जो इस वार्ता में मध्यस्थ की भूमिका निभा रहा था, तालिबान प्रतिनिधिमंडल को पाकिस्तान की गंभीर चिंताओं को समझाने की कोशिश कर रहा है. पाकिस्तान ने अपनी अंतिम स्थिति स्पष्ट करते हुए चेतावनी दी है कि यदि अफगान धरती से आतंकवादी गतिविधियों का समर्थन या शरण दी जाती है, तो इसे स्वीकार नहीं किया जाएगा. पाकिस्तान ने तालिबान से आतंकवादी नेटवर्क के खिलाफ ठोस और प्रमाणित कार्रवाई करने का दबाव डाला है. पहले दौर की वार्ता में पाकिस्तान ने काबुल को आतंकवाद-रोधी योजना प्रस्तुत की थी, जिसका अफगान पक्ष ने रविवार को सुबह 2 बजे जवाब दिया.
रक्षा मंत्री की चेतावनी
इस्तांबुल में 19 अक्टूबर को हुए पहले दौर की वार्ता के दौरान पाकिस्तान ने एक विस्तृत आतंकवाद-रोधी योजना पेश की थी. जैसे ही दूसरे दौर की वार्ता शुरू हुई, पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने तालिबान से शांति वार्ता विफल होने की स्थिति में पूर्ण युद्ध की चेतावनी दी. उन्होंने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि पिछले चार से पांच दिनों में सीमा पर कोई झड़प नहीं हुई है और पहले दौर की वार्ता में जो 80 प्रतिशत समझौतों पर सहमति बनी थी, उन्हें पहले ही लागू किया जा चुका है.
डोनाल्ड ट्रंप ने शांति की मध्यस्थता का वादा किया
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, जो वैश्विक संघर्षों को समाप्त करने का श्रेय लेते रहे हैं, अब पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच संघर्ष को सुलझाने का वादा कर रहे हैं. मलेशिया में एशियान सम्मेलन के दौरान थाईलैंड-कंबोडिया शांति समझौते पर हस्ताक्षर करते हुए ट्रंप ने रविवार को कहा कि हम एक महीने में एक युद्ध का औसतन सामना कर रहे हैं. हालांकि मैंने सुना है कि पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच फिर से संघर्ष शुरू हो गया है, लेकिन मैं इसे बहुत जल्दी हल कर दूंगा. मैं उन्हें जानता हूं और पाकिस्तान के फील्ड मार्शल और प्रधानमंत्री दोनों महान लोग हैं, मुझे यकीन है कि हम इसे जल्दी सुलझा लेंगे.
राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि संघर्षों को सुलझाना ऐसा काम है, जिसे मैं अच्छे तरीके से कर सकता हूं. मुझे इसे करने की जरूरत नहीं है लेकिन अगर मैं समय निकालकर लाखों जिंदगियों को बचा सकता हूं. तो यह वास्तव में एक महान कार्य होगा. इससे पहले, गाजा शांति सम्मेलन में, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने ट्रंप को शांति का व्यक्ति करार देते हुए कहा था कि उन्होंने अप्रैल 22 के पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव को शांत करने में मदद की.


