score Card

कश्मीर मामले को फिर हवा देने निकला पाकिस्तान: चीन-अमेरिका के बीच चालाकी से संतुलन साधने की नई दोगली कूटनीति पर दुनिया की नजरें टिक गईं!

पाकिस्तान फिर से कश्मीर मुद्दे को उछालने की कोशिश कर रहा है। आर्मी चीफ असीम मुनीर की चीन यात्रा और उप-प्रधानमंत्री इशाक डार की अमेरिका मीटिंग के बाद सवाल उठ रहे हैं—क्या पाकिस्तान सच में संतुलन साध पाएगा?

Lalit Sharma
Edited By: Lalit Sharma

International News: पाकिस्तान इस समय दो बड़ी महाशक्तियों, चीन और अमेरिका, के बीच संतुलन बनाने का खेल खेल रहा है। कश्मीर मुद्दा एक बार फिर उसके एजेंडे में सबसे ऊपर है। आर्मी चीफ असीम मुनीर चीन गए और उप-प्रधानमंत्री इशाक डार अमेरिका पहुंचे। दोनों की यात्राओं का मकसद पाकिस्तान की बिगड़ती छवि को सुधारना और दुनिया में अपनी जगह मजबूत करना बताया जा रहा है। लेकिन इस पूरी कहानी में असली सवाल यह है कि क्या पाकिस्तान की चाल कामयाब होगी या सिर्फ एक और दिखावा साबित होगी?

चीन से मिले भरोसे के संकेत

मुनीर की चीन यात्रा में वहां के बड़े नेताओं से मुलाकात हुई। चीन ने खुले तौर पर कहा कि वह कश्मीर पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों का समर्थन करता है। पाकिस्तान ने इसे अपनी जीत की तरह पेश किया। आईएसपीआर ने प्रेस नोट जारी कर बताया कि दोनों देशों के बीच सैन्य और रणनीतिक रिश्ते पहले से ज्यादा मजबूत हुए हैं। लेकिन हकीकत यह है कि पाकिस्तान चीन पर 30 अरब डॉलर से ज्यादा कर्जदार है, ऐसे में उसकी स्वतंत्र नीति का दावा खोखला लगता है।

अमेरिका में इशाक डार का मिशन

उधर इशाक डार वॉशिंगटन में अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो से मिले। वहां पाकिस्तान ने अमेरिका से आर्थिक सहयोग और निवेश बढ़ाने की बात की। इशाक डार ने अमेरिका को भरोसा दिलाया कि चीन से नजदीकी होने के बावजूद पाकिस्तान वॉशिंगटन के साथ भी मजबूत रिश्ते चाहता है। उन्होंने कश्मीर मुद्दे को भी मीटिंग में उठाया और इसे दुनिया के सामने फिर से जीवित रखने की कोशिश की। लेकिन अमेरिकी प्रतिक्रिया ठंडी ही रही, जिससे पाकिस्तान की उम्मीदें पूरी नहीं हो पाईं।

ट्रंप के रुख से पाकिस्तान की उम्मीदें

अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद पाकिस्तान को लगा कि हालात बदल सकते हैं। ट्रंप की पहली सरकार में पाकिस्तान को कम तवज्जो मिली थी, लेकिन इस बार वे एशिया में नए समीकरण बना रहे हैं। पाकिस्तान मानता है कि ट्रंप की सख्त नीतियां चीन को घेरने के लिए उसे भी इस्तेमाल कर सकती हैं। यही वजह है कि पाकिस्तान अमेरिका से फिर से नजदीकी बढ़ाना चाहता है। हालांकि यह खेल बहुत नाजुक है क्योंकि चीन और अमेरिका दोनों एक-दूसरे के बड़े दुश्मन हैं।

कश्मीर पर पाकिस्तान की पुरानी आदत

पाकिस्तान लंबे समय से कश्मीर को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाता रहा है। लेकिन अब भारत की कूटनीति और वैश्विक छवि के कारण उसे समर्थन नहीं मिलता। चीन का समर्थन भी सिर्फ कागज़ पर रह जाता है, असलियत में बीजिंग अपने फायदे देखता है। पाकिस्तान जानता है कि जब तक कश्मीर मुद्दा जिंदा रहेगा, तब तक उसकी राजनीति में इसे भुनाने का मौका मिलता रहेगा। यही कारण है कि हर बड़ा नेता कश्मीर का नाम लेकर दुनिया का ध्यान खींचने की कोशिश करता है।

चीन-अमेरिका के बीच फंसा पाकिस्तान

आज की हकीकत यह है कि पाकिस्तान एक ओर चीन पर कर्जदार है और उसकी अर्थव्यवस्था भी उसी पर निर्भर है। दूसरी ओर वह अमेरिका से मदद मांग रहा है, लेकिन वॉशिंगटन भारत को नाराज़ नहीं करना चाहता। ऐसे में पाकिस्तान का बैलेंस बनाना मुश्किल है। एक्सपर्ट्स कहते हैं कि यह रस्साकशी पाकिस्तान को और असुरक्षित बना सकती है। अगर वह चीन के ज्यादा करीब जाता है तो अमेरिका दूर होगा, और अमेरिका के करीब जाएगा तो चीन नाराज़ होगा।

आगे का रास्ता कितना मुश्किल

आने वाले समय में अमेरिका और चीन के बीच तनाव और बढ़ने वाला है। ऐसे माहौल में पाकिस्तान कब तक दोनों का भरोसा बनाए रख पाएगा, यह बड़ा सवाल है। कश्मीर मुद्दा उठाकर वह अंतरराष्ट्रीय सहानुभूति लेना चाहता है, लेकिन अब हालात बदल चुके हैं। दुनिया आतंकवाद पर पाकिस्तान के पुराने रिकॉर्ड को जानती है। ऐसे में पाकिस्तान को अगर बचना है तो उसे संतुलन नहीं, बल्कि ईमानदारी से अपनी नीतियां बदलनी होंगी। वरना उसका हर प्लान दुनिया के सामने खुल जाएगा।

Topics

calender
05 August 2025, 07:49 PM IST

जरूरी खबरें

ट्रेंडिंग गैलरी

ट्रेंडिंग वीडियो

close alt tag