हमला सहकर घुटनों पर पाकिस्तान, अब RAW से ISI की मीटिंग की मांग
यूएन ब्रीफिंग में शामिल हुए बिलावल भुट्टो ने कहा कि पाकिस्तान आतंकवाद के खिलाफ भारत के साथ सहयोग चाहता है. उन्होंने जोर देकर कहा कि अरबों लोगों का भविष्य आतंकवादियों और गैर-राज्यवादी ताकतों के हाथों नहीं छोड़ा जा सकता, इसलिए दोनों देशों को मिलकर काम करना चाहिए.

ऑपरेशन सिंदूर में भारतीय कार्रवाई के बाद पाकिस्तान की रणनीतिक सोच में बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है. अब पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ने भारत से वार्ता की वकालत करते हुए खुफिया एजेंसियों ISI और RAW के अधिकारियों के बीच सीधी बातचीत का प्रस्ताव रखा है. बिलावल ने न्यूयॉर्क में यूएन ब्रीफिंग के दौरान कहा कि पाकिस्तान अब भी आतंकवाद के खिलाफ भारत के साथ मिलकर काम करने को तैयार है.
भुट्टो ने कहा कि अरबों लोगों का भविष्य आतंकवादियों के हाथों में नहीं छोड़ा जा सकता. अगर ISI और RAW मिलकर बैठें और साझा रणनीति अपनाएं, तो दोनों देशों में आतंकवाद में गिरावट आ सकती है. यह बयान ऐसे समय में आया है जब पाकिस्तान की सैन्य और कूटनीतिक स्थिति कमजोर नजर आ रही है.
भारत की तरह अमेरिका दौरे पर पाक प्रतिनिधिमंडल
दिलचस्प बात यह है कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत और पाकिस्तान दोनों ने अमेरिका से कूटनीतिक बातचीत का रुख किया है. भारत ने जहां अमेरिका के साथ रक्षा और रणनीतिक सहयोग पर जोर दिया, वहीं पाकिस्तान ने भी उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल अमेरिका भेजकर तनाव कम करने की कोशिश की.
प्रधानमंत्री शरीफ की दोहराई गई अपील
पाक प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ भी लगातार भारत से बातचीत की इच्छा जता रहे हैं. लाचिन में हुए त्रिपक्षीय सम्मेलन और तेहरान यात्रा के दौरान शरीफ ने दो बार भारत को वार्ता का प्रस्ताव दिया. उन्होंने कश्मीर, पानी और आतंकवाद जैसे मुद्दों पर सीधी बातचीत की ज़रूरत बताई.
ऑपरेशन सिंदूर का असर
भारतीय वायुसेना की कार्रवाई में पाकिस्तान को भारी नुकसान उठाना पड़ा है. एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक, इस ऑपरेशन में 6 PAF फाइटर जेट, 2 हाई-वैल्यू एयरक्राफ्ट, 10 UCAV (ड्रोन), 1 C-130 ट्रांसपोर्ट प्लेन और कई क्रूज़ मिसाइलें तबाह कर दी गईं. इससे पाकिस्तान की वायुसेना को रणनीतिक झटका लगा है.
शांति की पेशकश या रणनीतिक मजबूरी?
भुट्टो और शरीफ के नरम बयानों को विश्लेषक पाकिस्तान की मजबूरी से जोड़कर देख रहे हैं. माना जा रहा है कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान पर दबाव है कि वह अंतरराष्ट्रीय मंचों पर खुद को संयमित और बातचीत के लिए तैयार दिखाए.
निगाहें अब भारत के जवाब पर
फिलहाल भारत की ओर से कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है. लेकिन यह तय है कि भारत पाकिस्तान की किसी भी वार्ता की पेशकश को आतंकवाद के ठोस खिलाफ़ कदमों से ही जोड़ेगा. ISI और RAW की बातचीत की संभावना तब ही जमीनी हकीकत बन सकती है, जब पाकिस्तान अपने आतंकी ढांचे पर लगाम लगाए.


