बैन के बावजूद लंदन में गूंजे फिलिस्तीन के नारे, पुलिस ने सैकड़ों प्रदर्शनकारियों को किया गिरफ्तार
लंदन में शनिवार को प्रतिबंधित संगठन फिलिस्तीन एक्शन के समर्थन में भारी संख्या में लोग सड़कों पर उतर आए. प्रदर्शन के दौरान पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प हुई, जिसमें 425 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया. सरकार ने इस संगठन को जुलाई में आतंकी घोषित किया था.

Palestine Action Protest London: लंदन में शनिवार को ब्रिटिश सरकार द्वारा प्रतिबंधित संगठन फिलिस्तीन एक्शन के समर्थन में हजारों लोग सड़कों पर उतर आए. संसद भवन के बाहर पार्लियामेंट स्क्वायर में जुटी भीड़ ने सरकार के फैसले के खिलाफ जोरदार नारेबाजी की. इस दौरान हालात बेकाबू हो गए और पुलिस ने 425 से ज्यादा लोगों को हिरासत में ले लिया.
सरकार ने इस वर्ष जुलाई में फिलिस्तीन एक्शन को आतंकी संगठन घोषित किया था. इसके बावजूद प्रदर्शनकारियों का कहना है कि यह प्रतिबंध अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर सीधा हमला है और ब्रिटेन की सरकार इजरायल के युद्ध अपराधों पर आंखें मूंदे हुए है.
पुलिस-प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प
मेट्रोपॉलिटन पुलिस के अनुसार प्रदर्शनकारियों की संख्या लगभग 1000 से 1400 के बीच रही. पुलिस ने बताया कि कई प्रदर्शनकारी लाठी-डंडों और ईंट-पत्थरों से अधिकारियों पर हमला कर रहे थे. कुछ ने थूका और गाली-गलौज भी की. गिरफ्तारी के दौरान भीड़ ने पुलिस के खिलाफ "आपको शर्म आनी चाहिए" के नारे लगाए.
फिलिस्तीन एक्शन क्या है?
यह संगठन 2020 में हुडा अम्मोरी और पर्यावरण कार्यकर्ता रिचर्ड बर्नार्ड द्वारा शुरू किया गया था. इसका उद्देश्य इजरायल से जुड़े हथियार निर्माताओं और रक्षा ठेकेदारों के खिलाफ सीधी कार्रवाई कर उनके कामकाज को बाधित करना है. संगठन ने कई बार इजरायल से जुड़े सैन्य उद्योगों और कंपनियों पर तोड़फोड़, पेंट से हमला और अवरोध जैसी कार्रवाइयां की हैं.
सरकार ने क्यों लगाया प्रतिबंध?
ब्रिटेन की तत्कालीन गृह मंत्री यवेट कूपर ने कहा था कि संगठन का रवैया अहिंसक विरोध से आगे बढ़कर तोड़फोड़ और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बन गया है. कूपर के अनुसार, यह सिर्फ विरोध नहीं बल्कि लगातार आपराधिक क्षति पहुंचाने का अभियान है.
इससे पहले 2024 में एक सरकारी समीक्षा रिपोर्ट में फिलिस्तीन एक्शन और जस्ट स्टॉप ऑयल जैसे पर्यावरण समूहों की तुलना आतंकी संगठनों से की गई थी. रिपोर्ट के लेखक लॉर्ड वॉल्नी ने कहा था, आर्थिक नुकसान और राजनीतिक मकसद से की गई हिंसा, आतंकवाद की परिभाषा में आती है.
संयुक्त राष्ट्र विशेषज्ञों, मानवाधिकार संगठनों और कई राजनेताओं ने इस प्रतिबंध की निंदा की है. आलोचकों का कहना है कि संगठन ने कभी हथियारों का प्रयोग नहीं किया और इसके निशाने हमेशा संपत्तियां रही हैं, लोग नहीं. वहीं सरकार का दावा है कि कानून व्यवस्था और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए यह कदम जरूरी था.
सैकड़ों प्रदर्शनकारियों को किया गया गिरफ्तार
अब तक फिलिस्तीन एक्शन से जुड़े सैकड़ों लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है, जिनमें अधिकतर 60 वर्ष से ऊपर के बताए जा रहे हैं. नए कानून के तहत प्रतिबंधित संगठन से जुड़ाव पाए जाने पर 14 साल तक की जेल की सजा हो सकती है.


