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2030 तक चांद पर 'न्यूक्लियर पॉवर स्टेशन'! नासा कर रही तैयारी, जानिए क्यों जरूरी है ये मिशन

नासा 2030 तक चांद पर न्यूक्लियर रिएक्टर स्थापित करने की योजना पर तेजी से काम कर रहा है, जिससे भविष्य में मानव बस्ती के लिए 24x7 बिजली सुनिश्चित की जा सके. ये कदम चीन-रूस की बढ़त को देखते हुए राष्ट्रीय सुरक्षा और अंतरिक्ष रणनीति के लिहाज से अहम माना जा रहा है.

NASA moon mission: अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा 2030 तक चांद पर एक न्यूक्लियर रिएक्टर स्थापित करने की योजना पर तेजी से काम कर रही है. इस मिशन का उद्देश्य चंद्रमा पर मानव उपस्थिति को स्थायी बनाना है. अमेरिकी मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, नासा को ये निर्देश अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन में कार्यरत अंतरिम प्रमुख सीन डफी ने दिए हैं. उन्होंने इसे अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा और मंगल मिशन के लिहाज से बेहद जरूरी बताया है.

सीन डफी ने एक आधिकारिक पत्र में नासा से इस दिशा में तेजी से कदम उठाने को कहा है और प्राइवेट कंपनियों से ऐसे न्यूक्लियर पावर सिस्टम्स के प्रस्ताव मांगे हैं, जो कम से कम 100 किलोवॉट बिजली उत्पन्न कर सकें. ये रिएक्टर चांद पर 24×7 बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करेगा, जो भविष्य में इंसानों की चंद्रमा पर बसाहट के लिए बेहद अहम होगा.

चीन और रूस से मुकाबले की तैयारी

नासा को इतनी जल्दी में ये कदम इसलिए उठाना पड़ रहा है क्योंकि चीन और रूस भी चांद पर न्यूक्लियर पावर बेस बनाने की तैयारियों में जुटे हैं. रिपोर्ट्स के अनुसार, ये दोनों देश 2035 तक एक ऑटोमैटिक न्यूक्लियर पावर स्टेशन स्थापित करने की योजना बना चुके हैं. विशेषज्ञों को आशंका है कि भविष्य में ये देश चांद पर किसी विशेष इलाके को 'कीप आउट जोन' घोषित कर सकते हैं, यानी वहां किसी अन्य देश की एंट्री पर रोक लगा सकते हैं.

चांद पर न्यूक्लियर रिएक्टर क्यों है जरूरी?

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, चांद पर एक दिन धरती के हिसाब से लगभग 28 दिनों का होता है, जिसमें 14 दिन लगातार धूप और 14 दिन घना अंधकार रहता है. ऐसे में सोलर एनर्जी पर पूरी तरह निर्भर रहना मुश्किल हो जाता है. न्यूक्लियर पावर सिस्टम चांद पर 24 घंटे और सातों दिन लगातार बिजली सप्लाई दे सकता है, जो किसी भी मानव मिशन और बेस को चालू रखने के लिए आवश्यक है.

पहले भी हो चुकी है पहल

ये विचार नया नहीं है. 2022 में ही नासा ने 3 निजी कंपनियों को $5 मिलियन डॉलर के कॉन्ट्रैक्ट दिए थे ताकि वे चंद्रमा के लिए न्यूक्लियर रिएक्टर का डिजाइन तैयार कर सकें. अब सीन डफी ने इस पूरे मिशन को और तेजी देने के निर्देश दिए हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि अगर इस परियोजना को पर्याप्त फंडिंग मिले, तो 2030 तक चांद पर न्यूक्लियर रिएक्टर स्थापित करना तकनीकी रूप से संभव है.

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06 August 2025, 06:15 PM IST

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