12 मौतें... POK से कराची-इस्लामाबाद तक फैली विरोध की आग, प्रेस क्लब में वकीलों-पत्रकारों पर लाठीचार्ज
पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में भड़के प्रदर्शन अब कराची और इस्लामाबाद तक फैल गए हैं, जहां पुलिस ने प्रेस क्लब में घुसकर वकीलों व पत्रकारों पर लाठीचार्ज किया.

POK protest: पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में भड़की आग अब पूरे पाकिस्तान में फैलती जा रही है. कराची और इस्लामाबाद जैसे बड़े शहरों में भी सैकड़ों लोग सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन कर रहे हैं. स्थिति तब और गंभीर हो गई जब पुलिस ने इस्लामाबाद स्थित नेशनल प्रेस क्लब में घुसकर शांतिपूर्ण तरीके से विरोध कर रहे वकीलों और पत्रकारों पर हमला कर दिया. यह घटना 2 अक्टूबर को तब हुई, जब PoK में पुलिस फायरिंग में कम से कम 12 नागरिकों की मौत हो गई थी.
बीते 38 सालों में PoK में देखे गए सबसे बड़े विरोध-प्रदर्शन अब पाकिस्तान के अन्य हिस्सों में भी गूंजने लगे हैं. स्थानीय लोग पाकिस्तानी सरकार और सेना पर दमनकारी नीतियों का आरोप लगा रहे हैं. प्रदर्शनकारियों का कहना है कि सरकार ना केवल उनकी आवाज दबा रही है बल्कि अपने ही नागरिकों का खून बहा रही है.
इस्लामाबाद प्रेस क्लब में पुलिस का धावा
गुरुवार को इस्लामाबाद के नेशनल प्रेस क्लब के बाहर जम्मू-कश्मीर संयुक्त अवामी एक्शन कमेटी (JKJAAC) से जुड़े वकील शांतिपूर्ण धरना दे रहे थे. तभी पुलिस ने अचानक हमला किया और वकीलों को खदेड़ते हुए प्रेस क्लब के अंदर घुस गई. वहां मौजूद पत्रकारों और अन्य प्रदर्शनकारियों को भी बर्बर लाठीचार्ज का सामना करना पड़ा.
वीडियो फुटेज में पुलिसकर्मियों को प्रेस क्लब के अंदर तोड़फोड़ करते, उपकरण नष्ट करते और प्रदर्शनकारियों को घसीटते देखा गया. इस कार्रवाई ने पूरे पाकिस्तान में सरकार और पुलिस के खिलाफ आक्रोश को और भड़का दिया है.
कराची में भी सड़कों पर उतरे लोग
अंतरराष्ट्रीय मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, JKJAAC ने कराची में भी विरोध प्रदर्शन किया, जिसमें सैकड़ों लोग शामिल हुए. प्रदर्शनकारियों ने पाकिस्तानी सरकार से जवाबदेही की मांग करते हुए 12 विधानसभा सीटों को खत्म करने की मांग की, जो भारतीय जम्मू-कश्मीर से आए शरणार्थियों के लिए आरक्षित हैं. इसके अलावा उन्होंने राजनेताओं की विशेष सुविधाओं और भत्तों को भी खत्म करने की मांग की.
38 मांगों से शुरू होकर बड़े आंदोलन में बदला विरोध
PoK में यह विरोध मूल रूप से सरकार द्वारा 38 अहम मांगों को पूरा न करने से शुरू हुआ था. लेकिन अब यह आंदोलन सेना के कथित अत्याचारों और राजनीतिक विशेषाधिकारों के खिलाफ बड़े जनांदोलन में बदल गया है. क्षेत्र पूरी तरह से ठप हो चुका है और लोगों का गुस्सा लगातार बढ़ रहा है.
बातचीत विफल, आंदोलन जारी रखने का ऐलान
हाल ही में अवामी एक्शन कमेटी (AAC) और पाकिस्तानी सरकार तथा PoK प्रशासन के बीच लंबी बातचीत हुई, लेकिन यह वार्ता बेनतीजा रही. AAC नेताओं ने स्पष्ट कहा कि वे विशेषाधिकार और शरणार्थी सीटें खत्म करने के मुद्दे पर कोई समझौता नहीं करेंगे.
AAC नेता शौकत नवाज मीर ने सरकार और सेना पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि यह सरकार एक ‘डायन’ है. यह अपने ही लोगों का खून बहा रही है और उन्हें चुप कराने के लिए चुड़ैल-शिकार (witch hunt) चला रही है. शौकत नवाज मीर ने यह भी ऐलान किया कि आंदोलन किसी भी कीमत पर जारी रहेगा.


