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90 राफेल F4 और 24 F5 विकल्प पर भारत की बड़ी चाल, फ्रांस ने मेगा फाइटर जेट डील की पुष्टि की

फ्रांस के रक्षा मंत्रालय ने पुष्टि की है कि भारत 90 राफेल F4 लड़ाकू विमान खरीदने का प्लान बना रहा है। इसके साथ 24 राफेल F5 का विकल्प भी रखा गया है। यह भारत–फ्रांस रक्षा भरोसे की बड़ी मिसाल मानी जा रही है।

Lalit Sharma
Edited By: Lalit Sharma

International News: फ्रांस ने आधिकारिक तौर पर कहा कि भारत 90 राफेल F4 लेने की तैयारी कर रहा है। यह जानकारी एक सरकारी विश्लेषण में सामने आई। बाद में यह रिपोर्ट पब्लिक एक्सेस से हटा दी गई। इसमें चीन और पाकिस्तान के गलत प्रचार का भी जिक्र था। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान राफेल को लेकर कई झूठी बातें फैलाई गई थीं। फ्रांस ने इन्हें खारिज करते हुए भारत के भरोसे की पुष्टि की।

रिपोर्ट में क्या जानकारी थी?

फ्रांसीसी मंत्रालय ने लिखा कि 90 राफेल F4 ऑर्डर और 24 F5 का विकल्प दोनों देशों के मजबूत रिश्तों को दिखाता है। भारत 1953 से डसॉल्ट विमान इस्तेमाल कर रहा है। तूफानी से लेकर मिराज 2000 तक लंबी इतिहास रहा है। राफेल उसी भरोसे की अगली कड़ी है। यह साझेदारी तकनीक और सुरक्षा दोनों में अहम भूमिका निभा रही है।

भारत ने दिलचस्पी कब दिखाई?

अगस्त 2025 में भारत ने फॉलो-ऑन ऑर्डर में दिलचस्पी दिखाई थी। MRFA के तहत 114 लड़ाकू विमानों की जरूरत बताई गई। सरकार G2G मॉडल से खरीद पर विचार कर रही है। वायुसेना चाहती है कि सामान्य टेंडर प्रक्रिया न अपनाई जाए। स्क्वाड्रन घटने के दबाव को देखते हुए जल्दी खरीद जरूरी है।

MRFA योजना क्यों जरूरी है?

वायुसेना की स्क्वाड्रन क्षमता कम हो रही है। पुरानी फ्लीट को बदलना जरूरी है। चीन और पाकिस्तान की गतिविधियां भी चिंता बढ़ा रही हैं। ऐसे में तेज डिलीवरी सबसे अहम है। सरकार चाहती है कि समय बर्बाद न हो। राफेल की क्षमता को देखते हुए इसे प्राथमिकता दी जा रही है।

राफेल लड़ाकू विमान कितना खास?

राफेल ट्विन इंजन और मल्टीरोल जेट है। यह कई तरह के मिशन कर सकता है। इसमें एयर डोमिनेंस, डीप स्ट्राइक और एंटी शिप क्षमता शामिल है। यह परमाणु मिशन भी कर सकता है। इसमें राफेल मरीन नाम का नौसेना संस्करण भी है। यह एयरक्राफ्ट कैरियर के लिए खास बनाया गया है।

नौसेना के लिए क्या प्लान है?

भारत ने 90 राफेल मरीन खरीदने में रुचि दिखाई है। यह नौसेना के बेड़े को मजबूत करेगा। INS विक्रांत और दूसरे कैरियर्स पर इसका इस्तेमाल हो सकता है। वायुसेना के लिए भी अतिरिक्त राफेल पर चर्चा चल रही है। सरकार भविष्य की जरूरतों को देखते हुए विकल्प मजबूत करना चाहती है। आने वाले महीनों में फैसला और आगे बढ़ सकता है।

भारत–फ्रांस साझेदारी कितनी मजबूत?

दोनों देशों के बीच भरोसा लगातार बढ़ा है। हथियार, तकनीक और एयरक्राफ्ट सभी में सहयोग गहरा रहा है। राफेल डील इसका बड़ा उदाहरण है। फ्रांस ने हमेशा भारत की जरूरतों को प्राथमिकता दी है। नई खरीद से यह साझेदारी और मजबूत होगी। आने वाले सालों में दोनों देशों की सैन्य भागीदारी और आगे जाएगी।

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03 December 2025, 08:01 PM IST

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