शराब, नृत्य और नग्नता में डूबा रहता था ये सम्राट, लोगों को मारना था शौक
रोम का सम्राट नीरो इतिहास के सबसे सनकी और निर्दयी शासकों में से एक था. उसका जीवन शराब, नृत्य और नग्नता में डूबा रहता था. नीरो का सबसे बड़ा शौक था अपना संगीत दूसरों को सुनाना और तारीफ सुनना. जो लोग उसकी प्रशंसा में ताली नहीं बजाते थे, उन्हें वह मौत की सजा दे देता था. तो चलिए इस राजा के बारे में दिलचस्प बाते जानते हैं.

इतिहास में कई ऐसे शासक हुए जिन्होंने अपनी सत्ता बचाने के लिए निर्दयी फैसले लिए, लेकिन रोम का बादशाह नीरो (Nero) उनमें सबसे अलग था क्योंकि उसके फैसलों की वजह सत्ता नहीं, बल्कि सनक और स्वार्थ हुआ करता था. इस शासक के लिए जीवन का मतलब था शराब, संगीत, नग्नता और अपनी तारीफ सुनना.
नीरो की दरिंदगी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उसने न सिर्फ अपनी मां और पत्नियों की हत्या करवाई, बल्कि आम लोगों को जिंदा जलाना उसका ‘मनोरंजन’ था. उसे अपनी ही प्रजा की चीखें सुनकर संतोष मिलता था. आइए जानते हैं इस पागलपन की हदें पार कर चुके तानाशाह की कहानी.
तारीफ न करने पर मिलती थी दर्दनाक मौत
नीरो का सबसे बड़ा जुनून था अपनी तारीफ सुनना. वह जब भी संगीत प्रस्तुत करता, हर किसी को ताली बजानी अनिवार्य थी. जो लोग उसकी तारीफ नहीं करते थे, उन्हें सरेआम मौत की सजा दी जाती थी. लोगों को मारना उसका शौक बन चुका था.
रोम जल रहा था, नीरो बंसी बजा रहा था
नीरो की बेरुखी का प्रतीक बन चुकी कहावत “जब रोम जल रहा था, तब नीरो बंसी बजा रहा था” – आज भी दुनियाभर के लापरवाह शासकों के लिए इस्तेमाल होती है. रोम में जब भीषण आग लगी, तब नीरो बंसी बजाने में व्यस्त था और जनता की हालत से बेखबर था.
मां ने बनाया राजा, बेटे ने कराई हत्या
नीरो का जन्म 37 ईस्वी में हुआ था और 54 ईस्वी में 16 साल की उम्र में वह सम्राट बना. उसकी मां एग्रीपिना ने उसे राजा बनाने के लिए अपने पति क्लाडिअस की हत्या तक करवा दी थी. लेकिन सत्ता में आते ही नीरो ने अपनी मां की ही हत्या करवा दी. यह उसका सत्ता के नशे में पहला खून था.
सत्ता के नशे में डूबा था नीरो
प्रसिद्ध रोमन इतिहासकार टैसिटस ने अपनी किताब Annals में नीरो की विलासिता का विस्तार से वर्णन किया है. नीरो दिन-रात शराब, नाच-गाना और नग्नता में डूबा रहता था. उसके लिए शासन नहीं, आनंद मायने रखता था.
पत्नी को भी नहीं छोड़ा
नीरो की क्रूरता का सबसे शर्मनाक चेहरा तब सामने आया जब उसने गर्भवती पत्नी पोपिया की हत्या करवा दी. उससे पहले उसने अपनी पहली पत्नी ऑक्टेविया को भी मरवा दिया था. सत्ता, संदेह और सनक ने उसे एक ऐसा राक्षस बना दिया था, जिसे रिश्तों से कोई मतलब नहीं था.
नीरो का अंत
अपने अंतिम दिनों में नीरो की क्रूरता के खिलाफ आवाज़ें उठने लगी थीं. अंत में, साल 68 ईस्वी में जब उसकी सेना ने भी साथ छोड़ दिया, तो नीरो ने खुद अपनी जान ले ली. उसका अंत भी उतना ही डरावना था, जितना उसका जीवन.


