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2022 में ही हो गया था यूक्रेन के साथ समझौता लेकिन ब्रिटेन के पूर्व पीएम बॉरिस जॉनसन ने...रूस के विदेश मंत्री का बड़ा खुलासा

रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने खुलासा किया कि 2022 में रूस-यूक्रेन वार्ता की कोशिश ब्रिटेन के दबाव से विफल हुई. उन्होंने कहा, मॉस्को यूक्रेन की स्वतंत्रता मानता है लेकिन पश्चिमी देश बाधा बने. ट्रंप-पुतिन बैठक फिलहाल स्थगित है, पर शांति वार्ता की गुंजाइश अब भी बनी हुई है.

Yaspal Singh
Edited By: Yaspal Singh

नई दिल्लीः रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध पर रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने एक बड़ा खुलासा किया है. उन्होंने कहा कि 2022 में जब रूस ने यूक्रेन में विशेष सैन्य अभियान शुरू किया था, उसके कुछ ही सप्ताह बाद यूक्रेन की ओर से बातचीत का प्रस्ताव आया था. रूस ने उस प्रस्ताव को स्वीकार किया और कई दौर की वार्ताएं हुईं, जिनमें इस्तांबुल वार्ता भी शामिल थी.

इस्तांबुल वार्ता में ब्रिटेन क्या थी भूमिका?

लावरोव के अनुसार, इस्तांबुल में यूक्रेनी प्रतिनिधिमंडल ने एक संधि-आधारित दस्तावेज़ प्रस्तुत किया था, जिसे रूस ने स्वीकार कर लिया था. यह दस्तावेज़ संभावित शांति समझौते की नींव रख सकता था. लावरोव ने दावा किया कि ब्रिटेन के तत्कालीन प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने यूक्रेन पर दबाव डाला कि वह इस समझौते को आगे न बढ़ाए और युद्ध जारी रखे.

लावरोव ने कहा कि ब्रिटिश प्रधानमंत्री ने कहा था, ‘ऐसा मत करो, रूस से तब तक लड़ते रहो जब तक हम उन्हें हरा नहीं देते. लावरोव ने ब्रिटेन के मौजूदा प्रधानमंत्री कीर स्टारमर पर भी निशाना साधते हुए कहा कि जब वह कहते हैं कि पुतिन ही बातचीत के खिलाफ हैं, तो उन्हें अपने पूर्व प्रधानमंत्री को याद करना चाहिए जिन्होंने शांति के प्रयासों को विफल किया था.

रूस यूक्रेन की स्वतंत्रता को मान्यता देता है

रूस के विदेश मंत्री ने यह भी कहा कि मॉस्को यूक्रेन की स्वतंत्रता को मान्यता देता है और इस पर कोई संदेह नहीं है. हालांकि उन्होंने यह आरोप लगाया कि कीव प्रशासन रूस के नए क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को दूसरे दर्जे का नागरिक मानता है. लावरोव ने कहा कि हम कभी यह स्वीकार नहीं कर सकते कि इन क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को हमारे संविधान में दूसरे दर्जे का दर्जा दिया जाए. यह 2014 के तख्तापलट के बाद से ही स्पष्ट है.

उन्होंने अमेरिका पर भी निशाना साधा. लावरोव ने याद दिलाया कि विक्टोरिया नुलैंड ने अमेरिकी कांग्रेस में स्वीकार किया था कि अमेरिका ने यूक्रेन को समर्थन देने के लिए लगभग 5 बिलियन डॉलर खर्च किए थे, ताकि कीव में लोकतांत्रिक सरकार स्थापित की जा सके.

ट्रंप-पुतिन बैठक पर भी अनिश्चितता

इसी बीच, रूस के निवेश और आर्थिक सहयोग के दूत किरिल दिमित्रिव ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और व्लादिमीर पुतिन के बीच बुडापेस्ट में प्रस्तावित शिखर सम्मेलन रद्द नहीं हुआ है, बल्कि उसे आगे के लिए स्थगित किया गया है. हालांकि, ट्रंप ने खुद कहा कि वह इस बैठक को तब तक नहीं करना चाहते जब तक उन्हें किसी ठोस प्रगति का भरोसा न हो.

उन्होंने कहा कि मुझे यकीन होना चाहिए कि हम किसी समझौते पर पहुंच सकते हैं. मैं सिर्फ औपचारिक बातचीत में समय बर्बाद नहीं करूंगा. ट्रंप ने यह भी कहा कि पुतिन के साथ उनके “हमेशा अच्छे संबंध” रहे हैं, लेकिन मौजूदा हालात काफी निराशाजनक हैं. उन्होंने जोर देकर कहा कि वह बैठक का समय तभी तय करेंगे जब वार्ता से वास्तविक परिणाम की उम्मीद होगी.

अभी भी है वार्ता की गुंजाइश

लावरोव के इन बयानों से यह स्पष्ट होता है कि रूस अब भी शांति वार्ता की संभावना को पूरी तरह खारिज नहीं कर रहा, लेकिन पश्चिमी देशों की भूमिका पर गंभीर सवाल उठा रहा है. वहीं, अमेरिका और रूस के बीच कूटनीतिक वार्ता की संभावनाएं अभी भी अधर में हैं.

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27 October 2025, 12:29 PM IST

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