रूसी मीडिया बना पाकिस्तान का हमदर्द! ऑपरेशन सिंदूर के बाद राफेल पर उठाए सवाल
ऑपरेशन सिंदूर के बाद राफेल और पाकिस्तानी J-10C की टक्कर पर वैश्विक बहस छिड़ी हुई है. इसी बीच रूस के सरकारी मीडिया चैनल RT ने राफेल की क्षमता पर सवाल उठाते हुए पाकिस्तानी प्रोपेगेंडा को हवा देना शुरू कर दिया है, जिससे नई रणनीतिक आशंकाएं पैदा हो गई हैं.

भारत और रूस की दोस्ती दशकों पुरानी है. सोवियत संघ के समय से दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी मजबूत रही है. खासतौर पर 1971 में पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध के दौरान सोवियत संघ ने भारत की खुलकर मदद की थी. अमेरिका के हस्तक्षेप को रोकने के लिए सोवियत नौसेना ने अपने युद्धपोत तक हिंद महासागर में तैनात कर दिए थे. आज भी भारत रूस से 60 फीसदी से ज्यादा सैन्य साजो-सामान खरीदता है. यूक्रेन युद्ध के दौरान भी भारत ने रूस का साथ नहीं छोड़ा. अमेरिकी दबाव के बावजूद भारत ने रूस से तेल और हथियारों की खरीद जारी रखी.
हाल ही में भारत द्वारा पाकिस्तान में की गई 'ऑपरेशन सिंदूर' स्ट्राइक के बाद रूस के सरकारी मीडिया चैनल RT ने फ्रांस के राफेल फाइटर जेट्स की क्षमता पर सवाल खड़े कर दिए हैं. RT का दावा है कि रूस का सुखोई-57 फाइटर जेट राफेल और अमेरिका के एफ-35 से कहीं ज्यादा प्रभावी है. खास बात यह है कि यह बयान ऐसे वक्त में सामने आया है जब पाकिस्तान राफेल की क्षमताओं पर फर्जी खबरें फैलाकर भारत की सैन्य सफलता को कमजोर दिखाने की कोशिश कर रहा है.
इंडोनेशिया की डील को लेकर प्रोपेगेंडा
रूसी मीडिया का यह हमला महज पत्रकारिता नहीं, बल्कि रणनीतिक रूप से भारत और फ्रांस के बढ़ते रिश्तों को प्रभावित करने की कोशिश मानी जा रही है. दरअसल, इंडोनेशिया अपनी वायुसेना को आधुनिक बनाने के लिए फ्रांस से 42 राफेल फाइटर जेट्स खरीदने की तैयारी कर रहा है. इस डील की कीमत लगभग 8 अरब डॉलर बताई जा रही है. इसी बीच पाकिस्तानी सोशल मीडिया और चैनलों पर यह खबर फैलाई गई कि इंडोनेशिया इस डील को रद्द कर सकता है. इसी दावे को RT ने भी प्रमुखता से उठाया.
सुखोई-57 को बना रहे गेमचेंजर
रूसी मीडिया ने न केवल राफेल की प्रभावशीलता पर सवाल उठाए, बल्कि अपने सुखोई-57ई को दक्षिण एशिया के लिए ‘गेमचेंजर’ बताने की मुहिम भी शुरू कर दी. RT का कहना है कि सुखोई-57 पांचवीं पीढ़ी का फाइटर जेट है जो न केवल तकनीकी रूप से उन्नत है, बल्कि राफेल और एफ-35 से भी बेहतर है. रूस चाहता है कि दक्षिण पूर्व एशिया और भारत जैसे पारंपरिक बाजारों में उसका दबदबा बना रहे.


