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कातिल निगाहे, जानलेवा जाल और खुफिया दुनिया की बेताज मलिका... चौंका देगी इस जासूस की कहानी

ये कहानी है माता हारी की एक ऐसी महिला की, जिसने अपनी खूबसूरती और आत्मविश्वास के दम पर यूरोप की राजनीति और जासूसी की दुनिया को हिला दिया. असली नाम मार्गेटा ट्सेला, जिसने नाकाम शादी और निजी संघर्षों के बाद डांसर के तौर पर पहचान बनाई और फिर बन गई खतरनाक महिला जासूस.

Deeksha Parmar
Edited By: Deeksha Parmar

दुनिया की जासूसी कहानियों में एक नाम ऐसा भी है, जिसे सुनते ही रहस्य, रोमांच और सुंदरता की परिभाषा बदल जाती है—माता हारी। पहली विश्व युद्ध के दौरान यूरोप की सत्ता, सेनाएं और खुफिया एजेंसियां जिसे पहचान ही नहीं पाईं कि वो एक कलाकार है या दुश्मन की सबसे घातक चाल। भारत-पाक जासूसी मामलों के बीच आज हम आपको एक ऐसी महिला जासूस की कहानी बताएंगे जिसने हुस्न को हथियार बनाकर दुनिया को चौंका दिया.

1876 में जन्मी माता हारी का असली नाम था मार्गेटा ट्सेला। उसकी जिंदगी में न सिर्फ ग्लैमर था, बल्कि गहरे जख्म, खतरों से भरी चालें और अंत में एक ऐसी मौत, जिसने उसे इतिहास की सबसे चर्चित महिला जासूस बना दिया। ये कहानी है एक साधारण लड़की के जासूस बनने तक के उस रहस्यमयी सफर की, जिसने यूरोप को अपनी उंगलियों पर नचाया.

जब टूट गया शादी का सपना

मार्गेटा का जन्म एक हैट व्यापारी के घर हुआ था। बचपन आरामदायक था, लेकिन युवावस्था में उसकी शादी डच ईस्ट इंडीज़ में एक सैन्य अधिकारी से हुई, जो असफल रही। पति की ज्यादतियों से परेशान होकर उसने तलाक ले लिया। दो बच्चों में से एक की कस्टडी मिली, लेकिन पैसों की कमी ने उसे बेटी से भी दूर कर दिया.
इसके बाद मार्गेटा ने सर्कस में परफॉर्मर के तौर पर काम करना शुरू किया और धीरे-धीरे वो यूरोप के स्टेज पर डांस शोज़ की मशहूर अदाकारा बन गई। उसने ऐसा बोल्ड डांस स्टाइल ईजाद किया, जो उस दौर के लिए नया और विवादित था। उसका नया नाम था—माता हारी.

माता हारी बनी ऊंचे समाज की स्टार

उसकी खूबसूरती और दिलकश अदाओं ने उसे यूरोपीय समाज के उच्च तबकों में एक लोकप्रिय चेहरा बना दिया। राजनेता, सैनिक और व्यापारी उसके दीवाने हो गए। डांस के ज़रिए जो शुरुआत हुई थी, वो अब उसे सीधे सत्ता के गलियारों में ले जा रही थी. लेकिन जैसे-जैसे उम्र बढ़ी, स्टेज से दूरी बढ़ने लगी, और तब शुरू हुआ उसका जासूसी का अध्याय.

जासूसी में हुस्न बना हथियार

कहा जाता है कि माता हारी ने अपने हुस्न और संबंधों के जरिए मित्र राष्ट्रों के सैनिकों से गोपनीय जानकारियां हासिल कीं और उन्हें जर्मनी को दे दिया। फ्रांस की अदालत में पेश सबूतों के अनुसार, वह डबल एजेंट थी। कोडनेम H21 से वह जर्मन खुफिया एजेंसी से जुड़ी हुई बताई गई.

कई रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि उसकी वजह से हजारों सैनिकों की जान गई। और उसकी गिरफ्तारी का कारण बना वो टेलिग्राम, जिसे जर्मन सेना के एक अधिकारी ने बर्लिन भेजा था.

सच्चाई या साजिश?

लेकिन माता हारी की सच्चाई आज भी इतिहासकारों में मतभेद का विषय है। कुछ का मानना है कि वह वाकई जासूस थी, तो कई इसे फ्रांसीसी सेना की साजिश मानते हैं. प्रथम विश्व युद्ध में हार का सामना करने के बाद फ्रांस को किसी “गुनहगार” की तलाश थी, और एक स्वतंत्र व बोल्ड महिला को दोषी ठहराना आसान था. कुछ विशेषज्ञ तो यह भी कहते हैं कि जर्मन टेलिग्राम फ्रेंच खुफिया एजेंसी की चाल थी, ताकि माता हारी को बलि का बकरा बनाया जा सके.

गोलियों से छलनी कर दी गई हुस्न की देवी

1917 में माता हारी को गिरफ्तार किया गया और फ्रांसीसी फायरिंग स्क्वॉड ने गोलियों से उसे भून दिया। लेकिन 100 साल बाद फ्रांस के रक्षा मंत्रालय द्वारा जारी दस्तावेज़ों ने इस मौत को फिर से रहस्यमय बना दिया। जासूसी ट्रांसक्रिप्ट और टेलिग्राम म्यूज़ियम में रखे गए हैं, जो आज भी बहस का विषय बने हुए हैं.

जासूसी की दुनिया में नाम अमर

आज भी माता हारी का नाम सिर्फ एक जासूस के रूप में नहीं, बल्कि उस महिला के तौर पर लिया जाता है जिसने अपनी आजादी, आत्मसम्मान और अस्तित्व को दांव पर लगाकर एक ऐसी कहानी लिखी, जिसे इतिहास कभी भुला नहीं सकता.

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21 May 2025, 02:22 PM IST

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