सऊदी-यूएई तनाव चरम पर, यमन के मुकल्ला में सऊदी हमले के बाद UAE ने अपनी बची हुई फौज वापस बुलाई
सऊदी अरब ने यमन पर हवाई हमला किया, तो UAE ने लिया बड़ा फैसला, संयुक्त अरब अमीरात (UAE) ने अब यमन से अपनी सेना वापस बुलाने का ऐलान कर दिया है.

नई दिल्ली: संयुक्त अरब अमीरात (UAE) ने मंगलवार को बड़ा फैसला लेते हुए सऊदी अरब से अपने सैनिकों को वापस बुलाने का ऐलान किया है. यह निर्णय ऐसे समय पर सामने आया है, जब सऊदी अरब ने यमन के बंदरगाह शहर मुकल्ला पर बमबारी की. सऊदी अरब का आरोप है कि यह हमला यूएई से आई एक हथियारों की खेप को निशाना बनाकर किया गया, जो यमन पहुंची थी.
इस फैसले के पीछे सुरक्षा और आतंकवाद-रोधी अभियानों की प्रभावशीलता को कारण बताया गया है. एक रिपोर्ट के अनुसार, यूएई के रक्षा मंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि देश अपनी स्वेच्छा से सऊदी अरब में तैनात अपने शेष सैन्य कर्मियों को वापस बुलाएगा. वहीं, यूएई ने यमन को हथियार भेजने के आरोपों को सिरे से खारिज किया है.
UAE ने हथियार भेजने के आरोपों को किया खारिज
यूएई के विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि वह यमन को हथियार नहीं भेज रहा है. मंत्रालय ने कहा कि यूएई वैधता की बहाली का समर्थन करना और आतंकवाद से लड़ना, साथ ही यमन गणराज्य की संप्रभुता का पूर्ण सम्मान करना. जिस शिपमेंट को लेकर विवाद हुआ, उसमें हथियार नहीं बल्कि यमन में तैनात यूएई बलों के इस्तेमाल के लिए वाहन शामिल थे.
यमन की संप्रभुता पर यूएई का रुख
यूएई पहले भी यह कह चुका है कि यमन का शासन और उसकी क्षेत्रीय अखंडता यह एक ऐसा मुद्दा है जिसका निर्णय यमन के सभी पक्षों को स्वयं करना होगा. यानी यमन के भविष्य का फैसला वहां के पक्षकारों को ही करना चाहिए.
मुकल्ला में क्या हुआ? जानिए पूरी घटनाक्रम
मंगलवार को यूएई के फुजैराह से एक शिपमेंट यमन के मुकल्ला बंदरगाह पर पहुंची. इसके तुरंत बाद सऊदी अरब ने मुकल्ला पर बमबारी की और दावा किया कि यह खेप हथियारों की थी. सऊदी अरब का आरोप है कि ये हथियार अबू धाबी समर्थित साउदर्न ट्रांजिशनल काउंसिल (STC) को भेजे गए थे, जो अप्रैल 2017 से यमन के दक्षिणी हिस्सों में संप्रभुता स्थापित करने की मांग कर रहा है.
यूएई ने इन आरोपों से इनकार करते हुए कहा कि शिपमेंट में यमन में तैनात यूएई सैनिकों के लिए वाहन थे और उसने जल्द ही अपने बलों को यमन से हटाने की बात दोहराई. बमबारी के बाद सऊदी नेतृत्व वाले गठबंधन ने मुकल्ला में हवाई हमले किए.
बढ़ता तनाव और सियासी टकराव
इस महीने की शुरुआत से ही यमन में तनाव बढ़ा हुआ है. STC ने हद्रामौत और महरा प्रांतों के बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया है, जिसमें तेल से जुड़ी अहम सुविधाएं भी शामिल हैं. STC के विरोध में यमनी सेना खड़ी है, जिसे हद्रामौत ट्राइबल अलायंस का समर्थन प्राप्त है. यह स्थानीय जनजातीय गठबंधन सऊदी अरब समर्थित माना जाता है.
सऊदी अरब और यूएई की अलग-अलग रणनीति
दिलचस्प बात यह है कि सऊदी अरब और यूएई, दोनों यमन में मौजूद अलग-अलग राजनीतिक गुटों का समर्थन करते हैं. ये गुट मध्य पूर्व के प्रमुख ऊर्जा निर्यात क्षेत्र के किनारे स्थित अहम शिपिंग रूट्स के पास सक्रिय हैं. हालिया घटनाक्रम ने दक्षिणी यमन में STC की स्थिति को और मजबूत किया है, जिससे भविष्य में यमन संघर्ष के समाधान को लेकर होने वाली बातचीत में उसे बढ़त मिल सकती है. STC लंबे समय से यह मांग करता रहा है कि किसी भी समझौते में दक्षिणी यमन को आत्मनिर्णय का अधिकार दिया जाए.
हद्रामौत में सऊदी एयरस्ट्राइक
इससे पहले शुक्रवार को सऊदी अरब ने हद्रामौत क्षेत्र में हवाई हमले किए थे. विश्लेषकों के मुताबिक, इसे अलगाववादी गुटों के लिए चेतावनी के तौर पर देखा गया, ताकि वे अपनी बढ़त रोकें और हद्रामौत व महरा प्रांतों से पीछे हटें.


