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PAK और इजरायल में हुई सीक्रेट डील, खुफिया एजेंसी से मिले आसिम मुनीर...जानिए क्यों अपने ही दुश्मन से हाथ मिला रहा पाकिस्तान

पाकिस्तान ने इजरायल के साथ गुप्त बैठक की, जिसमें पाकिस्तान के फील्ड मार्शल आसिम मुनीर ने इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद के अधिकारियों से मुलाकात की. बैठक में गाजा संकट पर चर्चा हुई और पाकिस्तान ने शांति स्थापना के लिए गाजा में 20,000 सैनिक भेजने पर सहमति जताई.

Utsav Singh
Edited By: Utsav Singh

नई दिल्ली : पाकिस्तान, जो इजरायल को कभी भी एक मान्यता प्राप्त राष्ट्र के रूप में स्वीकार नहीं करता था और उसके नाम का उच्चारण भी अपराध समझा जाता था, अब अपनी दशकों पुरानी नीति में बदलाव करता हुआ दिखाई दे रहा है. खुफिया सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तान के फील्ड मार्शल आसिम मुनीर ने इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद के अधिकारियों से पहली बार मुलाकात की है. यह घटना पाकिस्तान के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ है, क्योंकि यह इजरायल के साथ किसी भी प्रकार की सीधी बातचीत का पहला मामला है.

मिस्र में हुआ बैठक का आयोजन 
आपको बता दें कि इस गुप्त बैठक का आयोजन मिस्र में हुआ था, जिसमें मोसाद के कई उच्च पदस्थ अधिकारी और अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए के प्रतिनिधि भी मौजूद थे. यह मुलाकात दक्षिण एशिया और मध्य-पूर्व के क्षेत्रीय भू-राजनीति में एक नया बदलाव लाने का संकेत देती है.

गाजा संकट पर पाकिस्तानी और इजरायली संवाद

गुप्त बैठक में मुख्य विषय गाजा संकट था. सूत्रों के अनुसार, इजरायल ने पाकिस्तान को गाजा में अपने 20,000 सैनिक भेजने के लिए सहमति दी है. इन सैनिकों को इंटरनेशनल स्टैबिलाइजेशन फोर्स का हिस्सा बनाया जाएगा, जो गाजा में शांति स्थापित करने का काम करेगा. यह बल गाजा में हमास के नियंत्रण को समाप्त करने और युद्ध के बाद के पुनर्निर्माण कार्यों के लिए पश्चिमी और अरब देशों के गठबंधन का हिस्सा होगा. पाकिस्तान, इंडोनेशिया और अजरबैजान जैसे मुस्लिम देशों के सैनिक इस अंतर्राष्ट्रीय शांति-सेना में शामिल होंगे.

शांति बनाए रखने का काम करेगी सेना 
इजरायल ने पाकिस्तान से स्पष्ट कर दिया है कि उसकी सेना गाजा में सिर्फ शांति व्यवस्था बनाए रखने का काम करेगी और किसी भी प्रकार के संघर्ष या युद्ध में शामिल नहीं होगी. इसके अलावा, पाकिस्तान समेत अन्य मुस्लिम देशों को हमास से हथियार वापस लेने की जिम्मेदारी दी गई है. पाकिस्तान के सैनिक गाजा और इजरायल के बीच एक बफर बल के रूप में कार्य करेंगे, जिनका प्रमुख कार्य शांति स्थापित करना और पुनर्निर्माण कार्यों को सुगम बनाना होगा. पाकिस्तान के लिए यह एक संवेदनशील स्थिति है, क्योंकि उसे अपनी भूमिका को शांति स्थापना तक सीमित रखना होगा और किसी भी विवाद में भाग लेने से बचना होगा.

पाकिस्तान के लिए अस्थायी राजनयिक राहत
खुफिया सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तान के इस सहयोग को पश्चिमी देशों द्वारा एक अस्थायी राजनयिक राहत के रूप में 'चुपचाप पुरस्कृत' किया जा रहा है. इसका मुख्य उद्देश्य पाकिस्तान को घरेलू और सीमा सुरक्षा संबंधी समस्याओं में राहत देना है. इस सहयोग के बदले पाकिस्तान को दो महत्वपूर्ण लाभ मिल सकते हैं:

1.    नियंत्रण रेखा (LoC) पर भारतीय सैन्य दबाव में कमी – यह पाकिस्तान के लिए एक महत्वपूर्ण रणनीतिक लाभ हो सकता है, जिससे उसे भारत के साथ अपनी सीमाओं पर तनाव कम करने का अवसर मिलेगा.

2.    पाकिस्तान के घरेलू और खुफिया मामलों पर पश्चिमी आलोचना में कमी – पश्चिमी मानवाधिकार संगठन पाकिस्तान की घरेलू कार्रवाई और खुफिया ज्यादतियों पर अब तक चुप थे, लेकिन इस समझौते के बाद उन पर दबाव कम हो सकता है.

पाकिस्तान की विदेश नीति में बदलाव
यह समझौता पाकिस्तान के लिए एक 'अस्तित्व-रक्षा सौदा' साबित हो सकता है. इसका मतलब यह है कि पाकिस्तान ने आर्थिक राहत और वैश्विक वैधता के बदले अपनी विदेश नीति में एक ऐतिहासिक बदलाव किया है. पाकिस्तान की गंभीर आर्थिक समस्याएं और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उसका अलगाव उसे इस प्रकार के अप्रत्यक्ष सहयोग को स्वीकार करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं. यह कदम पाकिस्तान के लिए एक नई दिशा दिखाता है और यह दर्शाता है कि वह अपनी विदेश नीति में बदलाव की ओर अग्रसर हो सकता है, विशेष रूप से मध्य-पूर्व और दक्षिण एशिया के संदर्भ में.

पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय छवि में बदलाव
इस अप्रत्याशित सहयोग का दक्षिण एशिया और मध्य-पूर्व की भू-राजनीति पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है. इजरायल और पाकिस्तान के बीच इस गुप्त और ऐतिहासिक संवाद ने उन देशों को चौंका दिया है, जो हमेशा से दोनों देशों के बीच कोई समझौता होने की संभावना से इनकार करते आए थे. इसके अलावा, इस तरह के सहयोग से पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय छवि में भी बदलाव आ सकता है और इसे पश्चिमी देशों से और अधिक समर्थन प्राप्त हो सकता है. हालांकि, यह सब पाकिस्तान के लिए एक जोखिम भी हो सकता है, क्योंकि उसे अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा और घरेलू नीति के बीच संतुलन बनाए रखना होगा.

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28 October 2025, 04:23 PM IST

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