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वतन वापसी के लिए शेख हसीना ने कौन सी शर्त रखी?

बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने अपने देश बांग्लादेश लौटने की इच्छा जताई है, लेकिन उन्होंने इसके लिए कुछ शर्तें भी रखी हैं. उनका कहना है कि वे तभी वापस जाएंगी, जब देश में भागीदारीपूर्ण लोकतंत्र बहाल किया जाएगा और उनकी पार्टी आवामी लीग पर लगा प्रतिबंध हटा लिया जाएगा. हसीना का कहना है कि बांग्लादेश में स्वतंत्र, निष्पक्ष और समावेशी चुनाव होना जरूरी है. 

Anuj Kumar
Edited By: Anuj Kumar

नई दिल्ली: बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने अपने देश बांग्लादेश लौटने की इच्छा जताई है, लेकिन उन्होंने इसके लिए कुछ शर्तें भी रखी हैं. उनका कहना है कि वे तभी वापस जाएंगी, जब देश में भागीदारीपूर्ण लोकतंत्र बहाल किया जाएगा और उनकी पार्टी आवामी लीग पर लगा प्रतिबंध हटा लिया जाएगा. हसीना का कहना है कि बांग्लादेश में स्वतंत्र, निष्पक्ष और समावेशी चुनाव होना जरूरी है. 

13 नवंबर को हड़ताल की घोषणा

पूर्व प्रधानमंत्री का यह बयान ऐसे समय में आया है जब उनकी पार्टी आवामी लीग ने 13 नवंबर को हड़ताल की घोषणा की है. फिलहाल, हसीना भारत की शरण में है और भारत में किसी गुप्त स्थान पर रह रही हैं. एक मीडिया संस्थान को दिए ईमेल इंटरव्यू में पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस पर गंभीर आरोप लगाए हैं.

मोहम्मद यूनुस पर लगाए आरोप

उन्होंने मोहम्मद यूनुस पर भारत के साथ संबंधों को खराब करने और चरमपंथी ताकतों को बढ़ावा देने का आरोप लगाए हैं. हसीना ने कहा कि उनके शासनकाल में ढाका और नई दिल्ली के बीच रिश्ते “गहरे और व्यापक” थे, लेकिन यूनुस की नीतियां इन संबंधों को कमजोर कर रही हैं. उन्होंने भारत सरकार का धन्यवाद करते हुए कहा कि भारत ने उन्हें कठिन समय में शरण दी और वे इसके लिए भारत सरकार और भारतीय जनता की बेहद आभारी है.

इस दौरान हसीना ने साफ किया कि बांग्लादेश लौटने की उनकी सबसे बड़ी शर्त वही है, जो जनता चाहती है- लोकतंत्र की बहाली. उन्होंने कहा कि अंतरिम प्रशासन को आवामी लीग पर लगा प्रतिबंध हटाना होगा और निष्पक्ष चुनाव करवाने होंगे. 

लंबे समय तक प्रधानमंत्री रहीं

आपको बता दें कि शेख हसीना सबसे लंबे समय तक बांग्लादेश की प्रधानमंत्री रह चुकी हैं. शेख हसीना को सरकार विरोधी हिंसक प्रदर्शनों के कारण देश छोड़ना पड़ा था और उसी के दवाब में आकर उन्होंने इस्तीफा दिया था. इसके बाद मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार का गठन हुआ. हसीना ने स्वीकार किया कि स्थिति उनके नियंत्रण से बाहर चली गई थी, लेकिन उन्होंने कहा कि इसमें कुछ जिम्मेदारी तथाकथित छात्र नेताओं की भी थी, जिन्होंने भीड़ को भड़काया.

रिपोर्टों को खारिज किया

उन्होंने उन रिपोर्टों को खारिज किया, जिनमें कहा गया था कि उन्होंने आने वाले चुनावों के बहिष्कार की बात की है. हसीना का कहना है कि आवामी लीग के बिना कोई भी चुनाव वैध नहीं हो सकता, क्योंकि यह देश की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी है.

उन्होंने कहा कि लाखों लोग आज भी उनका समर्थन करते हैं और यह बांग्लादेश के लिए एक अवसर है कि देश में जनता की इच्छा से चलने वाली सरकार बने. उन्होंने विश्वास जताया कि आवामी लीग पर लगा प्रतिबंध जल्द हटेगा, क्योंकि बिना उसके देश की राजनीति अधूरी है.

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12 November 2025, 03:34 PM IST

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