‘अमेरिकन ड्रीम’ का कड़वा सच: 4 की मौत, तस्करों को सलाखों के पीछे भेजा गया
गुजरात के डिंगुचा गांव के चार सदस्यीय परिवार की 2022 में कनाडा-अमेरिका सीमा पार करते वक्त ठंड से मौत के मामले में अमेरिका में दो मानव तस्करों को 10 साल तक की सजा हुई. वे फर्जी वीजा के जरिए अवैध प्रवेश कराने वाले अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क का हिस्सा थे.

अमेरिका के मिनेसोटा राज्य में एक अदालत ने अंतरराष्ट्रीय मानव तस्करी रैकेट में संलिप्तता के मामले में दो लोगों को सज़ा सुनाई है. इस नेटवर्क के चलते भारत के गुजरात राज्य के डिंगुचा गांव के एक ही परिवार के चार सदस्यों की मौत हो गई थी. जनवरी 2022 में कनाडा से अमेरिका जाने के प्रयास के दौरान, यह परिवार कड़ाके की ठंड में फंस गया था, जिससे दो बच्चों सहित सभी की मृत्यु हो गई थी.
10 साल 1 महीने की कैद की सजा
भारतीय नागरिक हर्षकुमार रमनलाल पटेल (29), जिसे "डर्टी हैरी" के नाम से भी जाना जाता था. उसे 10 साल 1 महीने की कैद की सजा सुनाई गई है. अमेरिकी न्याय विभाग के अनुसार, सजा पूरी होने के बाद पटेल को देश से निर्वासित कर दिया जाएगा. पटेल के साथ मामले में शामिल फ्लोरिडा निवासी स्टीव एंथनी शैंड (50) को 6 साल 6 महीने की कैद और 2 साल की निगरानी में रिहाई की सजा दी गई है.
पटेल और शैंड एक संगठित तस्करी नेटवर्क का हिस्सा थे, जो भारतीय नागरिकों को फर्जी वीजा पर पहले कनाडा लाते थे और फिर अवैध रूप से अमेरिका में प्रवेश कराने का काम करते थे. अदालत में प्रस्तुत साक्ष्यों के अनुसार, पटेल ने कनाडा के मैनिटोबा से अमेरिका के शिकागो तक मानव तस्करी की योजना बनाई थी, जबकि शैंड अमेरिकी सीमा से लोगों को उठाकर आगे ले जाता था.
दोनों दोषियों पर चार-चार आरोपों में मुकदमा चला
मिनेसोटा के फर्गस फॉल्स स्थित संघीय अदालत में नवंबर 2023 में दोनों दोषियों पर चार-चार आरोपों में मुकदमा चला और उन्हें दोषी करार दिया गया. जज जॉन टुनहेम ने पटेल की सजा सुनाते समय कहा कि मामला पूरी तरह स्पष्ट था और फैसले को पलटने का कोई कारण नहीं था.
इस रैकेट के ज़रिए एक व्यक्ति को भारत से अमेरिका पहुंचाने की कीमत करीब 1 लाख डॉलर (83 लाख रुपये) थी. इसी तस्करी के प्रयास में गुजरात के जगदीश पटेल, उनकी पत्नी वैशालीबेन, बेटी विहांगी (11) और बेटा धार्मिक (3) की जान चली गई. उनका शव 19 जनवरी 2022 को मैनिटोबा और मिनेसोटा की सीमा के पास मिला था.
बेहतर जीवन की तलाश
यह परिवार डिंगुचा गांव से था, जहां से कई लोग अवैध तरीकों से बेहतर जीवन की तलाश में विदेश गए हैं. जगदीश पटेल बिजली के उपकरण बेचते थे और परिवार ने विदेश यात्रा को छुट्टी का रूप देने के लिए घर को वैसा ही छोड़ा था. उनकी अंतिम यात्रा का पता 12 जनवरी को कनाडा के लिए रवाना होने के बाद लगा, जब परिजन संपर्क नहीं कर पाए.


